MP News: माँ गई राशन लेने, नाबालिग बच्ची ने खुद को लगा ली आग

पड़ोसी ने दरवाजा तोड़कर निकाला, इलाज के दौरान हुई मौत
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ग्वालियर में एक 14 वर्षीय नाबालिग बच्ची ने घर में बने टॉयलेट में जाकर खुद को आग लगा ली। आग लगते ही नाबालिग चीखने लगी। आवाज सुनते ही पड़ोसी उसके घर पहुंचे, लेकिन टॉयलेट का दरवाजा अंदर से लॉक था। पड़ोसियों ने तत्काल टॉयलेट का दरवाजा तोड़कर नाबालिग को घायल अवस्था में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। यहां उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।घटना 12 फरवरी की है। 

नाबालिग की मौत की सूचना लगते ही पुलिस मौके पर जा पहुंची। नाबालिग के शव को निगरानी में लेकर पीएम कराने के बाद परिजनों को अंतिम संस्कार की सौंप दिया।नाबालिग बच्ची के मामा के लड़के उपेंद्र ने बताया कि बच्ची का इलाज कराने के लिए अगले महीने आगरा जाने वाले थे। बच्ची की मां रानी जब भी बाजार जाया करती थीं, तो अक्सर घर का दरवाजा बंद करके जाया करती थी। हजीरा थाना प्रभारी संतोष सिंह भदौरिया का बताया कि मामला पंजीबद्ध कर जांच शुरू कर दी है।

यह है पूरा मामला

ग्वालियर हजीरा थानाक्षेत्र इलाके के रामनगर लूट पुरा में रहने वाले सतेन्द्र सिंह की 14 वर्षीय बेटी लक्ष्मी ने 12 फरवरी दोपहर 10 बजे के समय अपनी बुआ के घर में बने टॉयलेट में खुद को आग लगा ली। आग लगते बच्ची जोर-जोर से चीखने चिल्लाने लगी। MP News: बच्ची की चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर आसपास के पड़ोसी घर पहुंचे, लेकिन घर के दरवाजे पर ताला लगा हुआ था। पड़ोसी कमरे का दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुए, लेकिन बच्ची कमरे में नहीं थी। जब टॉयलेट से बच्ची की आवाज सुनाई दी, इसके बाद पड़ोसियों ने टॉयलेट का दरवाजा भी तोड़कर बच्ची को घायल अवस्था में निकाला। अब तक बच्चे काफी बुरी तरह से जल चुकी थी। उसे तत्काल इलाज के लिए जयारोग्य अस्पताल के बर्न यूनिट में भर्ती कराया गया। यहां बच्ची ने शनिवार देर रात इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

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बच्ची ने खुद को लगाई आग 

बच्ची ने जब खुद को आग लगाई तो उसकी मां रानी बाजार राशन खरीदने गई हुई थी। बच्ची घर में अकेली सो रही थी, तो वह घर का ताला लगा कर चली गई थी। पता यह भी चला है कि बच्ची जन्म से ही मानसिक रूप से कमजोर थी। उसका इलाज चल रहा था। बच्ची अपनी रानी और बड़ी बहन के साथ अपनी बुआ के घर रामनगर लूट पुरा में रहती थी। मृतक बच्ची की बड़ी बहन साईं बाबा मंदिर के पास अपोलो हॉस्पिटल में केयरटेकर की नौकरी करती हैं। पिता सत्येंद्र सिंह गांव में ही रहते हैं।