बड़े पुलों के निर्माण के समय दी जाने वाली नर बलि की कहानियों की सच्चाई, यहां जानिए-

बाढ़ रोकने बच्चे को फेंक देते थे डैम के मुहाने पर!

 

आपने फिल्मों या फिर पौराणिक कथाओं पर आधारित सीरियलों में देखा होगा कि पुराने समय में इंसानों की बलि दी जाती थी। अगर आपको लगता है कि ये सिर्फ अफवाह या काल्पनिक बातें हैं तो शायद आपको जापान के बारे में नहीं पता। 16वीं सदी तक जापान में एक हैरान करने वाली प्रथा थी। यहां पर नरबलि दी जाती थी। वो भी ब्रिज, किले, या डैम बनाने से पहले ! आज हम आपको इस प्रथा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे हितोबाशिरा के नाम से जाना जाता है।

अम्यूजिक प्लैनेट वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार जापान में 18 वीं सदी तक जब भी किले, ब्रिज, या डैम बनाए जाते थे, तो उसके नीचे इंसानों कों जिंदा दफनाया जाता था, उसके बाद निर्माण कार्य शुरू होता था। इस प्रथा को हितोबाशिरा या फिर डा शेंग ज्हुआंग के नाम से जापान में जाना जाता था। 

माना जाता था कि इन चीजों के निर्माण के दौरान धरती को खोदने की वजह से जमीन का फेंगशुई हिल जाता था। यानी उन्हें लगता था कि वो अशुभ कार्य करने वाले हैं। इस कार्य के दौरान या उसके पूरा होने पर कोई अपशकुन घट सकता था।इस वजह से वो अपशकुन को कम करने के लिए लोगों की बलि चढ़ाते थे। इस तरह वो भगवान को खुश करते थे जिससे भगवान का आशीर्वाद मिल सके और वो ढांचा किसी प्राकृतिक आपदा या दुश्मनों के हमले का शिकार न हो जाए। क्लासिक जापानी इतिहास पर आधारित किताब निहोन शोकी में इस प्रथा के साक्ष्य पढ़ने को मिलते हैं। माना जाता है कि किताब में जो चीजें बताई गई हैं, वो 300 एडीके आसपास की है।


बाढ़ रोकने बच्चे को फेंक देते थे डैम के मुहाने पर
पान के होकिरीको प्रांत में मौजूद मारुओका किले के लिए ये दावा किया जाता है कि इसे हितोबाशिरा प्रथा के तहत ही बनाया गया था। ष्ट्वतरह मात्सुए ओहाशी बिज को बनाने से पहले भी इंसान की बलि चढ़ाई गई थी। इसी तरह की एक प्रथा चीन में भी थी, जिसे कडूलंग के नाम से जाना जाता है। इस प्रथा में भी बाढ़ के दौरान बच्चे को किसी डैम के निकासी द्वार के पास पानी में फेंक दिया जाता माना जाता था कि इस तरह बाढ़ को रोका जा सकता है।