MP News: भोपाल में 100 करोड़  का निकला आरटीओ का पूर्व सिपाही; 3.85 करोड़ नगदी, 50 प्रॉपर्टियों के दस्तावेज मिले

234 किलो चांदी की सिल्ली बरामद, जंगल में मिला 52 किलो सोना भी शर्मा का ही; सौरभ के ड्राइवर चेतन की कार से मिले 11 करोड़ 

 

भोपाल। परिवहन विभाग का पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा भ्रष्टाचार का बड़ा खिलाड़ी निकला कर विभाग ने रातीचड़ के डोरा से जिस कार से 52 किल्ली ग्राम सोना और 11 करोड़ रुपए बच्चा किए थे, वह कार सौरभ के ड्राइवर चेतन सिंह गौर के नाम से रजिस्टर्ड है। कार्रवाई के दौरान घर की टाइल्स के नीचे में 24 किलो चांदी की खिल्ली बरामद की गई। 


सौरभ के घर में मिली चल-अचल संपत्ति और चेतन को कार से बरामद नकदी, सोने का जांच एस ने वैल्यूएशन किया है। जिसमें करीब 100 करोड़ की प्रॉपर्टी का अब तक पता चल चुका है। अकेले सौरभ के मन से 8 करोड़ रुपए की चल संपत्ति मिल चुकी है। 50 से अधिक जमीनों के दस्तावेज मिले हैं। उनक प्रारंभिक आकलन करने पर 100 करोड़ से अधिक की प्रॉपर्टी होने का अनुमान है। इभर, डीबी लोकायुक्त प्रसाद शुक्रवार को अचानक दिल्ली रवाना हो गए।


सूचना मिलते ही कैश-सोना ठिकाने लगाने भेजा
लोकायुक्त केापे के दौरान सौरभ घर में नहीं मिला था। आशा है कि सौरभ को पैसे ही कार्रवाई की भनक लगी, उसने अपने ड्राइवर चैतन को फोन कर दूसरे ठिकाने पर रखा सोना और नकदी दूसरी जगह ठिकाने लगाने के लिए बोला होगा। चेतन नकदी, सोना को ठिकाने लगाता, इससे पहले पुलिस को उसकी कार के बारे में जानकारी मिल गई।

पुलिस ने कार को घेर लिया। इसके बाद आयकर को सूचना दी गई। आयकर ने जब्ती की। शुक्रवार को आयकर ने सेना को बैंक के लॉकर्स में रख दिया है। अभी तक सोना और नकदी के बारे में किसी ने अपना होने का दावा नहीं किया है। इससे माना जा रहा कि सौरभ और चेतन ही मास्टरमाइंड है। 


सौरभ ने चेतन के नाम से खरीदीं कई प्रॉपर्टियां 
चेतन सिंह गौर मूलत: ग्वालियर का रहने वाला है। सौरभ भी ग्वालियर का है। दोनों दोस्त है। साल 2015 में अपने पिता डॉक्टर आरके शर्मा की मृत्यु के बाद सौरभ को परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली। इसके बाद यह परिवहन विभाग के वरिष्ट पत्रों का करीबी बन गया।

उसने अपने करीबी जायसवाल के नाम से एक सवारी कार खरीदा। जिसे चलाने के लिए चेतन को रखा। बाद में चेतन भी भ्रष्टाचार में उसका सहयोगी बन गया। लोकायुक्त के छापे में सौरभ के घर से चेतन के नाम से भी कई प्रॉपर्टियों के दस्तावेज मिले है। जिस कार में 52 किलो सोना, 11 करोड़ रुपए मिले, उसे भी सौरभ ने ही चेतन को खरीद दिया था। 


सवा दो करोड़ का बंगला, जीजा के नाम
सौरभ ने अरेरा कालोनी ई-2 में साल 2015 में अपने जीजा के नाम से सवा दो करोड़ रुपए में बंगला खरीदा था। जिसमें खुद रह रहा था। बंगले की वर्तमान में बाजार की कीमत करीब 7 करोड़ रुपए है। इसके अलावा करीब 50 अन्य प्रॉपर्टियों के दस्तावेज उसके घर में मिले है, जो दूसरों के नाम पर है।

