Rewa News: रीवा में शिक्षाविद् गुरु प्रसाद श्रीवास्तव की स्मृति में हुई संगोष्ठी 

वक्तागण बोले- गुरुप्रसाद श्रीवास्तव का सुव्यवस्थित समाज की संरचना में महत्वपूर्ण योगदान

 

रीवा। सुविख्यात शिक्षाविद् एवं चिन्तक गुरु प्रसाद श्रीवास्तव के स्मृति  प्रसंग  संगोष्ठी का आयोजन 'गुरुदेव की स्मृति एवं उनके सपनेÓ विषय पर वृंदावन गार्डेन के सभा कक्ष में 14 नवम्बर को सांयकाल 4 बजे किया गया। संगोष्ठी तीन सत्रों संस्मरण, व्याख्यान एव श्रद्धांजलि में रही। 


वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल बाबूजी का परिचय देते हुए कहा कि-शिक्षा की राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका है जिसका निर्वहन बाबू जी ने अपने में शैक्षणिक काल में सफलतापूर्वक किया। मॉडल स्कूल रीवा के संस्थापक रहे गुरुप्रसाद श्रीवास्तव का सुव्यवस्थित समाज की संरचना में महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने कहा कि- बाबूजी के शैक्षणिक काल में छात्रों के बीच अमीर एवं गरीब का भेदभाव नहीं था सभी छात्रों के सर्वागींण विकास, शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा राष्ट्रीय विकास के लिए शिक्षक के रूप में उन्होनें उत्तरदायित्वपूर्ण किया।


डॉ. अनिल श्रीवास्तव ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि-बाबूजी के संबध में जिनती जानकारी मुझे नहीं है उससे ज्यादा उनके शिष्यों को है। सुप्रसिद्ध साहित्यकार चंद्रिका प्रसाद 'चन्द्र' ने बाबूजी को याद करते हुए कहा कि शिक्षा क्षेत्र में यदि ऐसी स्थिति में शिक्षक जो समाज में ही रहते हुए समाज की एक सामान्य इकाई है चन्द घन्टों के लिए समाज द्वारा प्रदत्त कार्य के लिए कार्यरत होता है तो प्राय: ऐसे मानव के रूप में देखा जा सकता है जो समाज के समष्टिगत विकास के लिए आदर्श होता है।


पूर्व प्राचार्य विजयकांत मिश्र ने कहा कि-श्रद्धेय बाबूजी का नाम मानस पटल पर इस तरह अंकित है जैसे सामने मंद-मंद मुसकाते खड़े हो, वे हमारे आदर्श ही नहीं मार्गदर्शक के रूप में थे। पूर्व प्राचार्य के.एन. पाण्डेय ने कहा कि- गुरु प्रसाद श्रीवास्तव जी प्रतिभा के पारखी थें और मॉडल स्कूल में उन्होंने ऐसे प्रतिभावान शिक्षकों का चयन किया जो शैैक्षणिक कार्य में निपुण थें। प्रसिद्ध शिक्षाविद् शारदा प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा कि-बाबूजी समय के पाबंद थे तथा छात्रों को समय से कार्य करने के लिए प्रेरित करते थे। 


इतिहासकार रविरंजन सिंह ने कहा कि बाबूजी की कृपा हम पर रही और उन्होंने हमें जो गुरुदान दिया वह आज भी हमारे लिए प्रेरणा का श्रोत है। पूर्व प्राचार्य अखण्ड प्रताप मिश्र ने बाबूजी को याद करते हुए कहा कि-चाचाजी का सानिध्य शैक्षणिक रूप में नहीं हुआ लेकिन उनका आशीर्वाद हमें प्रेरणादायी रहा क्योंकि वे हमारे पिता जी के साथ जब बैठा करते थे तो  हमें भी उनके द्वारा ज्ञान प्राप्त होता था। 


पियूष तिवारी ने कहा कि बाबूजी का आशीर्वाद हमें जो मिला वह आज भी हमें प्रकाशपुंज के रूप में दिखता है। डॉ. एसके पाठक ने बाबूजी को याद करते हुए कहा कि-बाबूजी आदर्श शिक्षक के साथ अच्छे समाज सुधारक भी थे। मॉडल स्कूल एल्युमिनाई एसोशिएशन रीवा के अध्यक्ष पंकज शर्मा ने कहा कि- बाबू गुरु प्रसाद श्रीवास्तव का व्यक्तित्व एवं कृतित्व आदर्श पूर्ण रहा और उनके पढ़ाए हुए छात्र देश विदेशों में उच्च पदों पर कार्यरत है।


 कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रमोद वत्स, डॉ. सी.बी.शुक्ला, एड  संतोष अवधिया,  योगेश त्रिपाठी, कल्पना श्रीवास्तव, नीलम श्रीवास्तव, सीमा श्रीवास्तव, कुमुद श्रीवास्तव, विनोद पाण्डेय, डॉ. नरेन्द्र सिंह प्रदीप सिंह भोले, नीरज खरे, विन्धेश्वरी प्रसाद श्रीवास्तव,तीरथ प्रसाद निगम, डॉ. संत प्रसाद खरे, प्राचार्य पी.के.स्कूल वरुणेन्द्र प्रताप सिंह, सुरेश विश्नोई, अशेष त्रिपाठी, भाई प्रमोद शर्मा, राजेन्द्र निगम, विभू सूरी, विमलेश द्विवेदी, रन देव सिंह, संजय सिंह देव, डॉ. सुधीर श्रीवास्तव, राम लखन केवट जलेश,डॉ. एस.के. द्विवेदी सहित नगर के बहुत से शिक्षाविद एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।