Hanuman Janmotsav: दुनिया के अनोखे मंदिर, जहां लगती हैं अदालतें, हनुमानजी न्यायधीश की तरह करते हैं फैसला

भक्तों की होती है पेशी, आगे अपील करने के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट 

 

आज पूरा देश हनुमान जन्मोत्सव मना रहा है, यह पर्व रीवा के लिए और ज्यादा खास इसलिए है क्यों कि यहां चिरहुला नाथ (हनुमान जी) पर लोगों का विश्वास अटल है। शहर में लोगों के हर बड़े कार्य की शुरूआत चिरहुला नाथ से होती है। विवाह या अन्य संस्कार, भागवत कथा आदि का पहला निमंत्रण भी चिरहुला भेजा जाता है ताकि हनुमान की कार्य की सिद्वि करें। वहीं तीर्थयात्रा सहित किसी शुभ यात्रा का आरंभ भी रीवा वासी चिरहुलानाथ की जय जयकारे के साथ करते हैं।

चिरहुला मंदिर वैसे तो कई कारणों से प्रसिद्व है लेकिन एक ऐसी वजह है जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। रीवा शहर के पूर्व दिशा में क्रम से बने तीन हनुमान मंदिर क्रमश: जिला न्यायालय, हाई कोर्ट, व सुप्रीम कोर्ट माने जाते हैं। मान्यता है कि इन हनुमान मंदिर में अपनी अर्जी लगाने के बाद पेशियां चलती हैं और सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। 

न्यायाधीश की तरह समस्या सुनते हैं बजरंगबली
लोगों में यह जन विश्वास है कि कलयुग के देवता बजरंग बली न्यायाधीश की तरह अपने भक्तों की समस्याएं सुनते हैं और उनके कष्टों को दूर करते हैं। बकायदे उनकी अदालत चलती है। यह बात सुनने में अजीब अवश्य लग रही है लेकिन पूरी तरह सत्य है कि रीवा में भी हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट स्थित है। जिनके न्यायाधीश खुद बजरंगबली है। रीवा के तीन ऐतिहासिक मंदिरों को अदालत का दर्जा प्राप्त है। चिरहुला मंदिर को जिला कोर्ट, राम सागर मंदिर को हाई कोर्ट व खेम सागर मंदिर को सुप्रीम कोर्ट के नाम से जाना जाता है। 

जिला अदालत में आते हैं सबसे ज्यादा मामले
 जिन भक्तों की पीड़ा जिला न्यायालय में दूर नहीं होती है तो वे हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा सकते हैं। अधिकांश भक्तों की मनोकामना जिला न्यायालय से ही पूरी हो जाती है। इसलिए हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में बहुत कम अर्जी जाती है। यही कारण है कि सबसे ज्यादा भीड़ चिरहुला मंदिर में ही होती है। मंदिर परिसर में 12 जोर्तिलिंग मंदिर तथा हवन मण्डप का निर्माण कराया गया है।

सिद्धपीठ है चिरहुला हनुमान मंदिर
 रीवा नगर के पूर्व दिशा में चिरहुला में प्रसिद्ध हनुमान मन्दिर है। इस मन्दिर का निर्माण रीवा के तत्कालीन नरेश महाराज भाव सिंह के शासन काल में हुआ था। यह मन्दिर एक सिद्ध पीठ है, जहां प्रति मंगलवार एवं शनिवार को कई हजार लोग दर्शन के लिये आते हैं। कहा जाता है कि श्री चिरहुलानाथ हनुमान जी की स्थापना अखाड़घाट के महन्त सुखदेवदास (रामदास) के शिष्य हनुमान दास ने की थी। श्री हनुमान दास को हनुमान जी की कृपा प्राप्त थी। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इन मंदिरों की स्थापना चिरौल दास बाबा ने किया था जिनके नाम से चिरहुला मंदिर विख्यात है। चिरौल दास बाबा के बारे में ऐसी मान्यता है कि वे पानी के ऊपर पैदल चल कर तालाब पार करते हैं। चिरहुला मंदिर, राम सागर मंदिर व खेम सागर मंदिर एक ही दिशा में स्थापित किए गए थे। चिरहुला मंदिर तालाब के किनारे स्थित है जबकि राम सागर मंदिर व खेम सागर मंदिर तालाब में स्थित है। शहर के ये तीनों मंदिर काफी चर्चित है। इसीलिए सुबह से शाम तक भक्तों का तांता लगा रहता है। 

रामसागर तथा खेम सागर हनुमान मंदिर
 चिरहुला नाथ मन्दिर के समकालीन रीवा गुढ़ रोड पर आगे राम सागर सरोवर के ऊपर श्री हनुमान मन्दिर, रामसागर तथा लोही ग्राम के पास श्री हनुमान मन्दिर खेमसागर है। कहा जाता है कि खेम सागर मंदिर की स्थापना स्व. श्री खेमदास शुक्ल (तत्कालीन महंत अखाड़ घाट) के द्वारा की गई थी। मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व ही खेमदास जी शुक्ल ने समाधि ले ली और उनके शिष्य श्री महंत केशवदास जी ने खेमसागर मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्य सम्पन्न कराया। इस तरह रीवा नगर के चारों ओर मन्दिरों की एक श्रृंखला है। पचमठा, अखाड़घाट, अमहिया, चिरहुलानाथ, रामसागर तथा खेमसागर प्रसिद्ध हनुमान सिद्ध पीठ हैं।