Shubh Muhurt: जमीन, वाहन, घर खरीदने कल है सबसे अच्छा मुहूर्त, 77 साल बाद मकर सक्रांति पर बन रहे दुर्लभ योग

पांच साल बाद सोमवार को पड़ेगा महापर्व मकर सक्रांति

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makar sankranti

15 जनवरी को मकर संक्रांति है। इस दिन पुण्य काल सुबह काल 7 बजकर 15 मिनट से लेकर संध्याकाल 5 बजकर 46 मिनट तक है। वहीं महापुण्य काल सुबह 7 बजकर 15 मिनट से लेकर 9 बजे तक है। इस दौरान पूजा, जप, तप और दान-पुण्य किया जाना श्रेष्ठ रहेगा।

15 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ खरमास खत्म होगा। इसके साथ ही पांच साल के बाद सोमवार को संक्रांति पड़ेगी। सोमवार के दिन भगवान शिव की आराधना का दिन होने के कारण मकर संक्रांति का महत्व भी बढ़ जाएगा। इस दिन दो और दुर्लभ योग बन रहे हैं। सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। खरमास का समापन होगा और मांगलिक कार्यों की भी शुरुआत हो जाएगी।  सनातन धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान कर पूजा, जप, तप और दान-पुण्य किया जाता है। शास्त्रों में निहित है कि मकर संक्रांति तिथि पर गंगा स्नान कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से सकल मनोरथ सिद्ध होते है। 

 

दिन भर रहेगा मुहूर्त
डॉ एन पी मिश्र के अनुसार मकर संक्रांति पर पूरे दिन वरीयान योग रहेगा। वरीयान योग की शुरुआत 14 जनवरी को मध्यरात्रि में 2:40 बजे से होगी और यह योग 15 जनवरी की रात 11:10 बजे तक रहेगा। वरीयान योग में जमीन खरीदना, नई गाड़ी खरीदना,  गृह प्रवेश,  मुंडन, घर का निर्माण शुरू करना शुभ फल देता है। यह खास वरीयान योग 77 साल बाद बनने जा रहा है। रवि और वरीयान योग के कारण इस महापर्व का महत्व अधिक बढ़ जाएगा। इसके साथ ही पांच साल के बाद मकर संक्रांति का पर्व सोमवार को पड़ेगा। सोमवार के दिन भगवान शिव की आराधना का दिन होने के कारण मकर संक्रांति का महत्व भी बढ़ जाएगा।

 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चिरकाल में राजा भागीरथ ने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने हेतु मां गंगा की कठिन तपस्या की थी। मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरित होने के पश्चात राजा भागीरथ के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। अत: संक्रांति तिथि पर पूर्वजों का तर्पण एवं पिंडदान भी किया जाता है। ज्योतिषविद् पं. डॉ. एन पी मिश्र महाप्रबंधक शिवधाम मंदिर वैढऩ के अनुसार मकर संक्रांति तिथि पर रवि योग समेत कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में गंगा स्नान कर पूजा, जप, तप करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर 77 सालों के बाद वरीयान योग बन रहा है। इसके साथ ही रवि योग का संयोग इसे बेहद खास बना रहा है।