MP News: डॉक्टरों कमी को देखते हुए सरकार ने लिया बड़ा फैसला, परिवीक्षा अवधि के बाद ही पीजी करने जा सकेंगे डॉक्टर

लोक स्वास्थ्य संचालनालय ने इस संबंध में जारी किए आदेश 

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भोपाल। प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। अब दो वर्ष की सेवा यानी परिवीक्षा अवधि पूरी करने के बाद ही स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के डॉक्टर एमडी- एमएस (पीजी) या सुपरस्पेशियलिटी (डीएम या एमसीएच) की पढ़ाई के लिए जा सकेंगे। शर्त यह रहेगी कि अध्ययन पूरा करने पर उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित अस्पताल में कम से कम पांच वर्ष सेवा देनी होगी। ऐसा नहीं करने पर उन्हें बंधपत्र की शर्त के अनुसार 50 लाख रुपये सरकार को देने होंगे। स्वास्थ्य संचालनालय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के नियम हैं कि कोई भी शासकीय सेवक पांच वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद ही एक बार अध्ययन अवकाश के लिए जा सकता है।

 उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला से कुछ डॉक्टरों ने बताया था कि पांच  वर्ष के पहले अध्ययन अवकाश की अनुमति नहीं मिल पाने के कारण डॉक्टर नौकरी जाने के डर से आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी ओर कुछ डाक्टर त्यागपत्र देकर चले जाते हैं, इस कारण डॉक्टरों की कमी हो रही है। इसके बाद शुक्ला ने विभाग के बड़े अधिकारियों से इस पर विचार कर हल निकालने के लिए कहा था। 


नई व्यवस्था में दो वर्ष की सेवा की परिवीक्षा अविध के दौरान अध्ययन अवकाश पर जाने वाले डॉक्टरों की सेवा समाप्ति की जाएगी। अभी तक यह व्यवस्था थी कि पांच वर्ष की सेवा के पहले डाक्टर त्यागपत्र देकर अवकाश पर जाएंगे। ऐसे में अधिकतर डॉक्टर बिना त्यागपत्र दिए ही अध्ययन के लिए चले जाते थे। जब तक उनकी सेवा समाप्ति नहीं की जाती थी तब तक वह पदा भरा रहता था। इस कारण उस पद के विरुद्ध भर्ती भी नहीं हो पा रही थी

सरकारी अस्पताल के डॉक्टर्स के लिए रिजर्व हैं पीजी की 30 फीसदी सीटें
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज सहित राज्य के 6 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अलग-अलग स्पेशिएलिटी की 1262 पीजी डिग्री-डिप्लोमा सीट हैं। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अफसरों के मुताबिक सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 50 फीसदी सीटें ऑल इंडिया कोटे के उम्मीदवारों के लिए रिजर्व हैं। जबकि शेष 50 फीसदी सीटों में से 30 प्रतिशत सीटों पर इनसर्विस कोटे के उम्मीदवारों को एडमिशन दिए जाने का प्रावधान है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर्स के लिए रिजर्व पीजी सीटों की संख्या 190 है।


बांड अमाउंट जमा करने पर मिलेगी एनओसी
सरकारी अस्पताल में कार्यरत बांडेड डॉक्टर्स को इनसर्विस कोटे के तहत पीजी कोर्स में दाखिले की पात्रता के लिए इस्तीफे के साथ बांड की राशि जमा करना होगी। इसके अलावा संबंधित बांडेड डॉक्टर के खिलाफ विभागीय जांच और आपराधिक मामला दर्ज होने की स्थिति में इनसर्विस कोटे के सीट की पात्रता के लिए एनओसी नहीं दी मिलेगी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित अस्पतालों में सीधी भर्ती से चयनित मेडिकल ऑफिसर (एमओ) और स्पेशलिस्ट को में दूसरे डिपार्टमेंट की भर्ती परीक्षा, इंटरव्यू में शामिल हो सकेंगे। लेकिन, इस भर्ती परीक्षा में शामिल होने के लिए संबंधित डॉक्टर को तकनीकी इस्तीफा (टेक्नीकल रिजाइन) देना होगा। इसके बाद ही संबंधित डॉक्टर को स्वास्थ्य विभाग दूसरे विभाग की भर्ती परीक्षा, इंटरव्यू में शामिल होने की अनुमति देगा