MP politics: अधिकतर मौजूदा कांग्रेस विधायकों को फिर मिलेगा टिकट, कमलनाथ-दिग्विजय ने दिए बड़े संकेत

कमलनाथ के आंतरिक सर्वे के आधार पर हो रहा फैसला
 
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मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर राजनीतिक पार्टियों की रणनीति अंतिम चरण में है। सबसे अधिक माथापच्ची टिकट बंटवारे को लेकर होता है ऐसे में राजनैतिक दल यह काम एक एजेंडे के तहत फुर्सत में निपटा देना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस की ओर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है सूत्रों का कहना है कि इस बार पार्टी अपने मौजूदा विधायकों को ज्यादा से ज्यादा टिकट देगी।


हालांकि पदाधिकारी ऑन रिकॉर्ड तो कुछ नहीं बोल रहे है लेकिन ऑफ रिकॉर्ड मीडिया से खूब चर्चा की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ ने कांग्रेस विधायक दल के 96 विधायकों में से 37 को हरी झंडी दे दी है क्योकि इनकी रिपोर्ट अनुकूल है। जिन विधायकों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है उनमें मालवा निमाड़ के अधिकांश कांग्रेसी विधायक शामिल हैं सूत्रों का कहना है कि मालवा निमाड़ से केवल 3 विधायकों का प्रदर्शन खराब माना जा रहा है। इनमें एक एक उज्जैन और खरगोन जिले से और एक धार जिले का है।


इनको टिकट मिलना फाइनल
इंदौर के तीनों कांग्रेसी विधायकों को फिर से टिकट मिलना निश्चित है। अभी इंदौर में क्षेत्र क्रमांक 1 से संजय शुक्ला, राऊ विधानसभा से जीतू पटवारी और देपालपुर से विशाल पटेल विधायक है। कमलनाथ के सर्वेक्षण में इन तीनों की रिपोर्ट अनुकूल है। संजय शुक्ला और जीतू पटवारी की रिपोर्ट अनुकूल मिलना महत्वपूर्ण है क्योकि इन भाजपा के गढ़ है। लोकसभा, मेयर के चुनाव और पार्षद के चुनावों से यह जाहिर हुआ है कि विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 1 और राऊ विधानसभा भाजपा के लिए अनुकूल हैं लेकिन संजय शुक्ला और जीतू पटवारी ने अपने व्यक्तिगत करिश्मे के बलबूते यहां कांग्रेस को जिंदा रखा है। कमलनाथ की रिपोर्ट कहती है कि संजय शुक्ला और जीतू पटवारी 2023 में फिर से विधानसभा चुनाव जीतने की स्थिति में है। मालवा निमाड़ के अन्य प्रमुख विधायक जैसे डॉ विजयलक्ष्मी साधो, सचिन यादव, सुरेंद्र सिंह हनी बघेल, प्रताप ग्रेवाल, झूमा सोलंकी, डॉ हीरालाल अलावा फिर से चुनाव जीतने की स्थिति में हैं। धार जिले में गंधवानी के विधायक उमंग सिंघार के खिलाफ जिस तरह से दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था और जिसके बाद वे 6 महीने से अधिक समय तक फरार थे उससे ऐसा लगा कि इस बार उन्हें टिकट नहीं मिलेगा लेकिन हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद पार्टी ने उमंग को कर्नाटक में पर्यवेक्षक बनाकर महत्वपूर्ण जवाबदारी दी है। इससे स्पष्ट है कि राहुल गांधी के दरबार में उमंग सिधार की पुरानी हैसियत बनी हुई है।


दिग्विजय सिंह लगातार कर रहे हैं भ्रमण
जाहिर है गंधवानी से टिकट उन्हें ही मिलने जा रहा है। दिग्विजय सिंह ने हाल ही में मालवा और निमाड़ की कांग्रेस की दृष्टि से कमजोर कुछ सीटों की राजनीतिक यात्रा की थी, जिसमें उन्होंने कार्यकर्ताओं से संवाद किया। अपने दौरे में दिग्विजय सिंह ने भी यही संकेत दिया कि अधिकांश मौजूदा विधायकों को पार्टी फिर से टिकट देने जा रही है। सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ पिछले कुछ दिनों से भोपाल में अपने निवास पर लगातार बैठकें कर रहे है और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीति बनाने में व्यस्त है। आज भी उन्होंने भोपाल में कांग्रेस के संगठन मंत्रियों की बैठक बुलाई है।


भाजपा के मजबूत किलों को तोड़ना कांग्रेस की चुनौती
जाहिर है कांग्रेस 2023 के लिए तैयारी कर रही है। कमलनाथ के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती मालवा निमाड़ के भाजपा के गढ़ को तोड़ना है। पंचायत और नगरीय निकाय दोनों ही चुनाव में भाजपा यहां बेहद मजबूत रही है। कमलनाथ यही चिंता है कि इंदौर का भाजपा का दुर्ग किस तरह से भेदा जाए। कांग्रेस ने नगर निगम चुनाव में भाजपा को घेरने की बहुत कोशिश की थी लेकिन वह सफल नहीं हो पाई। पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव से पूर्व ओबीसी आरक्षण के मामले को कांग्रेस ने बड़ा मुद्य बनाया था। कांग्रेस ने पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग को रिझाने की भरपूर कोशिश की लेकिन वह विफल रही। हकीकत यही है कि ओबीसी वर्ग आज भी भाजपा का वोट बैंक है। मालवा निमाड़ में पाटीदार, जाट, गुर्जर, कुशवाहा, धाकड़, लोधी और अन्य पिछड़ा वर्ग भाजपा के लिए परंपरागत रूप से मतदान करते है।
अब तो मालवा निमाड़ के यादव और खाती भी भाजपा के लिए मतदान करते हैं। इधर, संघ के सेवा कार्यों के कारण दलितों में भी भाजपा का कामकाज काफी बड़ा है।


हर 3 माह में हो रहे सर्वे

कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में यह भी जाहिर हुआ कि मालवा निमाड़ की उन सीटों पर जल्दी टिकट घोषित कर देना चाहिए जहां पार्टी लगातार तीन चुनाव से हार रही है। ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में इंदौर जिले की महू, क्षेत्र क्रमांक दो, क्षेत्र क्रमांक 3, क्षेत्र क्रमांक चार, और क्षेत्र क्रमांक 5 की सीटें आती हैं। पार्टी सांवेर से भी अपना उम्मीदवार 6 महीने पहले घोषित कर देगी। कुल मिलाकर कमलनाथ रणनीति बनाने में व्यस्त हो गए हैं वह प्रत्येक 3 महीने में प्रत्येक विधानसभा सीट का सर्वेक्षण करवा रहे हैं। इधर, दिग्विजय सिंह लगातार प्रदेश के दौरे कर कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा कर उन्हें सक्रिय करने में लगे हुए हैं।