Mauganj News: एम्बुलेंस में सवारी बैठाकर ढो रहे थे कर्मचारी, शर्मनाक वीडियो सामने आया सामने
मऊगंज में 108 एम्बुलेंस जीवन बचाने का काम छोड़कर ढो रही सवारी
मऊगंज। जरुरत पड़ने पर 108 एम्बुलेंस वाहन भले ही न मिले। लोगों को मरीजों को अस्पताल लाने के लिए ठेला व रिक्शा का सहारा लेना पड़ता है लेकिन वही एम्बुलेंस गाड़ी अब मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के बजाय सवारी ढो रही है। एक शर्मनाक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एम्बुलेंस में सवारी ढोई जा रही है। वीडियो स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों की पोल खोल रहा है।
बताया गया है कि एम्बुलेंस में वाहन में कर्मचारी सवारी ढोकर अतिरिक्त कमाई कर रहे है। 108 एम्बुलेंस सेवा मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए शुरू की गई है जिसकी वजह से उसको परेशान होना पड़े और उसको समय पर अस्पताल पहुंचाकर जान बचाई जा सके। इसी एम्बुलेंस गाड़ी को अब कर्मचारियों ने सवारी वाहन बना दिया है।
एम्बुलेंस में सवारी ढोई जा रही है। एक एम्बुलेंस गाड़ी मऊगंज कलेक्ट्रेट के सामने रुकी हुई थी जिसमें रात के समय कुछ सवारी बैठ गए जिनको रीवा जाना था। उक्त एम्बुलेंस में सभी सवारियों को बैठाया गया और उनको लेकर एम्बुलेंस चली गई।
बताया गया है कि एम्बुलेंस में सवारियों के बैठने का वीडियो वायरल हुआ है। वहां कुछ लोग खड़े थे जिन्होंने वाहन का वीडियो बना लिया। वीडियो में सवारी के रूप में कुछ लोग बैठते हुए देखे जा रहे है जिनके पास कोई मरीज नहीं था।
उनको लेकर एम्बुलेंस गाड़ी गंतव्य के लिए चल दी। चिकित्सा व्यवस्था को शर्मसार करने वाला एक वीडियो सामने आया है। वीडियो में एम्बुलेंस गाड़ी में सवारी बैठते हुए नजर आ रहे है। सवाल यह उठता है कि एम्बुलेंस में सवारियां किस आधार पर ढोई जा रही है।
मरीजों के लिए व्यस्त रहती है एम्बुलेंस
मरीजों के लिए एम्बुलेंस गाड़ी हमेशा व्यस्त रहती है। लोग फोन लगाते है तो उनको व्यस्त बता दिया जाता है। मजबूरी में लोग ठेले व रिक्शो में मरीज लेकर आ रहे है। उनके कई वीडियो भी वायरल हो चुके है जो स्वास्थ्य व्यवस्था को शर्मसार करते है। अधिकारियों का 108 एम्बुलेंस में किसी तरह का नियंत्रण नहीं है। जिन लोगों को वास्तव में जरुरत है उनको एम्बुलेंस नहीं मिल पा रही है और सवारी ढोने के लिए इनका इस्तमाल किया जा रहा है।
शासकीय अस्पताल की जगह नर्सिंग होम में सेटिंग पर विवाद
शहर के भीतर एम्बुलेंस गाड़ियां काफी समय से विवादित है। अक्सर एम्बुलेंस के कर्मचारियों पर मरीज को निजी नर्सिंग होम में पहुंचाने का आरोप लगता रहा है। गांवों से मरीज को लाने के बाद उनको शासकीय अस्पताल में पहुंचाना चाहिए लेकिन मरीज को वे निजी नर्सिंग होम में पहुंचाते है जिसमें उनका कमीशन सेट रहता है। कमीशन की वजह से मरीजों को शासकीय अस्पताल की जगह नर्सिंग होम में पहुंचा रहे है।