MP News: एमपी में ओला, उबर, जूम समेत कई प्राइवेट कंपनियों ने परिवहन विभाग से किया फर्जीवाड़ा!
आरटीओ में कमर्शियल गाड़ियों के नाम पर हुआ गेम, जूम ऐप के ग्राहकों से फर्जीवाड़ा करने वाले जालशाज ने किया खुलाशा

भोपाल। प्रदेश में ओला, उबर, जूम समेत कई प्राइवेट कंपनी परिवहन विभाग से फर्जीवाड़ा कर रही हैं। दरअसल, इन कंपनियों को टैक्सी कोटे वाले वाहनों को ही सेवा में लेने का नियम है, लेकिन अवधपुरी में गिरफ्तार बदमाशों ने बताया है कि कंपनी लग्जरी कारों में ब्रांड देखती है। उसे कमर्शियल होने या नहीं होने से कोई मतलब नहीं होता है।
इधर, डीसीपी ने कहा है कि इस संबंध में ट्रांसपोर्ट कंपनी से जल्द पत्राचार किया जायेगा। आरोपी अभी पांच दिन की रिमांड पर भी हैं। उनसे कई अन्य जानकारियां हासिल होना बाकी हैं। डीसीपी जोन—2 डॉक्टर संजय कुमार अग्रवाल ने पत्रकारों को बताया कि अवधपुरी स्थित रीगल टाउन में दबिश दी गई थी। यहां से पांच आरोपियों को दबोचा गया है। यह सभी फ्लैट में बैठकर जूम ऐप के जरिए दिल्ली, मुबई समेत अन्य शहरों के लोगों से फर्जीवाड़ा कर रहे थे।
आरोपी यह काम घुमने—फिरने और नशे के शोक को पूरा करने ऐसा कर रहे थे। आरोपी रीगल टाउन के ब्लॉक नबर एक में स्थित फ्लैट नबर 301 में जुलाई, 2024 में किराए से रहने आए थे। मकान मालिक आशुतोष गुप्ता हैं जो कि प्रोफेसर हैं। आरोपियों की लाइफ स्टाइल देखकर पुलिस को मुखबिरी हुई थी, जिसके बाद वहां टीम ने जाकर दबिश दी थी। पुलिस को यहां यश सलूजा, अंशुल प्रियांश सिंह, मयंक ठाकुर, अखिलेश पाण्ड़े और सहजप्रीत सिंह मिले।
आरोपियों ने बताया कि वे जूम कार कंपनी के लिए काम करते हैं, उसका हेड ऑफिस बैंगलोर में है। उस कंपनी में ऑनलाइन कार किराये पर देने की एप्लीकेशन व दूसरे कार की छ: अलग—अलग ऐंगल से छ: फोटो जिसे गुगल वेबसाइट से निकालकर डालते हैं। यह बताने पर पुलिस को शंका हुई। उन्होंने बकायदा वीडियोग्राफी करके सारी सामग्रियों के साथ उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया।
इस कमी का फायदा उठाकर कमा रहे थे पैसा
आरोपियों यश सलूजा, अंशुल प्रियांश सिंह, मयंक ठाकुर, अखिलेश पांडे और सहजप्रीत सिंह को थाने लाकर पूछताछ की गई। आरोपियों ने बताया कि वे जूम एप्लीकेशन के साथ फर्जीवाड़ा कर रहे थे। यश सलूजा का दोस्त नितेश गोस्वामी पहले जूम कंपनी के लिए काम कर चुका है। वह कंपनी की लग्जरी कार लेकर भी भाग गया था, जिस कारण उसके खिलाफ कंपनी ने गबन का भी मुकदमा दर्ज कराया था।
वह पहले यश सलूजा के साथ ही रहता था। इस कारण यश सलूजा को पता था कि एक बार फर्जीवाड़ा करने के बाद आईडी लॉक की जाती थी। लेकिन, भौतिक सत्यापन नहीं किया जाता था। इसी कमी का फायदा उठाकर आरोपी जूम एप्लीकेशन से फर्जीवाड़ा करते थे। इस बात की भनक कंपनी को भी नहीं थी।
आरोपियों ने बताया कि कार बुकिंग तीन दिन बाद शुरु हो जाती थी। इसमें कार नॉन कामर्शियल वाहन लगती है इसमें कार को बिना ड्रायवर के ग्राहक को देनी होती है। जिसमें आरोपीगण कार की बुकिंग का स्थान मुंबई तथा दिल्ली बताते है जहां से ग्राहक को कार मिलनी होती थी। बुकिंग करके आरोपी पैसा लेकर अपना फोन बंद कर लेते थे। कंपनी जिनसे कार बुकिंग का अनुबंध करती है उसकी शर्तों के अनुसार 40 प्रतिशत कंपनी रखती थी बाकी कार मालिक को भुगतान होता था। यह रकम फिर कई खातों में भेजे जाते थे।