                                     इसी कार से बरामद हुआ था सोना और नकदी। कार के साथ सौरभ का दोस्त चेतन।

लोकायुक्त की रेड के दौरान सौरभ के घर में चार लग्जरी कारें मिली थी। इसमें एक कार में 2 लाख रुपए रखा हुआ मिला था। लोकायुक्त के अधिकारियों की जान में आया कि कारों का उपयोग सौरभ सिर्फ भ्रष्टाचार के पैसों सोने-चांदी की इधर-उधर पहुंचाने के लिए करता है। वह कार में परिवहन विभाग की प्लेट भी लगाकर रखता है। 


डायरियां उजागर करेंगी परिवहन का भ्रष्टाचार
मामूली आरक्षक रहते हुए करोड़ों रुपए की संपत्ति बनाने वाले सौरभ शर्मा के ठिकानों से कई लाल-नीली डायरियां मिली हैं। इनमें कई अफसरों के नाम और लेन-देन के ब्योरे दर्ज होने की संभावना है। ऐसे में ये डायरियां परिवहन विभाग में टोल नाकों के जरिए उगाही के पूरे सिस्टम को उजागर करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। 


इस बीच सौरभ के देश से बाहर होने की जानकारी सामने आ रही है। ऐसे में उसे वापस लाने और फिर भ्रष्टाचार के इस गठजोड़ उजागर करने में राज्य की एजेंसियों को काफी मशकत करना पड़ सकती है। इनोवा कार व सौरभ शर्मा के निवास पर मिली डायरियों में परिवहन विभाग के तीन निरीक्षक, दो आरटीओ तथा आधा दर्जन से अधिक आरक्षक के नाम हैं। इसके अलावा राजनेताओं व कई आला अफसरों के नाम हैं, जिन्हें हर माह लंबी राशि जाती थी।


फर्जी रसीद कट्टे भी मिले
मेंडोरी के जंगल में एक कार में मिला 52 किलो सोना परिवहन विभाग के भ्रष्टाचार से जुड़ा बताया जा रहा है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि जब्त वाहन पर आरटीओ लिखा था। आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक कार चेतन सिंह गौर के नाम पर रजिस्टर्ड है और वो सौरभ शर्मा का करीबी है।

सौरभ के रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नौकरी के दौरान अफसर भी टोल पर पोस्टिंग के लिए उसके चकर लगाते थे। बताया जाता है कि छापे के दौरान परिवहन विभाग को कुछ नकली रसीदें भी मिली हंै, जो इस बात का संकेत है कि जुर्माने की राशि सौरभ शर्मा से जुड़े परिवहन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी अपने पास रखते थे।


आईटी की कार्रवाई से बच गया सोना, मिलीभगत की आशंका
कार से मिले 52 किलो सोने को लेकर एक और कहानी सामने आ रही है। पूछा जा रहा है कि मेंडोरी के जंगल में कार खड़ी थी तो इसकी जानकारी स्थानीय रातीबड़ पुलिस को जब दी गई तो पुलिस ने उसे जब्त कर कार्रवाई क्यों नहीं की। पुलिस को कैसे मालूम चल गया कि इनोवा कार में सोना व रुपए हैं। 


इसके बाद इसकी सूचना लोकायुक्त को न देकर आयकर विभाग को दी गई। इसके लिए थ्योरी दी जा रही है कि अगर लोकायुक्त पुलिस सोना पकड़ती तो पूरा जब्त कर लेती। आपराधिक मामला भी दर्ज होता। आयकर विभाग की कार्रवाई से पूरा सोना सरकार के पास जाने से बचने की संभावना बनी हुई है। ऐसे में मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।


 जानकारों के मुताबिक सोना खरीदने के लिए इस्तेमाल की गई आय का स्त्रोत नहीं बता पाते हैं तो टैक्स लगता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के मुताबिक विवाहित महिलाएं 500 ग्राम, अविवाहित 250 ग्राम और पुरुष 100 ग्राम तक सोने के आभूषण रख सकते हैं।