Rewa News: रीवा के एसजीएमएच में आई गेस्ट्रोएंटेरोलॉजी मशीन, पेट रोगियों का आसान होगा इलाज

जल्दी ही शुरू होगी यूनिट, लोकार्पण की तैयारियों में जुटा संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल प्रबंधन

 

रीवा। रीवा सहित विंध्य क्षेत्र के पेट रोगियों को अब इलाज के लिए बाहर नही भटकना होगा क्योंकि अब रीवा में ही उदर रोगों की जांच और उसका इलाज आसान करने के लिए संजय गांधी हॉस्पिटल में गेस्ट्रोएंटेरोलॉजी मशीन आ गई है। सूत्रों के मुताबिक जल्दी ही इस मशीन से उदर रोगियां की जांच और चिकित्सा शुरू कर दी जाएगी।


 ज्ञात हो कि विंध्य क्षेत्र के सुदूर इलाकों से आने वाले मरीजों को अभी तक पेट की गंभीर बीमारियों की जांच के लिए नागपुर या जबलपुर रेफर किया जाता था। इसके अलावा दूसरा विकल्प निजी अस्पताल था, जहां की फीस वहन कर पाना हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं था। लेकिन जल्द ही संजय गांधी अस्पताल में मरीजों को पेट संबधित गंभीर बीमारियों की जांच व उपचार की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। 


बताया गया है कि अस्पताल की तीसरी मंजिल पर आईसीयू वार्ड के नजदीक गेस्ट्रोएंटरोलॉजी यूनिट की शुरुआत जल्द ही हो जाएगी।  उपकरण लगने के साथ ही लगभग सारी तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। पैनल लाइट, आटी, टेबल व कुछ उपकरण आने शेष हैं। संभावना जताई जा रही है कि लगभग दो सप्ताह के भीतर मरीजों को यहां पेट संबधित बीमारियों की जांच की सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी।


रेफर से मिल जाएगी मुक्ति 

संजय गांधी अस्पताल में दो गेस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. प्रदीप निगम व डॉ.एमएच उस्मानी नियुक्त हैं। गेस्ट्रो यूनिट शुरू हो जाने से यहां गरीब मरीजों की जहां मुफ्त में जांच होगी वहीं अन्य मरीजों को भी न्यूनतम दर पर यह सुविधा मुहैया होगी। संजय गांधी अस्पताल के डीन डॉ. सुनील अग्रवाल ने गत शाम डॉ. मनोज इंदुलकर के साथ गेस्ट्रोएंटेरोलॉजी वार्ड का जायजा लिया और सारी तैयारियां जल्द पूर्ण किए जाने निर्देशित किया। 

मशीन से इन जांचों में होगी आसानी 
गेस्ट्रोएंटरोलॉजी यूनिट में इंडोस्कॉपी व कोलनोस्कॉपी के जरिए बड़ी आंत, छोटी आंत, आमाशय, सीएलडी लिवर, पैरेन्काइमा की सूजन, सिरोसिस और लिवर की कार्य क्षमता, फैटी लिवर रोग, अल्सरेटिव, पोलाइटिस, क्रोन्स डिजीज, आहार नली में छाले, पेट में छाले, आंतों में छोले, एसिड बनना, खून की उल्टी होना, शौच के रास्ते खेन जाना, पाचन तंत्र के सभी अंगों की जांच की जा सकेगी। साथ ही मरीजों की जाआई टैक्ट ग्रासनली, (पेट और आंत) और पित्त संबंधी अंग (यकृत, पित्त, नालिकाएं आग्राशय व पित्ताशय) आदि की भी जांच होंगी।