Rewa News: रीवा के इस होटल में मिलता है सबसे अच्छा दाल-पापड़, 20 रुपए में भर जाएगा आपका पेट

55 साल पुराने प्रतिष्ठान में सुबह से ही दाल-पापड़ खाने वालों की लग जाती है भीड़
 
 

रीवा। कभी विन्ध्य प्रदेश की राजधानी रहा रीवा इन दिनों मध्यप्रदेश के विकसित शहरों में शुमार हो रहा है। गगनचुंबी इमारतों, चौड़ी और कांक्रीट सड़कों-फ्लायओवर, तेजी से बढ़ते आधुनिक बाजार, प्रतिष्ठानों-संस्थानों के साथ ही खान-पान के क्षेत्र में भी रीवा तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस बीच उम्दा खान-पान के रीवा शहर में कुछ ऐसे ठिकाने हैं जो विगत कई दशकों से अपने खास व्यंजन के लिए न सिर्फ रीवा बल्कि समूचे विंध्य क्षेत्र में मशहूर हैं। ऐसा ही एक प्रतिष्ठान रीवा शहर की सब्जी मंडी स्थित जानकी पार्क में है, जिसका नाम है गोप सुनील स्वीट्स, यहां मिलती है लोकप्रिय डिश - दाल पापड़। याने महज 20 रुपए में स्वाद के साथ ही भरपेट नाश्ता।

 


 दिन भर लगी रहती है भीड़
दाल-पापड़ यूं तो सिंधी समाज के लोगों का पसंदीदा व्यंजन माना जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश के कई शहरों में दाल-पापड़ हर दिल अज़ीज है। रीवा में वैसे लगभग आधा दर्जन जगहों में दाल-पापड़ मिलता है, लेकिन जैसा स्वाद गोप सुनील स्वीट्स के दाल-पापड़ में है वैसा कहीं और नहीं है। यही कारण है कि शहर के जानकी पार्क स्थित इस होटल में सुबह 9 बजे होटल खुलने के साथ ही दाल पापड़ के शौकीन लोगों की भीड़ जमा होने लगती है और यह सिलसिला दिनभर या दाल-पापड़ खत्म होने तक चलता रहता है।

 


 55 साल पुराना है होटल
गोप सुनील स्वीट्स के संचालक महेश ठारवानी बताते हैं कि उनका प्रतिष्ठान रीवा की सबसे पुरानी होटल के रूप में मशहूर है। गोप स्वीट्स के नाम से तकरीबन 55 वर्ष पूर्व जानकी पार्क में शुरू हुए इस प्रतिष्ठान को भगवानदास ठारवानी (गोप), हरकिशनदास और लालचंद मिलकर चलाते थे। इन तीनों भाइयों में पकवान बनाने और बनवाने की जिम्मेदारी लालचंद ठारवानी के पास थी। बाद में बदलते समय के साथ परिवार के सदस्यों ने इस दुकान से अलग होकर अलग-अलग जगहों पर गोप स्वीट्स के नाम से अपनी दुकानें खोल लीं। जानकी पार्क की दुकान लालचंद ठारवानी के बेटे चलाने लगे। 

 


 अनुभव बनाता है स्वाद में बेजोड़
दाल-पापड़ वैसे तो मैदे से बने पापड़ और छिली मूंग से बनी दाल का व्यंजन है, लेकिन गोप सुनील स्वीट्स की दाल और पापड़ दोनों ही लाजवाब हैं। संचालक महेश ठारवानी ने गुड मॉर्निंग से चर्चा में बताया कि दाल बनाने का पूरा काम मेरी माता जी के निर्देशन में होता है, उनके अनुभव से दाल का स्वाद ऐसा बन जाता है कि खाने वाले को बस मजा ही आ जाता है। पापड़ में हींग, अजवायन और काले नमक का प्रयोग भी एक निश्चित अनुपात में उसे बेजोड़ बनाता है। पापड़ को कड़ाही में कितनी देर रखना है, यह भी महत्वपूर्ण है। बहुत सारे लोग दाल के साथ ही मटर भी पसंद करते हैं। हम उनका भी ख्याल रखते हैं। 

 


 सेहत के लिए भी है लाभदायक
कुल मिलाकर, महज 20 रुपए में दाल-पापड़, चटनी के साथ जो आनंद देता है, वह बेजोड़ है। खास बात यह है कि इतनी कम कीमत में इस व्यंजन से शानदार स्वाद तो मिलता ही है, भोजन करने जैसे पेट भी भर जाता है। इसके अलावा दाल-पापड़ स्वास्थ्य के लिहाज से भी किसी भी तरह से नुकसानदायक नहीं है। पापड़ में उपयोग होने वाला मैदा, पापड़ के खरे होने के साथ ही नुकसानरहित हो जाता है। पापड़ बांस से बनी टोकरी में खड़े-खड़े रखे जाते हैं, जिससे उनमें उपयोग होने वाला तेल निकल जाता है और वे नॉन ऑइली और क्रिस्पी हो जाते हैं। मूंग की दाल तो गुणों की खान है ही। इस तरह दाल-पापड़ सेहत और पेट के लिए भी लाभदायक है।