MP News: एमपी में स्कूलों की मान्यता में उगाही का खेल, पिछले साल मान्यता देकर इस साल कर दी निरस्त

जिनकी मान्यता निरस्त, उनका कर दिया नवीनीकरण

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भोपाल। भोपाल के छोला रोड स्थित सूरज प्रिमियम हायर सेकेंडरी स्कूल को बीते कई सालों से मान्यता मिल रही थी। इस साल खेल के मैदान की कमी को बताकर संभाग स्तर पर मान्यता को निरस्त कर दिया। सागर जिले में संभाग संयुक्त संचालक मनीष वर्मा ने 74 हायर सेकेंडरी व हाईस्कूलों स्कूलों की मान्यता निरस्त की है। इसमें अलग-अलग कमियां बताई गई हैं, जबकि पिछले सालों में इन्हीं स्कूलों को मान्यता नियमों के आधार पर मान्यता दी गई थी।

 


पन्ना जिले में आदर्श बाल विद्या मंदिर हायर सेकेंडरी स्कूल अमानगंज, न्यू सरस्वती हायर सेकेंडरी स्कूल अमानगंज पन्ना समेत कई स्कूलों को पिछले सालों तक मान्यता मिली हुई थी। यह मान्यता भी वर्तमान संभागीय संयुक्त संचालक ने दी थी, लेकिन इस साल कई स्कूलों की मान्यता को निरस्त कर दिया है। यह प्रदेश के स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण के कुछ उदाहरण हैं। 

 


दरअसल प्रदेश में स्कूलों की नवीन मान्यता व मान्यता नवीनीकरण का कार्य किया जा रहा है। पहली से आठवीं की मान्यता जिलों में डीपीसी व नवमीं से बारहवीं तक की मान्यता संभाग स्तर संभागीय संयुक्त संचालकों द्वारा दी जा रही है। मान्यता में सबसे ज्यादा अनिमितताएं मान्यता नवीनीकरण में की जा रही हैं। 


मान्यता नवीनीकरण में जमकर उगाही का खेल खेला जा रहा है। मान्यता नवीनीकरण में पिछले साल तक जिन स्कूलों को संभाग स्तर पर संयुक्त संचालकों ने मान्यता दी थी, उसे इस साल निरस्त भी किया जा रहा है। सवाल यह है कि जब स्कूलों में कमियां थी, तो पिछले सालों में किस आधार पर मान्यता दी गई। अधिकारियों ने पिछले साल मान्यता नियमों के विपरीत मान्यता दी गई, तो ऐसे अफसरों पर विभाग ने अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की है।


पहली से आठवीं की मान्यता भी ठीक नहीं
राज्य शिक्षा केंद्र के अंतर्गत जिलों में दी जा रही पहलीं से आठवीं की मान्यता के बुरे हाल हैं। यह मान्यता डीपीसी द्वारा दी जाती जाती है। यहां भी बीआरसीसी स्तर पर कई आवेदनों को अटकाया जा रहा है। भोपाल जिले की बात की जाए, तो 1139 स्कूलों के आवेदन लॉक हुए हैं, जिसमें 101 स्कूलों के आवेदन बीआरसीसी स्तर पर 12 दिन से ज्यादा लंबित हैं। बीआरसीसी स्तर पर लंबित आवेदन 752 हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि जिले में मान्यता की उगाही को लेकर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। जल्द ही यह भी सामने आएगा।


नर्सिंग घोटाले से बड़ा होगा स्कूलों की मान्यता का मामला
प्रदेश में नर्सिंग कालेजों की मान्यता का बड़ा घोटाला सामने आया था। ऐसा ही मामला स्कूलों की मान्यता नवनीकरण को लेकर है। स्कूल शिक्षा विभाग हर साल मान्यता नवीनीकरण के नाम पर यह खेल शुरू करता है। नियमों के आधार पर पूरे मामले की जांच एजेंसियों से करवाई जाए, तो बड़ा खुलासा सामने आएगा।


ये हैं मान्यता के नियम
स्कूलों की मान्यता के प्रमुख नियम जमीनों का है। नवीन मान्यता में एक एकड़ जमीन होना चाहिए, जबकि पुराने स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण में हाईस्कूल के लिए 4000 वर्गफीट (दो हजार निर्मित व दो हजार खाली) व हायर सेकेंडरी के लिए 5600 वर्ग फीट (2600 निर्मित व 3000 खाली) होना चाहिए। इसके अलावा बालक-बालिका शौचालय, प्रयोगशाला समेत अन्य सुविधाएं होना चाहिए।


गलत तरीके से स्कूलों की मान्यता की जा रही अमान्य
प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन ने स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण में चल रही गड़बड़ी को लेकर आयुक्त लोक शिक्षण शिल्पा गुप्ता को ज्ञापन सौंपा है। एसोसिएशन का कहना है कि हाईस्कूल व हायर सेकेंडरी स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण हेतु संस्थाओ द्वारा आवेदन किया गया था।


नियमानुसार 15 दिन पूर्व संभागीय अधिकारियों द्वारा कमी पूर्ति हेतु संस्थाओं को सूचित किया जाता था, किन्तु इस वर्ष अनेको संभाग के संभागीय अधिकारियों द्वारा बिना सूचित किये ही अनको विद्यालय की मान्यता नवीनीकरण आवेदन अमान्य कर दिया गया है। संस्थाओं को कमी पूर्ति करने का अवसर भी प्रदान नहीं किया है।


ध्यान देने वाली बात यह है कि वर्तमान समय के जेडी पिछले नवीनीकरण के समय भी यहीं थे। कई स्कूल ऐसे हैं जिन्हें पूर्व में मान्यता नवीनीकरण करने वाले भी यहीं थे। वर्तमान में नवीनीकरण निरस्त करने वाले भी यही हैं और निरस्त किये गए स्कूलों में आपत्ति लगभग एक ही जैसी है। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की मांग है कि ऐसे जितने भी संभागीय अधिकारी हैं, उनके ऊपर विभागीय कार्यवाही की जाए और संस्थाओं को कमी पूर्ति करने के लिए अपीलीय कार्यवाही के पूर्व एक अवसर प्रदान किया जाए।