Singrauli News: सिंगरौली मेें ग्लोबल सहकार प्राइवेट लिमिटेड के फर्जी टीपी मामले की ईओडब्ल्यू ने शुरू की जांच

एजेंसी ने दर्ज की शिकायत, कार्रवाई नहीं करने वाले अफसरों से भी होगा जवाब- तलब

 

सिंगरौली। रेत का कारोबार करने वाली ग्लोबल सहकार प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के फर्जी टीपी (अस्थाई परमिट) पकड़े जाने की जांच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने शुरू कर दी है। ग्लोबल सहकार प्राइवेट लिमिटेड सिंगरौली के साथ ही शहडोल सहित मध्यप्रदेश के कई जिलों में रेत उत्खनन का कारोबार करती है। जांच एजेंसी ने इस मामले में शिकायत दर्ज की है। मामले में कंपनी के साथ खनिज विभाग और जिला प्रशासन के आला अफसरों की भूमिका को भी पूरी तरह से संदिग्ध माना जा रहा है। ऐसा इसलिए कि तीन फर्जी टीपी पकड़े जाने के बावजूद सिंगरौली के आला अफसरों ने कंपनी पर मेहरबानी दिखाते हुए उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई थी।


यह पूरा मामला सिंगरौली जिले का है और रेत के अवैध कारोबार से जुड़ा है। रेत की ढुलाई में ठेकेदार की ओर से कूटरचित दस्तावेजों का उपयोग किया गया है। दरअसल ग्लोबल सहकार कंपनी को सिंगरौली में रेत का ठेका मिला है। कंपनी ने बारिश के मद्देनजर रेत को डंप किया था। डंप रेत को उठाने के लिए कंपनी की ओर से फर्जी टीपी का उपयोग किया जा रहा था। 


इसकी सूचना खनिज विभाग के अफसरों को मिली थी। इस सूचना के बाद मामले की जांच के लिए एक संयुक्त दल बनाया गया था। जांच दल में खनिज विभाग और पुलिस के अफसर शामिल किए गए थे। चेकिंग के दौरान ग्लोबल सहकार के तीन वाहन फर्जी परमिट पर चलते हुए पाए गए थे। इनमें एक ट्रैक्टर ट्राली और दो हाइवा शामिल थे। तीनों परमिट शहडोल जिले के ब्योहारी से बनाए गए थे और उनका उपयोग सिंगरौली जिले में किया जा रहा था। 


चूंकि परमिट कूटरचित पाए गए थे, इसलिए ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए था। इसके लिए खनिज विभाग की ओर से पुलिस को पत्र लिखकर प्रकरण दर्ज कराना चाहिए था, लेकिन ठेकेदार पर मेहरबानी के चलते ऐसा नहीं किया गया। खनिज विभाग ने ठेकेदार के खिलाफ चालान तो किया, लेकिन कूटरचित दस्तावेज पकड़े जाने की एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई थी। अब जब अफसरों और ठेकेदार की मिलीभगत का खुलासा हो गया है, तब मामले की जांच ईओडब्ल्यू ने शुरू कर दी है। इस मामले में जिला प्रशासन के आला अफसरों से भी जवाब तलब होगा।


जिला प्रशासन के अधिकारी भी इसकी चपेट में आएंगे मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद प्रमुख सचिव सीएम सचिवालय व खनिज विभाग संजय शुक्ला अपने स्तर पर भी मामले की जांच करा रहे हैं। उन्होंने खनिज विभाग के संचालक अनुराग चौधरी से कहा कि हमें पूरी जानकारी अगली होने वाली टीएल मीटिंग में चाहिए। प्रमुख सचिव के जानकारी बुलाए जाने के बाद से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। जिला प्रशासन के
अधिकारी भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।


खनिज विभाग भी अपने स्तर पर कर रहा जांच
टीपी फर्जी पकड़े जाने के मामले में एफआईआर दर्ज नहीं कराए जाने को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी नाराजगी जताई है। उनकी सख्ती के बाद अब खनिज विभाग भी अपने स्तर पर मामले की जांच करा रहा है। इसके लिए खनिज अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है।खनिज अधिकारी से पूछा गया है कि फर्जी टीपी (कूटरचित दस्तावेज) पकड़े जाने के बावजूद एफआईआर क्यों दर्ज नहीं कराई गई। आपके खिलाफ कदाचरण की कार्रवाई क्यों नहीं की जाए।