Sidhi News: सीधी में बोले कथा प्रवक्ता पं. बाला व्यंकटेश- रामलीला एवं कृष्णलीला का संगम विलक्षण है 

पूजा पार्क में श्रीरामकथा के साथ हो रही भक्तिरस वर्षा

 

सीधी। श्रीकृष्ण रसामृत समिति पूजा पार्क सीधी के सौजन्य से आयोजित श्रीराम कथा के तीसरे दिवस रामचरितमानस के विद्वान कथा प्रवक्ता पं बालाव्यंकटेश महराज वृन्दावनोपासक ने  अपनी अमृतमयी वाणी से श्रृद्धालु भक्तों को राम नाम सत्संग की महिमा से लाभान्वित करा दिया। आपने कथा प्रसंग को आयाम देते हुए बताया कि आचरण व्यवहार क्रिया कलाप और वाणी में जिसके सत का समावेश हो वही संत हैं।


प्रसंग वश व्यास महराज ने बताया कि मनुस्मृति सहित कुल 52 स्मृतियॉ हैं। अतएव इस समय मनुवादी व्यवस्था नहीं चल रही है। एक बात और स्मरणीय है कि मनुस्मृति की रचना ब्राम्हण ने नहीं बल्कि क्षत्रिय ने की है। आगे व्यास ने कहा कि बाह्य व्यबस्था संसारियों को रिझाने के लिए बनीं है और अभ्यान्तर की व्यवस्था परमात्मा हेतु।

यही कारण है संसारी लोग वाह्य श्रृंगार करके सुखानुभूति करते हैं  तो साधु-संत अंदर का श्रृंगार करके ईश्वर प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। रामचरित मानस कथा के पूर्व मंचीय औपचारिकता के क्रम में आचार्यों द्वारा व्यास पीठ की पूजा शास्त्र सम्मत ढंग से हुई। 


व्यास बाला व्यंकटेश महराज का इंजीनियर आरके सिंह, समिति की अध्यक्ष कुमुदिनी सिंह, संरक्षक सुरेन्द्र सिंह बोरा, सचिव डॉ श्रीनिवास शुक्ल सरस बघेली कवि, प्रहलाद प्रसाद गुप्त, डॉ गिरीश त्रिपाठी तथा अंजनी सिंह सौरभ आदि ने माल्यार्पण करके भारतीय परम्परा तथा भारतीय संस्कृति को सम्पुष्ट किया।


 राम कथा की ज्ञान गंगा में भक्तों को डुबोते हुए व्यास ने कहा कि भगवान शंकर जैसे अद्भुत ज्ञानी जब शती जैसी कथा श्रोता के संशय को दूर नही कर पाए तब आज के प्रवक्ता यह कहें कि हमने  श्रोताओं की सम्पूर्ण भ्रान्ति कर दी तो यह एक अतिसंयोक्ति ही कहलाएगा। इस कथन में व्यास का एक दर्शन और मानवीय संचेतना का प्रतीकात्मक भाव भरा हुआ था। 


उन्होनें स्पष्ट किया कि गोस्वामी तुलसीदास ने मानव कल्याण और समाज सुधार की बात पग-पग में किया है। राम की अद्भुत बाल लीला में भक्तों को प्रवेश कराते हुए कथा प्रबक्ता ने समुपस्थित श्रोताओं को बताया कि राम का प्रगटोत्सव एक अद्भुत रहस्योद्घाटन का संकेत देता है। तभी तो जगत का कल्याण करने के लिए और मर्यादा पुरुषोत्तम की संज्ञा पाने के लिए श्रीराम को नवमी तिथि को ही आना पड़ा है।


 मंच पर राम के सुन्दर बाल स्वरूप का दर्शन व्यास ने कराते हुए प्रसंगानुसार रोचक भजन कीर्तन सुनाकर भक्तों को भाव विभोर कर दिया। इस भीषण ठंड में सीधी के श्रद्धालु भक्तों की उपस्थिति से पूरा पंडाल आरती तक भरा रहा जो रामकथा के प्रति अनुराग का द्योतक है।