MP High Court : ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर हाई कोर्ट की रोक, कांस्टेबल भर्ती की सूची रोकी

चार सप्ताह में सरकार से मांगा जवाब, 14 प्रतिशत के हिसाब से पुनः तैयार की जाएगी सूची
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मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2020-21 की अंतिम भर्ती सूची पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने शासन से कहा है कि ओबीसी वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण देते हुए दोबारा सूची तैयार की जाए। शासन को इस मामले में चार सप्ताह में अपना जवाब प्रस्तुत करना है। व्यापमं ने कांस्टेबल भर्ती परीक्षा की चयन सूची 27 प्रतिशत के हिसाब से जारी की थी। इस पर कोर्ट ने रोक लगा दी है।

वर्ष 2019 में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए लोकसेवा आरक्षण संशोधन अधिनियम 2019 पारित करते हुए शिक्षा में प्रवेश और अन्य राज्य सेवाओं में ओबीसी वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया गया। वर्ष 2020-21 में व्यासायिक परीक्षा मंडल ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की थी। कांस्टेबल के 6000 पदों के लिए आयोजित इस परीक्षा में ओबीसी वर्ग को संशोधित अधिनियम के तहत 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया।


0.98 अंक से चयनित होने से चूक गया याचिकाकर्ता

याचिकाकर्ता राहुल शर्मा भी इस परीक्षा में शामिल हुआ था। उसने अनारक्षित कैटेगरी से आवेदन किया था। वर्ष 2021 जून में लिखित परीक्षा हुई और याचिकाकर्ता इसमें सफल हो गया। वर्ष 2022 में उसका फिजिकल भी हुआ। नवंबर 2022 में व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने कांस्टेबल भर्ती की अंतिम सूची जारी की, जिसमें याचिकाकर्ता का नाम शामिल नहीं था। वह 0.98 अंक से चयनित होने से चूक गया था।    

कोर्ट ने सरकार से चार सप्ताह में मांगा जवाब

राहुल शर्मा ने व्यापमं द्वारा जारी कांस्टेबल भर्ती की अंतिम सूची और अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए लोकसेवा आरक्षण संशोधन अधिनियम 2019 के संशोधनों को चुनौती देते हुए एडवोकेट हितेश बिहरानी के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी। सोमवार को न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति पीसी गुप्ता के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती सूची पर रोक लगाते हुए शासन से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।   

अन्य 63 याचिकाएं लंबित 

याचिकाकर्ता की तरफ से हाई कोर्ट को बताया गया कि ओबीसी आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने से कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से ज्यादा हो गया है। मप्र हाई कोर्ट की मुख्यपीठ के समक्ष अधिनियम में किए गए संशोधन को चुनौती देते हुए 63 अलग-अलग याचिकाएं लंबित हैं। इन सभी में कोर्ट ने अंतिम चयन सूची जारी करने पर रोक लगा रखी है, लेकिन कांस्टेबल भर्ती परीक्षा को चुनौती देते हुए यह पहली याचिका है।