Shahdol News: भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के 110 वर्ष पूर्ण, हुई विशेष हैकथन 

इस हैकथन में देश भर से शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर लिया भाग 

 

शहडोल। विश्व जैव विविधता भारतीय प्राणी सर्वेक्षण द्वारा अपने 110 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एक विशेष हैकथन का आयोजन होटल नर्मदा जैक्सन जबलपुर में किया गया। इस बार कार्यक्रम का मुख्य विषय जैव विविधता संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन था, जो विशेष रूप से अर्ध-शुष्क क्षेत्रों की जैव विविधता पर केंद्रित रहा। इस हैकथन में पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय, शहडोल के प्राणीशास्त्र विभाग के विद्यार्थियों एवं फैकल्टी सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और नवाचार से भरपूर प्रस्तुतियाँ दीं।


अंकित शुक्ला एवं रितु पांडेय ने भविष्य के खाद्यान्न खतरे में खेत से लेकर भंडारण तक अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में बाजरे की सुरक्षा सुनिश्चित करना विषय पर प्रेजेंटेशन दिया। अंकित शुक्ला ने बताया कि अर्द्ध शुष्क क्षेत्र में मिलेट्स (बाजरा आदि) की  खेती एक व्यवहारिक विकल्प है, क्योंकि यह फसल 60 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है, जबकि गेहूं और धान को पकने में तीन महीने लगते हैं। इसके साथ ही इसमें पानी की आवश्यकता भी कम होती है, जिससे यह अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के लिए उपयुक्त समाधान बन सकती है। साथ ही इसके मिलेट्स के कीट प्रबंधन के बारे नए सुझाव प्रस्तुत किए।


प्रिंसी सिंह, शिवम् भगत और ईशा कहार ने एक ए आई टूल मॉडल का विचार प्रस्तुत किया, जो कि स्कैन्ड इमेज पर आधारित है। यह एप खेतों से ली गई फूल और कीटों की तस्वीरों के माध्यम से दोनों की पहचान करेगा और यह बताएगा कि कौन से कीट किस प्रकार के फूलों के लिए सर्वोत्तम परागणकर्ता हैं।


 उनका यह विचार भूले हुए नायक-शुष्कभूमि में कीट जैव विविधता और परागण नेटवर्क विषय पर आधारित था, जिसके लिए उन्हें तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। अर्पिता मिश्रा, जयराज रजक और सुचिता तिवारी ने ईको-सारथी नामक एक एप का आइडिया प्रस्तुत किया, जिसमें कंजर्वेशन एक्टिविटी, फुटप्रिंट कैलकुलेटर जैसे कई उपयोगी फीचर्स शामिल हैं। इस एप का उद्देश्य अर्ध-शुष्क क्षेत्रों की जैव विविधता के संरक्षण में सहायता करना और लोगों को जागरुक बनाना है। 


उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने  ग्राउंड लेवल पर गहन शोध किया है। शोधार्थी अंजली एवं शिवानी ने शहडोल जिले की पक्षी विविधता और संजय डुबरी वन्यजीव अभयारण्य पर आधारित प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की महत्ता और संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। मानसी सैनी, रिया सिंह परिहार एवम् एकता मौर्य ने भी जलवायु संरक्षण के लिए एआई टूल का इस्तेमाल करना बताया।


इस आयोजन ने न केवल छात्रों की वैज्ञानिक सोच और नवाचार क्षमता को उजागर किया, बल्कि जैव विविधता संरक्षण की दिशा में युवाओं की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया। इस हैकथन में देश भर से शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम में नितिन जोशी डॉ मुकेश राय, अंकित राय संगठन मंत्री विज्ञान भारती,डॉ पी एस भटनागर वैज्ञानिक ई  वैज्ञानिक उपस्थित रहे।