MP News: 10 साल से चल रहा था फर्जी रजिस्ट्रार कार्यालय, हो रही थी जमीनों की धड़ाधड़ रजिस्ट्री

छापा मारने पहुंची प्रशासन की टीम के होश उड़े, कर्मचारियों के सांठ-गांठ का शक 

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murena

एमपी अजब है, सबसे गजब है... मध्यप्रदेश पर्यटन की ये लाइन इस खबर के लिए भी खूब सटीक बैठ रही है। दर असल एमपी के मुरैना जिले में पिछले १० सालों से फर्जी रजिस्ट्रार कार्यालय चल रहा था। इतना ही नहीं उसमें बाकायदे जमीनों की रजिस्ट्री भी हो रही थी। लेकिन मजाल किसी प्रशासन के अधिकारी को इसकी भनक तक लगी हो। इधर जब यह मामला सामने आया तो मुरैना प्रशासन में हड़कंप मच गया।

शिकायतें बढ़ीं तो जागा प्रशासन 
मामले का खुलासा तब हुआ जब अचानक से प्रशासन के पास गलत रजिस्ट्री की शिकायतें बड़ी संख्या में पहुंचने लगीं। इसके साथ ही मुरैना के तहसीलदार बीते माह फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर तहसीलदार कुलदीप दुबे ने एक जमीन का नामांतरण भी कर दिया। हालांकि बाद में शिकायत और जांच के बाद नामांतरण को रद्द कर दिया गया। इसके बाद फर्जी रजिस्ट्री करने वालों की तलाश में प्रशासन की टीमें जुट गईं। इसी बीच गुरुवार की दोपहर गोपालपुरा क्षेत्र में शहर के सभी हल्का पटवारियों व कोतवाली पुलिस टीम छापा मारा। कार्यवाही में मामला का पर्दाफाश हो गया। 

छापे के दौरान मिला सालों का रिकॉर्ड
छापे के दौरान पुलिस को मौके पर 40 फर्जी रजिस्ट्रियां, दर्जनों सीलों के अलावा रजिस्ट्रार कार्यालय के दो रजिस्टर भी मिले हैं, जिनमें नौ साल पुरानी रजिस्ट्रियों का रिकार्ड है। इसके अलावा टाइप राइटर, कई आधार कार्ड, वोटर कार्ड, स्टांप व रजिस्ट्री में उपयोग होने वाले कई तरह के फर्जी दस्तावेज पकड़े हैं। पुलिस ने ३ लोगों को गिरफ्तार भी किया है। हालांकि इस दौरान मुख्य आरोपी लक्ष्मी प्रसाद कुलश्रेष्ठ मौके से फरार हो गया। यह फर्जी रजिस्ट्रार कार्यालय आरोपियों में से एक  भूपेंद्र भदौरिया के मकान में संचालित हो रहा था। 

 
 गुरुवार की दोपहर तहसीलदार कुलदीप दुबे ने शहर के सभी हल्का पटवारियों व कोतवाली पुलिस टीम को साथ लेकर गोपालपुरा की दीक्षित गली में एक घर में दबिश दी। मकान के एक हिस्से में फर्जी रजिस्ट्रार कार्यालय चलता मिला। मौके पर 40 फर्जी रजिस्ट्रियां, रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारी व शाखाओं के नाम की 25 से ज्यादा सीलें, टाइप राइटर, कई आधार कार्ड, वोटर कार्ड, स्टांप व रजिस्ट्री में उपयोग होने वाले कई तरह के फर्जी दस्तावेज पकड़े हैं। मास्टरमाइंड लक्ष्मी नारायण उर्फ संजू कुलश्रेष्ठ मौके से भागने में सफल हो गया। फर्जी रजिस्ट्री करने का यह धंधा तीन साल से चल रहा है, इनके यहां रजिस्ट्री कराने वाले भी भू-माफिया या उनके नजदीकी होते थे।

  
सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत की बू
जानकारी के अनुसार अवैध धंधे में रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारियों के शामिल होने का शक है क्योंकि अरोपियों के यहां से कई ऐसी सामग्रियां व गोपनीय दस्तावेज बरामद हुए हैं। तो रजिस्ट्रार आफिस में होते हैं। मौके से यहां से रजिस्ट्रार कार्यालय की एक अंगूठ चिन्ह पंजी मिली हैं, जिसमें साल 2014 में जमीन की रजिस्ट्री कराने वालों के नाम, पते व उनके अंगूठों के निशान (फिंगर प्रिंट) हैं।रजिस्ट्री गुम होने पर रजिस्ट्री ग्रंथ के रिकार्ड से ही रजिस्ट्रार कार्यालय से दूसरी रजिस्ट्री निकलती है। रजिस्ट्रार कार्यालय के यह रजिस्टर किसी अधिकारी-कर्मचारी की साठगांठ से ही फर्जी रजिस्ट्री करने वालों के पास आए हैं। इसके अलावा आरोपी असली स्टांप व उन्हीं कागजों का इस्तेमाल करते थे, जो रजिस्ट्रार कार्यालय में उपयोग होते थे।