MP News: मुस्लिम महिला के मरने के बाद ब्राह्मण के बेटे ने ले ली अनुकंपा नियुक्ति, 26 साल बाद खुला राज

 स्वास्थ्य विभाग में अनुकंपा नियुक्ति में बड़ा फर्जीवाड़ा आया सामने 

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high court

ग्वालियर। मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग की टैग लाइन 'एमपी अजब है, सबसे गजब हैÓ ..इस  खबर के लिए एक दम फिट बैठती है। दरअसर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में अनुकंपा नियुक्ति में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। और सबसे गजब बात यह है कि जिस महिला कर्मचारी की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति दी गई, उससेनियुक्ति पाने वाले का कोई संबंध ही नहीं था। 26 साल से अनुकंपा नौकरी करने वाले कर्मचारी की ट्रेनिंग कराने जब दस्तावेज खंगाले तो इसका खुलासा हुआ। इस अनुकंपा नियुक्ति की गड़बड़ी का मामला हाईकोर्ट पहुंचा।

मप्र कर्मचारी कांग्रेस की याचिका पर कलेक्टर को इस मामले में जल्द फैसला करने का आदेश दिया गया। हाईकोर्ट में दायर याचिका में अधिवक्ता योगेश चतुर्वेदी ने बताया कि 27 जुलाई 1982 को उज्जैन के स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ नर्स ताहिरा बानो का निधन हो गया था। उनके निधन के 16 साल बाद सुनील पटेरिया ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया। उसने बताया कि उसकी मां ताहिरा पटेरिया का निधन हो गया है। निधन के वक्त वह नाबालिग था, इसलिए उसे अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। उसकी अनुकंपा नियुक्ति के लिए एक जांच कमेटी भी बनी, लेकिन कमेटी के सामने रिकॉर्ड पेश नहीं हो सका। सागर ट्रेनिंग के दौरान दस्तावेज की जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया।

सुनील पटेरिया के पिता छेटीलाल मध्यप्रदेश पुलिस में आरक्षक थे, वह 2003 में सेवानिवृत्त हुए थे। मां कली देवी पाठक भी शासकीय नौकरी में थीं, लेकिन सुनील पटेरिया ने ताहिरा बानो की जगह पर नियुक्ति ली। इससे उनका कोई संबंध भी नहीं है। अनुकंपा नियुक्ति के लिए दस्तावेज में छेड़छाड़ की गई, ताहिरा बानो के मृत्यु प्रमाण पत्र में ताहिरा पटेरिया नाम लिखवा दिया। 21 जुलाई 1998 को अनुकंपा नियुक्ति ली थी। सुनील पटेरिया ग्वालियर के स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ हैं। सुनील के बिना ट्रेनिंग नौकरी करने की शिकायत हुई तो उसे ट्रेनिंग कराने सागर भेजने दस्तावेज जांचे तो मामले का खुलासा हुआ।

कलेक्टर के पास लंबित पड़ी इसकी जांच
तथ्यों को छिपा दिया गया। सितंबर 2023 को जांच कमेटी बनाई गई, तब से यह मामला कलेक्टर के पास लंबित है, लेकिन कलेक्टर ने कोई कार्रवाई नहीं की है। कोर्ट ने इस मामले में कलेक्टर को जल्द फैसला लेने का आदेश दिया था।