South East Central Railway Bilaspur: 3655 महिलाओं के बूते तेजी से आगे बढ़ रहा दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे

बिलासपुर। लैंगिक समावेशिता और नेतृत्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, महिलाएं विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिकाओं में भारतीय रेलवे के परिदृश्य को फिर से परिभाषित कर रही हैं । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे 3655 महिलाओं के साथ एक प्रकाश स्तंभ के रूप में खड़ा है, जो परिचालन, सुरक्षा, गार्ड-ड्राइवर, इंजीनियरिंग और सार्वजनिक इंटरफेस के साथ स्टेशन प्रबंधन सहित विभिन्न विभागों में सक्रिय रूप से योगदान दे रही हैं ।
मिसाल कायम कर रहीं नीनू इटियेरा
इस परिवर्तनकारी प्रयास की अगुआई 1988 बैच की आईआरटीएस अधिकारी नीनू इटियेरा कर रही हैं, जो एक मिसाल कायम कर रही हैं । उनके मार्गदर्शन में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है ।
श्रीमती प्रतिभा बंसोड़ ने रायपुर डिवीजन की पहली डेमू पायलट के रूप में इतिहास रचा है, उन्होनें दक्षिणी छत्तीसगढ़ के दूरदराज नक्सल प्रभावित इलाकों में ट्रेनों को चलाया है । उनके द्वारा पैसेंजर ट्रेन को बस्तर के गुदुम स्टेशन तक चलाया गया ।
इतवारी में अश्लेषा, गोंदिया में सिमी अरोड़ा
इस बदलाव का एक और उदाहरण यह है कि नागपुर डिवीजन के इतवारी स्टेशन का प्रबंधन पूरी तरह से महिलाओं द्वारा किया जा रहा है, जिसमें श्रीमती अश्लेषा पाटिल यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस) का नेतृत्व कर रही हैं ।
इसी तरह, गोंदिया स्टेशन पर यात्री सेवाओं की देखरेख सिमी अरोड़ा द्वारा कुशलतापूर्वक की जाती है, जबकि श्रीमती ज्योति गोथमगे कान्हा क्षेत्र के नैनपुर स्टेशन पर परिचालन का नेतृत्व करती हैं ।
आरपीएफ में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं सुनीता मिंज
सुरक्षा भूमिकाओं में सुनीता मिंज जैसी महिलाएं अंबिकापुर आरपीएफ पोस्ट को सुरक्षित करके अग्रणी भूमिका निभा रही हैं, जो परंपरागत रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर रही हैं । यह विविधता शौचालय और रनिंग रूम जैसी आवश्यक सुविधाओं तक फैली हुई है, जो कभी केवल पुरुषों के लिए थीं, अब एक अधिक समावेशी रेलवे पारिस्थितिकी तंत्र को दर्शाती हैं । ये पहल भारतीय रेलवे की अधिक ग्राहक-केंद्रित और समावेशी बनने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं, जो अपने परिचालन स्पेक्ट्रम में महिलाओं की विविध प्रतिभाओं और नेतृत्व का लाभ उठाती हैं ।