MP News: सरकार जल्द करेगी निगम-मंडलों में नियुक्तियां, तीन श्रेणियों से होगा सलेक्शन

दलबदलू, बेटिकट व जीत की भूमिका वाले नेता-कार्यकर्ताओं को मिलेगा पद

 

भोपाल। प्रदेश में 8 महीने पहले नई सरकार बनने के बाद से निगम-मंडलों सहित प्राधिकरणों की नियुक्तियों का मामला अधर में लटका हुआ है। लोकसभा चुनाव के बाद होने वाली नियुक्तियों की संभावना को अब जाकर बल मिला है। मिली जानकारी के अनुसार सरकार अब जल्द ही राजनीतिक नियुक्तियों का पिटारा खोलने वाली है। यह नियुक्तियां निगम-मंडलों सहित प्राधिकरणों में होंगी। इसे लेकर मंथन हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक नियुक्ति को लेकर तीन श्रेणी तैयार की गई हैं। इनके तहत कांग्रेस से भाजपा में आए नेता, चुनाव में बेटिकट नेता और तीसरी श्रेणी चुनाव जीतने में अहम किरदार निभाने वाले नेता शामिल हैं।

लॉटरी का इंतजार
लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए नेताओं को भी निगम-मंडलों में समायोजित किया जाएगा। जैसे अमरवाड़ा से विधायक बने कमलेश शाह, सुरेश पचौरी और निर्मला सप्रे सहित अन्य। ऐसे नेताओं को भाजपा राजनीतिक नियुक्ति देकर वादा पूरा कर सकती है। इसी के साथ कई नेताओं को पार्टी ने चुनाव में टिकट नहीं दिया। ऐसे नेताओं को भी समायोजित किया जाएगा। नेताओं की भी सूची तैयार की गई है, जिनकी विधानसभा और लोकसभा चुनाव जीतने में अहम भूमिका रही।


नाराजगी का डर
एक ओर जहां राजनीतिक नियुक्तियों की तैयारी है तो दूसरी ओर पार्टी को नाराजगी का भी डर सता रहा है। वजह ये कि राजनीतिक नियुक्ति सीमित होंगी, जबकि इस कतार में लगे नेताओं की संख्या कहीं ज्यादा है। इससे पहले ही कांग्रेस से बीजेपी में आए वरिष्ठ विधायक रामनिवास रावत को मंत्री बनाए जाने पर ही पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने खुलकर विरोध किया था, जबकि कुछ मन ही मन नाराज रहे। 


बता दें कि लंबे समय से सत्ता में रहने वाली बीजेपी के पास अब दावेदारों की संख्या काफी ज्यादा हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सहित अन्य दलों से आने वाले दलबदलुओं ने भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं की टेंशन और ज्यादा बढ़ा रखी है माना जा रहा है कि निगम-मंडलों सहित प्राधिकरणों में इन दलबदलुओं का भी ध्यान दिया जाएगा। जो कहीं न कहीं पार्टी के पुराने नेता के हक पर डाका होगा।


 बहरहाल, इन्हीं सब कारणों से पार्टी को इन नियुक्तियों की घोषणा में इतना समय लग रहा है। संभवत: ऐसा कम ही देखने को मिलता है जब कि सरकार को अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए इतना माथा पच्ची करनी पड़े। सबको साधना अब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की बड़ी चुनौती साबित होगी।