Rewa News: प्रदेश में पहली बार रीवा के ड्रोन एरियल सीडिंग की हुई शुरूआत, चारागाह के लिए बोए घास के बीज

इस तकनीकि से दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में बीज रोपना होगा आसान

 

 रीवा। पहाड़ों के दुर्गम क्षेत्रों में पौधरोपण करना मुश्किल भरा काम होता है। इसे आसान करने के लिए वन विभाग ने प्रदेश में पहली बार रीवा में प्रयोग शुरू किया है। जिसके तहत ड्रोन एरियल सीडिंग की शुरुआत की गई है। इससे ऐसे स्थानों पर भी बीज रोपित किया जा सकेगा जहां पर व्यक्ति सहजता से नहीं पहुंच पाता।


बीते कई महीने से वन विभाग के अधिकारी इसके लिए प्रयास कर रहे थे। इसकी शुरुआत 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के दिन से हुई है। रीवा वन विभाग द्वारा प्रयोगात्मक तौर पर ड्रोन से हवाई सीडिंग (एरियल सीडिंग) करवाई गई। ड्रोन से हवाई सीडिंग का कार्य गंगेव जनपद के हिनौती गांव में स्थित गौधाम के निकट वनक्षेत्र और रायपुर कर्चुलियान जनपद में स्थित भलुआ पहाड़ी पर कराया गया। दोनों स्थानों पर सपना पूर्वक ड्रोन से पहाड़ी क्षेत्र में बीज बोए गए हैं।


अधिकारियों ने कहा है कि इसे अब जिलेभर में व्यापक रूप से लागू किया जाएगा। जंगल के कई ऐसे हिस्से हैं जहां पर पौधों का रोपण नहीं किया जा सकता। जिले के कुछ हिस्सों में पत्थर और कंकर वाले पहाड़ हैं, इन स्थानों पर किन प्रजातियों के बीजों का रोपण किया जाना है, इसकी भी कार्ययोजना तैयार की जा रही है। किए गए प्रयोग के समय वन मंडलाधिकारी अनुपम शर्मा, ड्रोन सीडिंग के कार्य प्रभारी संदीप गौतम, राजेंद्र साकेत, भारत लाल सिंह, प्रेमदास मिश्रा सहित अन्य के साथ खनिज और पंचायत के कर्मचारी भी मौजूद रहे।


15 किलो तक भार उठा सकता है ड्रोन
जिस ड्रोन से हवाई सीडिंग की शुरुआत कराई गई है। उसमें एक टंकी लगी होती है, जिसमें करीब 15 किलो वजन तक के सीडबॉल डाले जा सकते हैं। बीजों का रोपण कितनी दूरी में करना है, यह भी आपरेटर द्वारा निर्धारित किया जा सकता है। यदि दूर-दूर बीज रोपण के लिए गिराया जाना है तो उसके लिए भी ऑप्शन मौजूद रहता है।