MP News: घरों को तोड़ना नागरिक निकायों के लिए फैशन बन गया, एमपी HC की अहम टिप्पणी
उच्च न्यायालय की इंदौर खण्डपीठ ने की उज्जैन सरकार की खिंचाई
इंदौर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने उज्जैन में नागरिक निकाय को अवैध विध्वंस पर दो महिलाओं को 1-1 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया और कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किए बिना स्थानीय निकायों के लिए घरों को तोड़ना फैशन बन गया है। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने संदीपनी नगर की राधा लांगरी और विमला गुर्जर की रिट याचिका को स्वीकार करते हुए ये निर्देश दिए, जिन्होंने एमपी नगर निगम के प्रावधानों की अनदेखी करते हुए 13 दिसंबर, 2022 को नागरिक अधिकारियों द्वारा उनके घरों के विध्वंस को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की एकल पीठ ने कहा, जैसा कि इस अदालत ने बार-बार देखा है, स्थानीय प्रशासन और स्थानीय निकायों के लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किए बिना कार्यवाही तैयार करके और इसे अखबार में प्रकाशित करके किसी भी घर को ध्वस्त करना अब फैशन बन गया है।
अदालत ने रिट याचिका को स्वीकार करते हुए नागरिक निकाय को यह भी निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं को चार सप्ताह के भीतर सुनवाई का अवसर दिए बिना उनके घर के अवैध विध्वंस के लिए मुआवजे के रूप में 1 लाख रुपये का भुगतान करे। इसने नगर निगम आयुक्त को जाली स्पॉट पंचनामा तैयार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का भी निर्देश दिया।
आदेश में कहा गया है, याचिकाकर्ताओं को भवन निर्माण की अनुमति के लिए आवेदन करके, आयुक्त के समक्ष कंपाउंडिंग करके अपने निर्माण को वैध बनाने का भी निर्देश दिया जाता है और नगर निगम के खिलाफ यहां दी गई टिप्पणियों से पूर्वाग्रह के बिना इस पर कानून के अनुसार विचार किया जाएगा।