Loksabha Election: फौलादी सट्टा बाजार के अनुसार MP की 7 सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी के बीच जबरदस्त मुकाबला 

 

यहां पर भाजपा- कांग्रेस में से किसी के भी पक्ष में आ सकता है चुनाव परिणाम 

 

लोकसभा चुनाव के परिणामों की तारीख नजदीक आते ही राजस्थान का सबसे चर्चित सट्टा बाजार का आंकलन सामने आया है। इस बार फलोदी सट्टा बाजार की माने तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति २०१४ व २०१९ के जैसी ही रहने के आसार हैं। हालंाकि राजस्थान में कांग्रेस की स्थिति पिछले लोकसभा चुनाव से बहुत बेहतर मानी जा रही है। बता दें कि साल २०१९ के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एमपी की २९ लोकसभा सीटों में से २८ में जीत दर्ज की थी जबकि राजस्थान में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था। 

सूत्रों की मानी जाए तो फलोदी सट्टा बाजार के अनुमान के अनसार मध्यप्रदेश में भाजपा को 27 या 28 सीटें मिल सकती है। वर्ष 2019 में कांग्रेस को एक सीट नसीब हुई थी। भाजपा ने 29 में से 28 सीटें जीती थी, जबकि वर्ष 2014 में भाजपा ने प्रदेश की 27 सीटें जीती थी। और कांग्रेस ने अपने दो गढ़ बचा लिए थे जिसमें छिंदवाड़ा और गुना लोकसभा सीट शामिल रहीं। सट्टा बाजार की माने तो इस बार प्रदेश में कांग्रेस को एक या दो सीट ही मिल सकती है। हालांकि राजस्थान में 25 में से भाजपा को 18 से 20 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। 


 

सात सीटों पर जबरदस्त मुकाबला 
वहीं सामान्य रूप से देखा जाए तो मध्य प्रदेश की सात सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में जबरदस्त टक्कर मानी जा रही है। इसमें छिंदवाड़ा. मंडला, सतना, मुरैना, ग्वालियर, राजगढ़ और झाबुआ लोकसभा क्षेत्रों में कशमकश वाला मुकाबला माना जा रहा है। यहां पर चुनाव परिणाम भाजपा- कांग्रेस में से किसी के भी पक्ष में आ सकता है। मुकाबले वाली सीटों पर कई फैक्टर चले। कहीं सांसद से नाराजगी दिखी तो कही स्थानीय स्तर पर विरोध।

भाजपा जहां इस बार सभी 29 सीटों पर फतह का लक्ष्य लेकर मैदान में उतरी थी। जबकि कांग्रेस ने अपना प्रदर्शन सुधारने के लिए जी तोड़ मेहनत की। सट्टा बाजार के इतर भी अगर आम लोगों से चर्चा की जाए तो लोगों का मानना है कि प्रदेश में यूं तो भाजपा का दबदबा रहा।  लेकिन इस बार कांग्रेस की सीटों में भी इजाफा होगा। बता दें कि प्रदेश में पहले चार चरणों में ही मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस बार मतदान का कम प्रतिशत भी पार्टियों की टेंशन बढ़ा रहे हैं। हालांकि दोनों ही पार्टियां अपनी अपनी जीत का दावा कर रही हैं।