Suicide City Kota: सुसाइड सिटी बन रहा कोटा, अब नीट की तैयारी कर रहे 2 छात्रों की आत्महत्या से खिंचा सनाका 

विगत दो माह में 9 स्टूडेंट्स ने किया सुसाइड, बच्चों को कोटा भेजने में अभिभावकों को अब लगने लगा है डर 

 

राजस्थान का कोटा ( Kota ) शहर कोचिंग संस्थानों के सब्जबाग और लूट-खसोट के लिए पूरे भारत में जाना जाता है, जिसे कोचिंग संस्थानों ने एजुकेशन सिटी का नाम दिया है, लेकिन विद्यार्थियों को पढ़ाई के नाम पर अनावश्यक दबाव देने और मोटी फीस तथा महंगे हॉस्टल के कारण विद्यार्थियों सहित उनके अभिभावकों को स्ट्रेस में डालने के कारण बीते कुछ समय से विद्यार्थियों में सुसाइड ( Suicide ) की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं और कभी धूल-धूसरित औद्योगिक नगरी कहा जाने वाला कोटा एजुकेशन सिटी बनने से पहले 'सुसाइड सिटी' में तब्दील होता नजर आ रहा है।

विगत मंगलवार को कोटा में दो MBBS अभ्यर्थियों द्वारा आत्महत्या के बाद एक बार फिर 'सुसाइड सिटी' बनता कोटा कांप गया है। जानकारी के मुताबिक पहली घटना में, उदयपुर के एक 18 वर्षीय मेडिकल अभ्यर्थी ने मंगलवार सुबह अपने छात्रावास के कमरे में फांसी लगा ली। पुलिस की माने तो, छात्र मेहुल वैष्णव राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा ( NEET ) की तैयारी कर रहा था। हालांकि मौके पर कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है, लेकिन इस बात को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं हैं।

 

हॉस्टल में अकेला था छात्र
जानकारी के अनुसार मेहुल उदयपुर जिले के सलुम्बर का रहने वाला था और पिछले दो महीने से कोटा के विज्ञान नगर इलाके के एक हॉस्टल में रहते हुए एक कोचिंग संस्थान में नीट की तैयारी कर रहा था। बताया जा रहा है कि घटना के समय मेहुल अपने हॉस्टल के कमरे में अकेला था, क्योंकि उसका रूममेट उस रात बाहर गया हुआ था।

इधर, कई घंटे बीत जाने के बाद भी जब मेहुल अपने कमरे से बाहर नहीं आया तो उसके हॉस्टल के साथियों ने केयरटेकर को इसकी जानकारी दी। केयरटेकर द्वारा दरवाजा तोड़ने के बाद मेहुल का लड़का अपने कमरे में लटका हुआ पाया गया। छात्र के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया।

 

2 महीने पहले ही आया था आदित्य
इसी तरह की एक घटना में, मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे एक अन्य कोचिंग छात्र ने फांसी लगाने के बाद आत्महत्या कर ली। छात्र की पहचान आदित्य के रूप में हुई, जो करीब दो महीने पहले कोटा आया था। इस बीच, मृत छात्रों के माता-पिता ने अपने बच्चों द्वारा उठाए गए ऐसे आत्मघाती कदम के पीछे के कारणों पर चिंता जताई। परिजनों को यकीन नहीं हो रहा है कि उनके बच्चों ने ऐसे कदम उठाए हैं।


2 महीनों में 9 आत्महत्याएं 
परिजनों के मुताबिक कथित तौर पर, उन्हें अभी तक कॉलेज/संस्थान के अधिकारियों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है कि क्या छात्रों को पढ़ाई को लेकर दबाव का सामना करना पड़ा है। चिन्ता की बात है कि पिछले दो महीनों में कोटा में कुल नौ छात्रों की आत्महत्या से मौत हुई है, जिनमें से पांच मामले मई महीने में और चार मामले इस साल जून में सामने आए हैं। इन घटनाओं ने अभिभावकों के मन को बुरी तरह से झकझोर दिया है। जिसका असर यह हो रहा है कि बच्चों के बड़े सपनों को पूरा करने के लिए कोटा भेजने से अब अभिभावक कतरा रहे हैं।