MP News: एमपी में पहले ठेकेदार को एक साल के लिए किया ब्लैक लिस्ट, फिर उसी को दिया दूसरा काम

पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन सीई और अब ईएनसी केपीएस राणा पर आरोप; मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और ईओडब्ल्यू से शिकायत

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भोपाल। लोक निर्माण विभाग एक बार फिर अपनी कारगुजारियों की वजह से चर्चा में है। अब विभाग के प्रमुख अभियंता केपीएस राणा पर एक ठेकेदार फर्म को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा है। यह मामला उनके चीफ इंजीनियर के कार्यकाल का है। ख्यमंत्री, मुख्य सचिव, पीडब्ल्यूडी और ईओडब्ल्यू से की गई शिकायत में कहा गया है कि राणा ने जिस ठेकेदार को एक साल के लिए ब्लैक लिस्ट किया था, उसी को इस अवधि में दूसरा काम दिला दिया। पीडब्ल्यूडी के राष्ट्रीय राजमार्ग परिक्षेत्र के तहत आष्टा बायपास की 7.58 किमी लंबाई की दो लेन की रोड बनाने के लिए 27 मई 2022 को टेंडर जारी किए थे।


सड़क परिवहन मंत्रालय ने इस कार्य के लिए 67.31 करोड़ रुपए की प्रशासकीय मंजूरी दी थी। साल 2017 से प्रभावी शेड्यूल ऑफ रेट (एसओआर) पर टेंडर बुलाए थे। फॉर्म खरीदने व डाउनलोड करने की आखिरी तारीख 14 नवंबर 2022 थी। इसकी तकनीकी बिड 24 नवंबर को खोली गई। इसके मूल्यांकन में मेसर्स राजेंद्र सिंह किलेदार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, केजी गुप्ता इंफ्रास्ट्रक्चर, घायल कंस्ट्रक्शन कंपनी और वेलजी रत्ना सोरठिया इंफ्रा योग्य पाए गए।


शिकायत में बताया गया है कि इस दौरान बीना टोल प्लाजा का निर्माण कार्य नहीं करने के कारण तत्कालीन मुख्य अभियंता केपीएस राणा ने राजेंद्र सिंह किलेदार का ठेका छह दिसंबर 2020 को टर्मिनेट कर दिया। साथ में उनका रजिस्ट्रेशन भी एक साल के लिए सस्पेंड कर दिया था।


वित्तीय ऑफर नहीं खोल सकते, फिर भी 39 करोड़ का प्रस्ताव भेजा
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि आष्टा बायपास के टेंडर में राजेंद्र सिंह किलेदार का वित्तीय ऑफर 26 दिसंबर 2022 को खोल दिया, जबकि केपीएस राणा ने ही उसका रजिस्ट्रेशन निरस्त किया था। शासन के नियम स्पष्ट हैं कि किसी भी ब्लैक लिस्टेड या निलंबित ठेकेदार का वित्तीय ऑफर नहीं खोला जा सकता और न ही इस अवधि में निर्माण कार्य आवंटित किया जा सकता है।इसके बावजूद राणा ने किलेदार कंस्ट्रक्शन के 39.89 करोड़ रुपए के न्यूनतम ऑफर को प्रमुख अभियंता की मंजूरी के लिए भेज दिया। वह भी तब जब इस बारे में मातहत इंजीनियर ने राणा को बताया था।


ईएनसी ने की आपत्ति, टेंडर लौटाए, बाद में दी मंजूरी
केपीएस राणा के प्रस्ताव पर तत्कालीन प्रमुख अभियंता (ईएनसी) ने आपत्ति ली थी। कहा था कि जब चयनित निविदाकार का रजिस्ट्रेशन 13 दिसंबर को सस्पेंड कर दिया था, तब उसकी फायनेंशियल बिड 17 दिसंबर को कैसे खोली गई। इस टीप के साथ उन्होंने निविदाओं को बिना किसी कार्रवाई के वापस कर दिया था। 


इस पर राणा की ओर से तर्क दिया गया कि बिड जमा करने की तारीख में बिडर नॉन परफॉर्मिंग पार्टी नहीं होना चाहिए। ऑफर जमा करने की आखिरी तारीख तक ठेकेदार का पंजीयन निलंबित नहीं था, इसलिए 17 दिसंबर को उसका वित्तीय ऑफर खोला गया। इसे आधार बनाते हुए फिर ऑफर मंजूरी के लिए ईएनसी को भेज दिया। 


उन्होंने स्वीकृति की अनुशंसा भी कर दी। यह शासन से मंजूर हो गया और वर्ष 2023 की शुरुआत में किलेदार कंस्ट्रक्शन को ठेका मिल गया। नियमानुसार निलंबित या ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार को निविदा दी ही नहीं जा सकती। शिकायतकर्ता ने ठेका निरस्त करने और केपीएस राणा व अन्य अधिकारियों के खिलाफ वित्तीय अपराध दर्ज करने की मांग की है।


इनका कहना है-
इस संबंध में लिखित शिकायत मिली है। इसे दिखवा रहे हैं। इसके आधार पर उचित निर्णय लिया जाएगा।
-नीरज मंडलोई, अपर मुख्य सचिव, पीडब्ल्यूडी