MP News: एमपी में स्कूल शिक्षा मंत्री को अंधेरे में रख मातहतों की कर दी पदस्थापना, नियम बला-ए-ताक पर

लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक का कारनामा, गड़बड़ी पकड़ने के बाद मंत्री ने नोटशीट में लिखा-निलंबित करें

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ढाई सौ से अधिक लोकसेवकों की नई पदस्थापना से बढ़ी उलझन, अब संचालक को बचाने में जुटे विभाग के अफसर

भोपाल। लोक सेवकों की पदस्थापना का जो अधिकार मुख्यमंत्री और मंत्री को होता है, उसका उपोयग स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों ने अपने स्तर पर कर लिया। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह को अंधेरे में रखा और नियमों को दरकिनार कर तकरीबन ढाई सौ से अधिक लोकसेवकों की नई पदस्थापना करने का आदेश जारी कर दिया है। 


मामला संज्ञान में आने के बाद विभाग के मंत्री ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. संजय गोयल को नोटशीट लिखकर संबधित अफसर को निलंबित करने का आदेश दिया है। अब विभाग के कुछ आला अफसर इस पूरे मामले के कसूरवार माने जाने वाले अफसर को बचाने में जुट गए हैं।


यह कारनामा किसी और ने नहीं, बल्कि लोक शिक्षा संचालनालय (डीपीआई) के संचालक ने किया है। डीपीआई में संचालक के तीन पद हैं। मंत्री ने किसी संचालक का नाम नहीं लिखा है, लेकिन उन्होंने यह लिखा कि इससे प्रकरण से जुड़े संचालक को निलंबित किया जाए। 


बताते हैं कि इस गड़बड़ी की बागडोर डीपीआई से लेकर मंत्रालय तक जुड़ी हुई है, इसलिए मंत्री की नोटशीट के बाद अफसरों में हड़कंप मच गया है। कुछ आला अफसरों को लग रहा है कि संचालक को नहीं बचाया गया और जांच हुई, तो आंच उन पर भी आएगी। 


नियम यह है कि नई पदस्थापना संबंधी फाइल मुख्यमंत्री और विभाग के मंत्री तक जाती है। जब तबादले पर प्रतिबंध रहता है, तब यह फाइल सीएम तक जाती है। प्रतिबंध हटने की स्थिति में यह अधिकार विभाग के मंत्री को होता है। 


स्कूल शिक्षा विभाग में पिछले कुछ सालों से ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल में अनियमितता की जा रही हैं। इसको लेकर हर बार अफसरों पर आरोप-प्रत्यारोप लगते हैं, लेकिन मामलों को दबा दिया जाता है। अब विभाग के अफसरों का नया खेल पकड़ में आया है।


इस खेल में विभाग का कोई कर्मचारी राज्य शिक्षा केंद्र, बोर्ड आफिस, राज्य ओपन स्कूल या अन्य किसी शासकीय संस्थान में प्रतिनियुक्ति पर जाकर नौकरी करता है। प्रतिनियुक्ति के बाद जब कर्मचारियों की वापसी होती है, तो वह आदेश मंत्री के अनुमोदन के बाद जारी किए जाने चाहिए, लेकिन डीपीआई के अफसरों ने ऐसा नहीं किया। 


प्रतिनियुक्ति पर वापस आने वाले कर्मचारियों की पदस्थापना बिना मंत्री के प्रशासकीय अनुमोदन से डीपीआई के अफसरों ने अपनी मर्जी से कर दी। ऐसे कर्मचारियों की संख्या ढाई सौ से ज्यादा है। जब अनियमितता के इस खेल की भनक मंत्री को लगी, तो उन्होंने नोटशीट लिखकर संबंधित संचालक को निलंबित करने के साथ पूरे मामले की जांच कराने का आदेश दिया है।


मंत्री की नोटशीट के बाद नियम बदलने की तैयारी
स्कूल शिक्षा मंत्री ने पदस्थापना के खेल की गंभीर अनियमितता पकड़ी है। विभागीय सूत्रों की माने तो मंत्री के अनुमोदन के बिना पदस्थापना के खेल में कुछ बड़े अफसर भी शामिल बताए जा रहे हैं। विभाग के अफसर अब राज्य शिक्षा केंद्र, बोर्ड आफिस, राज्य ओपन की पदस्थापना को प्रतिनियुक्ति नहीं मान रहे है। इसे एक विभाग बताकर मंत्री की नोटशीट की काट खोजने में लगे हैं।


फाइल सभी दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत करें
स्कूल शिक्षा मंत्री सिंह ने नोटशीट तीन फरवरी को लिखी थी। नोटशीट में लिखा, स्कूल शिक्षा विभाग या लोक शिक्षण संचालनालय में प्रतिनियुति से वापसी के उपरांत शासकीय सेवकों की पदस्थापना नियमानुसार विभागीय मंत्री के प्रशासकीय अनुमोदन उपरांत किया जाना चाहिए। 


मेरी जानकारी में आया है कि प्रतिनियुक्ति से वापसी के उपरांत शासकीय सेवकों की पदस्थापना मनमर्जी से बिना प्रशासकीय अनुमोदन लिए की गई है। पदस्थ किए गए शासकीय सेवकों की संख्या काफी ज्यादा है। यह कृत्य शासन के नियमों के विपरीत है।


शासन के नियमों के विपरीत कृत्य के लिए संबंधित संचालक लोक शिक्षण को निलंबित किया जाए। साथ में विभागीय जांच करने और जांच के बाद अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए कारण बताओ सूचना पत्र दिया जाए। इसकी फाइल सभी दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत भी करें। जनवरी 2024 से अभी तक ऐसे कितने पदांकन बगैर प्रशासकीय अनुमोदन के हुए है, उसकी सूची और नस्ती भी भेजी जाए।