Singrauli News: एनसीएल की ब्लास्टिंग से फिर गिरा एक मकान के छत का हिस्सा, कुछ लोगों को आईं चोटें
हादसे में दुकान के सामान समेत सिलाई मशीनों, कपड़ों, अन्य सामान को पहुंचा नुकसान
सिंगरौली। एनसीएल की परियोजनाओं में हो रही तीव्र ब्लास्टिंग से मोरवा के लोग दहशत के साए में जीने को मजबूर हैं। आए दिन ब्लास्टिंग से लोगों के घरों को नुकसान पहुंचाने की सूचना मिलती रहती है।
आशंका व्यक्त की जा रही है कि यह आंकड़ा मानसून के समय में और भी बढ़ सकता है क्योंकि मोरवा क्षेत्र में जब बीच बाजार में ऐसी दुर्घटनाएं पेश आ रही है, तो खदान के मुहाने पर बसे लोगों का क्या हाल होगा? ताजा मामला मोरवा के पुराने बाजार स्थित कलाम टेलर्स का है जहां शनिवार दोपहर ब्लास्टिंग के दौरान छत का हिस्सा टूटकर गिर गया।
बताया जाता है कि इस दौरान वहां दुकान के मालिक मोहम्मद अतहर समेत वहां कार्य कर रहे पुष्पेंद्र नामदेव, सरबजीत शर्मा एवं ग्राहक विनोद गुप्ता मौजूद थे। जिन्हें हल्की चोटें आई हैं।
इस घटना के बाद सर्वजीत शर्मा ने इस बावत मोरवा थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई है। इस हादसे में दुकान के सामान समेत वहां पर रखी सिलाई मशीनों, कपड़ों व अन्य सामान को भी नुकसान पहुंचा है।
घटना पर तीखी प्रक्रिया देते हुए मानवाधिकार एसोसिएशन एवं अपराध नियंत्रण संगठन के राष्ट्रीय महासचिव अमित तिवारी ने बताया कि एनसीएल इस मुद्दे पर संवेदनहीन हो चुका है।
कई बार ब्लास्टिंग समेत अन्य मुद्दों को लेकर एनसीएल को बताया गया परंतु न तो एनसीएल की तरफ से ब्लास्टिंग की तीव्रता कम हो रही है न ही प्रबंधन ब्लास्टिंग से हो रहे नुकसान का आकलन कर उसका मुआवजा दे रहा है।
इस प्रक्रिया से आक्रोशित सिंगरौली विस्थापन मंच के प्रदीप गुप्ता ने भी अपनी राय बताते हुए कहा कि एनसीएल प्रबंधन डीएमएस के नियम कानून को ताक पर रखकर तीव्र गति से ब्लास्टिंग कर रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को नुकसान पहुंच रहा है। गौरतलब है कि बीते दिनों भी वार्ड क्रमांक 8 में ब्लास्टिंग के दौरान एक घर का हिस्सा गिर गया था, जिसमें एक 14 वर्षीय बच्ची चोटिल हुई थी।
जानकारी अनुसार कलेक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक के दौरान एनसीएल प्रबंधन द्वारा उसके घर की मरम्मत कराकर बच्ची का इलाज करने की बात कही थी, परंतु बीते दिनों एक जनसभा में उसके पिता ने सामने आकर यह स्पष्ट कर दिया कि एनसीएल प्रबंधन ने उसकी सहायता नहीं की। बार-बार तीव्र ब्लास्टिंग से हो रहे नुकसान के कारण स्थानीय लोगों में एनसीएल के प्रति रोष व्याप्त है।
लोगों का कहना है कि मोरवा शहर में अधिकांश मकान दशकों पुराने हैं। यही आलम यहां के स्कूलों का है। यदि हादसे में किसी की जान जाती है तो ऐसी स्थिति में एनसीएल प्रबंधन उसकी भरपाई नहीं कर सकेगा।