Singrauli News: सिंगरौली के सरई एवं गजराबहरा का कोलयार्ड रहवासियों के लिए बना गले की फांस
कोयले के डस्ट से पनप रही तरह-तरह की बीमारियां, प्रशासन भी मौन
सिंगरौली। सरई रेलवे स्टेशन एवं गजराबहरा का कोलयार्ड आधा दर्जन गांवों के रहवासियों के लिए गले का फांस बना हुआ है। कोयले का डस्ट आसपास के घरों में इस तरह जमा हो रहा है कि रहवासी परेशान होकर प्रशासन एवं प्रदूषण नियंत्रण अमले के साथ-साथ कोल कंपनियों को कोस रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार सरई तहसील क्षेत्र के पहले कोल यार्ड गजराबहरा में बनाया गया। इसके बाद पिछले साल सरई रेलवे स्टेशन पर कंपनियों के जरूरत एवं सुविधानुसार कोलयार्ड बना दिया गया। कोलयार्ड बनते ही लोगों में असंतोष बढ़ने लगा। हालांकि ग्रामीणाों के लाख विरोध करने के बावजूद प्रशासन पर कोई असर नही पड़ा।
बल्कि सरई में और तेजी से कोलयार्ड का कारोबार जोर पकड़ने लगा। इसके पूर्व गजराबहरा कोलयार्ड को लेकर स्थानीय लोगों ने धरना प्रदर्शन तक किया। फिर भी प्रशासन महाभारत के धृतराष्ट्र की भूमिका में पड़ा रहा। अब आलम यह है कि सरई रेलवे स्टेशन के समीप कोनी गांव के वार्ड क्रमांक 6, 7, 10 एवं सरई बाजार के रहवासी कोयले के डस्ट से परेशान हैं।
यहां के रहवासी बताते हैं कि जिस दिन बारिश होती है, उस दिन तो डस्ट से कुछ राहत मिलती है। लेकिन जिस दिन बारिश नही होती है, कोयले का डस्ट इतना उड़ता है कि घरों के अंदर कोयले के डस्ट की परते जम जाती हैं। यही हाल गजराबहरा कोलयार्ड का है। यहां की स्थिति और भी खराब है।
रहवासी बताते हैं कि कोयले के डस्ट से अब तरह-तरह की बिमारियां भी फैल रही हैं। शिकायत करने के बावजूद स्थानीय प्रशासन जहां चुप्पी साध लेता है, वहीं कोल कंपनी पर प्रशासन की मेहरवानी साफ झलक रही है।
कोल कंपनियों पर प्रशासन इतना मेहरवान क्यों है यह बात समझ से परे है। गजराबहरा एवं सरई के स्थानीय रहवासियों ने प्रशासन के प्रदूषण नियंत्रण अमले पर सवाल उठाते हुए उचित कार्रवाई किए जाने की मांग की है।