Umariya News: उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दो दिनों में सात जंगली हाथियों की मौत

बांधवगढ़ में हाथियों की मौत पर बोले डिप्टी सीएम: घटना दुर्भाग्यपूर्ण पर ज्यादा जानकारी नहीं है

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उमरिया। उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दो दिनों में जंगली हाथियों की मौत का आंकड़ा सात तक पहुंच गया है। तीन हाथियों की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। हाथियों की मौत के मामले की जांच के लिए भोपाल से एसआईटी बनाई गई है। एसआईटी जांच के लिए बांधवगढ़ पहुंच गई है। पार्क प्रबंधन ने डॉग स्क्वाड की भी सहायता ली गई है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अफसर भी बुधवार शाम तक बांधवगढ़ पहुंच जाएंगे। मध्यप्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में हाथियों की मौत का यह पहला मामला है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक दिन पहले चार जंगली हाथियों की मौत हो गई थी। चार हाथियों ने आज दमतोड़ दिया है।


 बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मैदानी अफसरों का कहना है कि विषात कोदो खाने से उनकी मौत हुई है। यह घटना बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पनपथा बफर जोन अंतर्गत ग्राम बकेली-सलखनिया के पास की बताई जा रही है। वन्यजीव स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम, संजय टाइगर रिजर्व व जबलपुर स्थित स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ के विशेषज्ञों ने मौके पर पहुंचकर बीमार हाथियों का इलाज शुरू कर दिया है।


मध्यप्रदेश टाइगर स्ट्राइक फोर्स और नेशनल वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की टीमें भी घटना की जांच कर रही हैं। हाथियों की मौत का असल कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक जांच की जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद यह खुलासा होगा कि मौत कैसे हुई है।


यहां बन गया जंगली हाथियों का रहवास
प्रदेश के उमरिया जिले के टाइगर रिजर्व बांधवगढ़ में साल 2018 से कर्नाटक, झारखंड और छत्तीसगढ़ के रास्ते पहुंचे जंगली हाथियों ने अपना रहवास बना लिया था। वर्तमान में अलग-अलग झुंड में तकरीबन 70 से 80 जंगली हाथी बांधवगढ़ के अलग-अलग क्षेत्रों में विचरण कर रहे हैं। प्रबंधन हाथियों से ग्रामीणों की सुरक्षा और फसलों के बचाव के लिए प्रयास करता है, लेकिन जंगली हाथी गाहे-बगाहे गांवों में नुकसान करने पहुंच ही जाते हैं।


कीटनाशक का किया गया था छिड़काव
अनुमान लगाया जा रहा है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व अंतर्गत गांवों में धान की फसल को कीटों से बचाने के लिए किसानों ने रासायनिक दवा का छिड़काव किया था। इससे जंगली हाथियों ने खा लिया और उनकी मौत हो गई है। अधिकारी अभी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।


उनका सिर्फ इतना कहना है कि अभी पहली प्राथमिकता बीमार हाथियों के उपचार की है। वन प्रबंधन हाथियों से ग्रामीणों की सुरक्षा और फसलों के बचाव के लिए प्रयास करता है, लेकिन जंगली हाथी घूमते-फिरते गांवों में नुकसान करने पहुंच जाते हैं। इससे यह प्रतीत होता है कि कहीं ना कहीं यह मामला जहर खुरानी से तो नहीं जुड़ा हुआ है। अब पार्क प्रबंधन पीएम होने के बाद ही यह बता पाएगा कि मामले की असलियत क्या है।


दफनाने के लिए 300 बोरी नमक मंगाया गया
आठ डॉक्टरों की टीम हाथियों का पोस्टमॉर्टम करने में लगी है। पीएम के बाद हाथियों को दफनाया जाएगा। इसके लिए 300 बोरी नमक मंगाया गया है। दो जेसीबी की मदद से गड्ढे खुदवाए जा रहे हैं। बीमारी की गंभीर हालत को देखते हुए तीन हाथियों के इलाज में बांधवगढ़, संजय टाइगर रिजर्व समेत कटनी, उमरिया और स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ जबलपुर के वेटरनरी डॉक्टर जुटे हैं। भोपाल से एसटीएफ फॉरेस्ट की टीम भी पहुंची है। पांच किमी के एरिया में जांच की जा रही है।