MP News: एमपी के हेल्थ मिनिस्टर के गृह जिले रीवा में मेडिकल कॉलेज के डाक्टर्स ने दवाईयों की गुणवत्ता पर उठाए सवाल, जलाई होली
सरकारी अस्पतालों के मरीज अमानक दवाईयों का करते है सेवन, स्वास्थ्य दावों की खुली पोल

रीवा। सरकारी अस्पतालों में जो लोग इलाज करवाने आते है उनको मुफ्त के नाम पर शासन अमानक स्तर की दवाईया बांट रही है। इन दवाईयों की गुणवत्ता सही नहीं है और इसका सेवन करने से मरीजों को कोई लाभ नहीं मिलता है। इन दवाईयों की क्वालिटी पर सवार खड़ा करते हुए डाक्टरों ने आज इनकी होली जलाई है और शासन का भी ध्यान इस समस्या की ओर आकर्षित किया है।
बताया गया है कि सरकार की अस्पतालों में बंटने वाली मुफ्त की दवाईयां क्वालिटी के दृष्टिकोण से काफी घटिया है। जो लोग अस्पताल में इलाज करवाने आते है उनको शासन मुफ्त में दवाईयां वितरित करता है लेकिन इन दवाईयों का सेवन करने से उसकी बीमारी में कोई सुधार नहीं हो पायेगा। अस्पताल में मरीज भर्ती होते है लेकिन घटिया दवाईयों की वजह से स्वस्थ्य नहीं होते हे जिसकी वजह से डाक्टरों के इलाज पर सवाल खड़े हो रहे है। जो दवाईयां सप्लाई होती है उनको घटिया रूप से बनाकर अस्पतालों में भेज दिया जाता है।
बताया गया है कि सरकारी अस्पतालों की इन अमानक दवाईयों की सप्लाई पर आज डाक्टर्स आक्रोशित हो गये और उन्होंने मेडिकल कालेज परिसर में इन दवाओं की होली जलाई है। उन्होंने सांकेतिक रूप से सभी दवाईयों के कागज में नाम लिखकर उनकी होली जलाई है। उन्होंने शासन का ध्यान इन घटिया दवाओं की ओर आकर्षित किया हे और इनकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए है।
डॉक्टर्स ने ये कहा
आंदोलन के बाद डाक्टरों ने इन दवाईयों की क्वालिटी पर कई गंभीर आरोप लगाये है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में जो दवाईयां सप्लाई हो रही है वे मानक दृष्टिकोण से सही नहीं है। उनको प्रोडेक्शन अमानक स्तर का किया जा रहा है। 500 एमजी की दवाईया 200 एमजी की बनाकर सप्लाई की जाती है जिससे मरीज की सेहत में कोई सुधार नहीं होता है।
हम मरीज को दवाई लिखते है लेकिन जब उनकी क्वालिटी सही नहीं है तो मरीज की सेहत को कैसे सुधारेगी। अस्पतालों में अच्छी कंपनी की मानक दवाईयां सप्लाई की जाये। यह किसी के जीवन का प्रश्न होता है जिससे इसको लेकर ऐसी नीति बनानी चाहिए जो मरीजों के हित में हो।
आधे इलाज के बाद मरीज को लेकर दूसरे प्रांतों में चले जाते है परिजन
अस्पताल में मरीज इलाज के लिए भर्ती होता हे लेकिन घटिया दवाईयों की वजह से उसकी तबियत में सुधार नहीं होता है। इसकी वजह से परिजन आधे इलाज के बाद ही मरीज को लेकर अस्पताल से दूसरे प्रांतों के बड़े अस्पतालों में चले जाते है। इससे अस्पताल की व्यवस्था पर भी सवाल खड़े होते है। इन दवाईयों की वजह से मरीजों की सेहत में कोई सुधार नहीं होता है।