MP News: मध्यप्रदेश में 120 पन्नों में राजेश शर्मा का कबूलनामा, मोबाइल से मिली लेन-देन की रिकॉर्डिंग, नपेंगे कई रसूखदार

पूरे सिंडिकेट का किया खुलासा, शर्मा से उगलवाने के लिए पांच दिन तक अफसरों ने अपनाए कई हथकंडे

 

भोपाल। खनन कारोबारी और काली कमाई को सफेद करने के मास्टर माइंड राजेश शर्मा से सच उगलवाने के लिए आयकर विभाग के अफसरों को पांच दिन तक कई हथकंडे अपनाने पड़े। कभी सख्ती तो कभी पुचकार कर उससे बातचीत व पूछताछ की। दस्तावेजों के बारे में पूछा। इसके बाद ही विभाग को पूरे सिंडिकेट की जानकारी जुटाने में सफलता मिल पाई है। आईटी ने 120 पन्नों में उसका कबूलनामा दर्ज किया है।


बताया जा रहा है इसमें एक वरिष्ठ सेवानिवृत्त अफसर, नेताओं, अभिनेताओं और पार्टनर्स के निवेश के बारे में बताया है। ऐसे में अब ये लोग सीधे आयकर विभाग के रडार पर आ गए हैं और उनसे पूछताछ तय मानी जा रही है। राजेश शर्मा के साथ ही राजधानी में 49 ठिकानों पर आयकर ने 18 दिसंबर को छापा मारा था। ये सभी शर्मा के सहयोगी और कारोबारी पार्टनर थे। 


शुरुआती जांच में ही आईटी को शर्मा के ठिकानों से बड़ी संख्या में प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिल गए थे। इनकी जांच करने पर शर्मा के जरिए प्रॉपर्टी में अपना पैसा लगाने वाले और भी लोगों के नाम सामने आते गए। इन पर शिकंजा कसने के लिए विभाग ने शर्मा से और सख्ती से पूछताछ की। पांच दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा। शर्मा के यहां रविवार रात को कार्रवाई खत्म हो गई थी। इसका उसने जश्न मनाया था। बाकी अन्य जगह भी सोमवार रात छापा खत्म होने की जानकारी है।


ईडी की एंट्री से मनी लॉन्ड्रिंग की भी जांच
परिवहन के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा का 52 किलो सोना पकड़ाने के बाद अब इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)की भी एंट्री हो गई है। ईडी ने सौरभ के साथ ही उसके करीबी चेतन सिंह गौर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। दोनों के ठिकानों से करोड़ों रुपए कैश भी जब्त किया गया है। ऐसे में ईडी मनी लॉन्डिं्रग के साथ फेमा, धनशोधन निवारण अधिनियम 2002 आदि के तहत भी जांच कर सकती है। सौरभ को जांच एजेंसियां देश लाने के लिए लुकआउट नोटिस जारी करने की तैयारी में हैं।


बेनामी एक्ट की जद में भी, तीन से सात साल की जेल संभव
इस पूरे मामले में एक और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ रहा है कि कई प्रभावशाली व्यक्तियों ने खुद के नाम पर संपत्ति नहीं खरीदी है। परिवार के सदस्यों व अन्य के नाम पर कई प्लॉट या लैंड पार्सल खरीदे हैं।  बताया जा रहा है कि यह आय के ज्ञात स्त्रोतों से नहीं खरीदी गई है। ऐसे में इनके बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट की जद में आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है। 


आयकर विभाग इस दिशा में आगे बढ़ता है और संपत्ति बेनामी साबित होती है तो इसके लिए तीन से सात साल तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा, उस प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू का 25 फीसदी जुर्माना भी लगाया जा सकता है। वहीं केंद्र सरकार के पास ऐसी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार भी है।


प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करने वाले नपेंगे
छापे की कार्रवाई के दौरान नीलबड़, रातीबड़, मेंडोरी, सूरज नगर समेत अन्य स्थानों पर प्रॉपर्टी खरीदी के दस्तावेज अफसरों के हाथ लगे। रजिस्ट्रियां भी मिली। इसमें सबसे बड़ा प्रोजेक्ट सेंट्रल पार्क माना जा रहा है। यहां न केवल राजेश शर्मा और उसकी पत्नी के पांच-छह प्लॉट हैं बल्कि कुछ मौजूदा व पूर्व मंत्रियों के खुद के या परिजनों के नाम पर प्लॉट हैं।


यूरोक्रेट्स ने भी इस प्रोजेक्ट में जमीन खरीदी है। जांच के दौरान आयकर विभाग को यह भी पता चला है कि अफसरों, नेताओं ने अपनी जमीन तक आवाजाही आसान बनाने के लिए रसूख का उपयोग कर सड़कें भी बनवा लीं। इससे जमीन के रेट और बढ़ गए। कलेक्टर गाइडलाइन से कम रेट में रजिस्ट्री करा सरकार को राजस्व क्षति पहुंचाने की बात भी कही जा रही है। 


अब ऐसे सभी नेता, अफसर नपेंगे जिन्होंने राजेश शर्मा और उसके सहयोगियों के जरिए प्रॉपर्टी में निवेश किया है। आईटी इनको नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए दफ्तर बुला सकता है। इस दौरान उन्हें जमीन खरीदने के लिए राशि कहां से आई, यह बताना होगा।