MP News: मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन सरकार ने मदरसों पर कसा शिकंजा, केंद्र की वक्फ बोर्ड पर सख्ती के बाद उठाया कदम 

25 साल बाद बनाए मान्यता के नियम; मदरसों में दीनी तालीम के साथ मिलेगी स्कूली शिक्षा, राष्ट्रगान होगा अनिवार्य

 

भोपाल। केंद्र सरकार की सख्ती के बाद मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने भी मदरसों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। मध्यप्रदेश मदरसा बोर्ड अधिनियम 1998 के संदर्भ में तकरीबन 25 साल बाद मदरसा पंजीयन एवं मान्यता नियम में सरकार बदलाव करने जा रही है। इसका मसौदा तैयार कर लिया गया है। बस, इसे सरकार की मंजूरी का इंतजार है।


 नए बनाए जाने वाले नियमों में मदरसों में अब दीनी तालीम के साथ स्कूली पाठ्यक्रम (पहली से आठवीं तक) की आधुनिक शिक्षा दी जाएगी। मदरसों में नैतिक शिक्षा अनिवार्य रहेगी। बाल सभा में प्रतिदिन छात्र-छात्राओं को सुबह राष्ट्रगान (जन गण मन...) और छु्ट्टी के समय कौमी तराना सारे (जहां से अच्छा...) का गान अनिवार्य किया जाएगा।


नवीन मान्यता नियमों के लागू होने के बाद अब मदरसों की परिभाषा आधुनिक मदरसा के रुप में होगी। प्रदेश में शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम वर्ग) के बालक-बालिकाओं के शैक्षणिक विकास और उन्हें आधुनिक शिक्षा की मुख्य धारा में लाने के उद्देश्य से 1998 में मप्र विधानसभा में मप्र मदरसा बोर्ड अधिनियम 1998 पारित किया गया था। 


इसका मुख्य कार्य दीनी तालीम (अरबी और इस्लामी अध्ययन का शिक्षण) दे रहे मदरसों के छात्र-छात्राओं को दीनी तालीम के साथ-साथ राज्य शासन के स्वीकृत कक्षा एक से आठवीं तक के पाठ्यक्रम की शिक्षा भी दी जाएगी। इसका मकसद छात्रों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना है।


मध्यप्रदेश में मदरसा अधिनियम बनने के बाद से अभी तक उनकी मान्यता के नियम नहीं बने थे। इस कारण मदरसों में मनमर्जी से कार्य चल रहा था और शासन के नियमों की अवहेलना भी हो रही थी। अब पच्चीस साल बाद मोहन सरकार ने मदरसों की मान्यता को लेकर मसौदा तैयार कर लिया है।

नवीन मदरसों का नामकरण भी मान्यता नियमों के अनुसार करना होगा। पहले आधुनिक मदरसा लिखना होगा। इसके बाद मदरसे का नाम रखा जाएगा। मदरसे के नाम के साथ स्कूल या शाला जैसा शब्द नहीं जोड़ा जाएगा।


यह रहेंगे मान्यता के नए नियम
मदरसा बोर्ड में दो प्रकार से मदरसों का पंजीयन कर मान्यता दी जाएगी। पहला सामान्य मदरसा और दूसरा आवासीय मदरसा की मान्यता रहेगी। सामान्य मदरसों में अल्पसंख्यक (मुस्लिम) बहुल क्षेत्र जहां अन्य कोई और मदरसा 500 मीटर के दायरे में स्थापित नहीं होना चाहिए। क्षेत्र के बालक-बालिका आर्थिक या पारिवारिक कारणों से किसी भी शिक्षा को प्राप्त नहीं कर पा रहे हों।


क्षेत्र के लोग अपने बच्चों को दीनी एवं दुनियावी तालीम (स्कूली शिक्षा) एक साथ एक ही संस्था में उपलब्ध कराना चाहते हों। प्रस्तावित मदरसा भवन निजी वक्फ सम्पत्ति पर अथवा किराए का हो सकता है, ेलेकिन दोनों प्रकार के भवन में बिजली, पानी एवं बालक-बालिका हेतु पृथक-पृथक शौचालयों की व्यवस्था होना अनिवार्य है।


निजी वक्फ सम्पत्ति पर स्थापित भवन की स्थिति में मदरसा जिस भवन में स्थापित होगा, वह भूमि-भवन संस्था, प्रबंध समिति का स्वयं का होना चाहिए। किराए के भवन में मदरसा स्थापित करने के लिए मदरसा प्रबंध समिति द्वारा उस भवन भूमि को किराया नियम अथवा लीज नियमों के तहत न्यूनतम 3 वर्ष के लिए किराए पर लिए जाने का पंजीकृत अनुबंध कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत पूर्ण करना होगा।


मदरसे में छात्र-छात्राओं को प्रवेश देने से पूर्व यह सुनिश्चित करना होगा कि वह पूर्व से किसी अन्य स्कूल अथवा मदरसे में नामांकित नहीं हैं। बहुसंख्यक वर्ग के बालक-बालिका मदरसे में पढ़ने के लिए प्रतिबंधित नहीं हैं, लेकिन इसके लिए उनके अभिभावकों की सहमति हलफनामे के रुप में प्राप्त किया जाना अनिवार्य होगा। 


आवासीय मदरसों में छात्रों को दीनी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा (स्कूली शिक्षा) अनिवार्यत: प्रदान करना होगी। मदरसा बिना लाभ-हानि के नाम मात्र शुल्क प्राप्त कर संचालित होना चाहिए। चंदे के रूप में प्राप्त राशि का वित्तीय वर्ष के अनुसार लेखा-जोखा संधारित करना होगा और समय-समय पर निर्देशानुसार उपयोगिता प्रमाण-पत्र, ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करना होगी। 


मदरसे के पास उसकी निजी भूमि या भवन होना आवश्यक है। छात्रावास में वार्डन की नियुक्ति करनी होगी। आवासीय मदरसों में 15 वर्ष से अधिक होने की स्थिति में ऐसे विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए मदरसा बोर्ड एवं मप्र राज्य ओपन बोर्ड के संयुक्त तत्वाधान में दूरस्थ शिक्षा पद्धति के माध्यम से आयोजित कक्षा 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाओं में शामिल किया जाएगा।


इनका कहना है-
मदरसों की मान्यता के नियम बनाए जा रहे हैं। इस संबंध में अभी ज्यादा नहीं बता सकता हूं।
- डीबी प्रसाद, अपर संचालक राज्य
शिक्षा केंद्र व सचिव मप्र मदरसा बोर्ड