MP News: प्रभारी मंत्रियों की बाट जोह रहे प्रदेश के जिले, 7 महीने बाद भी नहीं हो सका बंटवारा

जिलों से जुड़े तमाम महत्वपूर्ण मुद्दे, क्षेत्र की समस्याओं सहित विकास कार्य हो रहे प्रभावित

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Dr. Mohan Yadav

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रियों को पिछले सात महीने से प्रभार का जिला मिलने का इंतजार है। इस इंतजार के बीच में एक बार मंत्रिमंडल का विस्तार भी हो चुका है, लेकिन अब तक मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं मिला है। पूर्व की सरकारों में आमतौर पर मंत्रियों को जिलों का प्रभार दिए जाने में इतना वक्त नहीं लगा। वहीं राज्यमंत्री भी इस इंतजार में हैं कि कैबिनेट मिनिस्टर और उनके बीच में काम-काज का बंटवारा हो जाए तो वे अपना काम सुचारू रूप से कर सकें।


जिलों की निगरानी और स्थानीय मुद्दों को सरकार के ध्यान में लाने के लिए मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपा जाता है। सरकार की तमाम योजनाओं और विकास कार्यों की निगरानी का जिम्मा वैसे तो संबंधित मंत्री का होता है, लेकिन जिलों में इनका क्रियान्वन ठीक ढंग से हो, इसके लिए मंत्रियों को जिले आवंटित किए जाते हैं। प्रभारी मंत्री संबंधित जिलों का समय-समय पर दौरा करते हैं और इस दौरान जिलों से जुड़े तमाम महत्वपूर्ण मुद्दे, क्षेत्र की समस्याओं को प्रभारी मंत्री के जरिए सरकार तक संज्ञान में लाना आसान हो जाता है। 


प्रभारी मंत्री जिले में होने वाले तमाम विकास कार्यों और सरकार की योजनाओं को लेकर हर माह समीक्षा बैठके करते हैं। प्रभारी मंत्री एक तरह से जिले का प्रमुख होता है। जिले में हर माह होने वाली जिला योजना समिति की बैठक का प्रभारी भी प्रभारी मंत्री ही होते हैं। इसलिए जिलों में प्रभारी मंत्री की अहम भूमिका रहती है।
 

55 जिले मंत्री 31 
मध्य प्रदेश में 55 जिले हैं, जिनका प्रभार 31 मंत्रियों के बीच में बांटा जाना है। दरअसल कई बार इस पर मंथन हुआ, लेकिन यह तय नहीं हो पा रहा कि किस मंत्री को कौन का जिला दिया जाए। वहीं लोकसभा चुनाव की तैयारियों के दौरान भी सभी का ध्यान चुनाव पर ही ज्यादा रहा। इसके चलते भी मंत्रियों को जिलों का प्रभार दिए जाने से बचा जाता रहा।


इसका भी है इंतजार ...
इधर राज्यमंत्रियों को भी इंतजार है कि उनके और कैबिनेट मंत्री के बीच में कामकाज का बंटवारा कब तक होगा। इस इंतजार में सभी राज्यमंत्रियों ने सात माह का वक्त निकाल दिया। प्रदेश में नरेंद्र शिवाजी पटेल, प्रतिभा बागरी, दिलीप अहिरवार, राधा सिंह चार राज्यमंत्री हैं।


ये काम हो रहे प्रभावित 
प्रभार के जिलों का वितरण न होने से जिला विकास परियोजनाओं की समीक्षा बैठकें नहीं हो पा रहीं। हर महीने प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठकों में जिले की अन्य समस्याओं का निराकरण हो जाता है। ऐसे मामले भी अटकें हैं। जिला स्तर पर होने वाले तबादलों में प्रभारी मंत्री की मंजूरी लगती है। जियोस का पदेन अध्यक्ष प्रभारी मंत्री और सचिव कलेक्टर रहते हैं।


यह है प्रभारी मंत्री का काम

  • शासन की योजनाओं को जिला स्तर पर गति देना।
  • योजनाओं की मॉनिटरिंग और नियमित समीक्षा।
  • जिला प्रशासन के कामों पर नजर रख कसावट बनाए रखना।
  • जिला स्तर पर तबादलों की मंजूरी।
  • स्थानीय स्तर पर लोगों की समस्याओं का निराकरण भी प्रभारी मंत्री कर सकते हैं।