MP News: एमपी में चालीस करोड़ की आयुर्वेदिक फैक्ट्री अब नहीं कर पा रही दो करोड़ का भी कारोबार

एमएफपी पार्क में बार-बार अधिकारियों के रखने-हटाने से उत्पादन घटा 

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भोपाल। लघुवनोपज संघ की इकाई लघु वनोपज प्रसंस्करण केंद्र बरखेड़ा पठानी में सीईओ के पद पर सीनियर आईएफएस को दरकिनार कर अनुभवहीन और जूनियर की पदस्थापना किए जाने विंध्या हर्बल्स के आयुर्वेदिक उत्पादों के उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है। प्रबंध संचालक विभाष ठाकुर की कार्यशैली से प्रशासनिक अस्थिरता का माहौल बनता जा रहा है। 


गंभीर तथ्य यह है कि विभाष ठाकुर के एमडी बनने से पहले तक लगभग 40 करोड़ का उत्पादन करने वाली संस्था दो करोड़ रुपए का उत्पादन भी नहीं कर पा रही है। एक वर्ष में तीन सीईओ (आईएफएस) और तीन उत्पादन प्रबंधक (एसडीओ) बदलने के कारण एमएफपी पार्क में पूरी उत्पादन प्रक्रिया चरमरा गई है। 


लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक विभाष ठाकुर के कार्यकाल में अब तक सीईओ एवं सीसीएफ पीजी फुलझेले, प्रमोटी डीएफओ अर्चना पटेल और अब जूनियर आईएफएस गीतांजलि जे. की सीईओ के पद पर पदस्थापना हुई है। इसी तरह गड़बड़ियों के नाम पर उत्पादन प्रबंधक एसडीओ बीएस पिल्लई को 12 जनवरी 24 को हटाया गया था, लेकिन जिन कारणों से हटाया गया, उसका निराकरण आज तक नहीं हुआ है।


 पिल्लई के हटने के बाद रेंजर सुनीता अहिरवार को एसडीओ का प्रभार देकर उत्पादन उप प्रबंधक बना दिया गया। उनके कार्यकाल में रॉ-मटेरियल की खरीदी से लेकर गुणवत्ताहीन दवाइयों के उत्पाद के मामले प्रकाश में आए। इसी वजह से एमएफपी पार्क की साख गिरी है। सितंबर 2024 में अहिरवार को हटाने के बाद एमडी ठाकुर ने एसडीओ मणिशंकर मिश्रा को उत्पादन उप प्रबंधक के पद पर पदस्थ कर दिया।


मिश्रा को आयुष विभाग द्वारा एक करोड़ 70 लाख रुपए की आयुर्वेदिक उत्पाद तैयार कर सप्लाई का लक्ष्य दिया गया। मिश्रा ने एमडी द्वारा निर्धारित लक्ष्य को 90 प्रतिशत से अधिक पूरा कर लिया। उसके बावजूद एमडी ने मिश्रा की जगह रेंजर प्रियंका बाथम को एसडीओ का प्रभार देने की स्थिति निर्मित कर दी और उत्पादन उप प्रबंधक बना दिया गया। एमडी के बार-बार बदलते निर्णय की वजह से एमएफपी पार्क में न केवल प्रशासनिक अस्थिरता हुई, बल्कि इसका असर उत्पादन पर भी पड़ रहा है।


 दिलचस्प पहलू यह भी है कि जिन अधिकारियों को हटाया गया, उनके भ्रष्टाचार की जांच नहीं हुई और रिपोर्ट तक नहीं आई। आयुष विभाग के 1.8 करोड़ के ऑर्डर को सप्लाई नहीं करने और गुगुल खरीदी में भ्रष्टाचार करने वाली अहीरवार की जांच आज तक तक शुरू नहीं हुई। अंदरखाने की खबर है कि जानबूझ कर भ्रष्टाचार को संरक्षण दिया गया है। यह स्थिति तब है, जब तत्कालीन एएमडी मनोज अग्रवाल ने जांच के लिए पत्र भी लिखा था।


उत्पादन मिश्रा से वापस लिया डीडीओ का प्रभार
वर्तमान एसडीओ उत्पादन प्रबंधक ने एक महीने में आयुष विभाग के 1.8 करोड़ के ऑर्डर पर 90 प्रतिशत से अधिक की सप्लाई कर दी थी और 11 करोड़ का नया ऑर्डर भी मिल गया था। वे अपने दो आला अफसरों की श्रेष्ठता की लड़ाई में पंस गए। लिहाजा उनसे डीडीओ का प्रभार ले लिया गया। इसका असर यह हुआ कि अभी तक 11 करोड़ के ऑर्डर का काम चालू नहीं हो पाया है।


नए ऑर्डर सप्लाई में नहीं हो रहा काम
एसडीओ मिश्रा से डीडीओ का प्रभार लेने के बाद अब नए एसडीओ की पोस्टिंग कराने के लिए पत्र भी लिख दिया है। एसडीओ की नई पोस्टिंग से पहले रेंजर प्रियंका बाथम को उत्पादन शाखा में कार्य शुरू करने के आदेश दिए हैं। रेंजर प्रियंका बाथम को रिटेल का प्रभार दिया गया था, लेकिन रिटेल में कार्य नहीं कर उत्पादन में हस्तक्षेप करना शुरू किया है। 


यहां तक की फाइलों में खुद को असिस्टेंट मैनेजर की जगह डिप्टी मैनेजर लिखती हैं। एसडीओ का प्रभार लेने की जुगाड़ में मिश्रा द्वारा आयुष ऑर्डर सप्लाई करने के दौरान किए गए कार्यों के भुगतान भी रोक दिया है। इससे नए ऑर्डर सप्लाई में कोई काम नहीं हो रहा है।