ऐसा देश जहां दो नहीं तीन पटरियों पर दौड़ती है ट्रेन, जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह

भारत सहित अन्य कई देशों में केवल दो पटरी पर ट्रेन चलती है, लेकिन ये देश कुछ अलग है....
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आपने हमेशा रेलवे ट्रैक पर 2 पटरियों को देखा है लेकिन क्या कभी आपको 3 पटरी वाला ट्रैक नजर आया है, आप सोच रहे होंगे कि ट्रैक पर 3 पटरी कैसे हो सकता है? हालांकि,  3 पटरी वाले ट्रैक भी होते हैं लेकिन ये भारत में नहीं किसी और देश में है. दरअसल दुनिया में कुछ देश ऐसे हैं जहां ट्रेन 3 पटरी पर दौड़ती है. पड़ोसी देश बांग्लादेश में ऐसा ही होता है और यहां रेल 2 के बजाय 3 पटरी पर चलती है.

बांग्लादेश में ट्रेनों के परिचालन के लिए ड्यूल गेज का इस्तेमाल किया जाता है. इस ट्रैक पर 3 पटरी होती हैं. दरअसल ऐसा इसलिए क्योंकि हर रेलवे ट्रैक को गेज के मुताबिक बनाया जाता है और इस वजह से अलग-अलग हिस्सों में पटरियों की चौड़ाई भिन्न-भिन्न होती है.

मजबूरी में लेना पड़ा फैसला


बांग्लादेश में पहले सिर्फ मीटर गेज का इस्तेमाल होता था. लेकिन रेलवे का विस्तार होने की वजह से यहां ब्रॉड गेज की जरूरत पड़ने लगी. चूंकि मीटर गेज को ब्रॉड गेज में बदलने के लिए बहुत ज्यादा खर्च आ रहा था और बांग्लादेश रेलवे दूरी तक फैले मीटर गेज के रेल नेटवर्क को बंद करना नहीं चाहती थी.

रेलवे में क्या है गेज का गणित?


ड्यूल रेलवे ट्रैक में दो अलग-अलग गेज की ट्रेन को एक ही ट्रैक पर चलाया जाता है. इसे ब्रॉड गेज और मीटर गेज को मिलाकर तैयार किया जाता है, जिसमें दो गेज वाले रेलवे ट्रैक होते हैं. वहीं, तीसरा एक कॉमन गेज होता है. कॉमन गेज अलग-अलग गेज के ट्रेन के लिए काम आता है. बांग्लादेश के अलावा कुछ और देश भी हैं, जो ड्यूल गेज का इस्तेमाल कर रहे हैं.बता दें कि रेलवे ट्रैक का गेज दो पटरियों के भीतरी पक्षों के बीच की दूरी होती है. दुनिया में लगभग 60 फीसदी देश 1,435 mm के स्टैंडर्ड गेज का उपयोग करते हैं. भारत में 4 प्रकार के रेलवे गेज का उपयोग होता है. इनमें ब्रॉड गेज, मीटर गेज, नैरो गेज और स्टैण्डर्ड गेज शामिल हैं. आपने अक्सर देखा होगा भारत में कई जगहों पर नैरो गेज का इस्तेमाल किया जाता है, इन्हें अक्सर लोग छोटी रेलवे लाइन कहते हैं. चूंकि पटरियां छोटी होने पर यहां स्मॉल ट्रेनें चलती हैं.