Indore News:  गलत प्रश्न देना बनी एमपीपीएससी की परंपरा; इस बार दो प्रश्न डिलीट किए, दो के आंसर गलत 

मप्र लोक सेवा आयोग की गलती से हजारों अभ्यर्थी होंगे प्रभावित

 

इंदौर। एमपीपीएससी (मप्र लोक सेवा आयोग) ने फिर बड़ी चूक कर दी है। आयोग ने राज्य सेवा और राज्य वन सेवा परीक्षा 2024 प्री के सवालों की प्रोविजनल आंसर की पर लगी आपत्तियों के निराकरण के बाद शुक्रवार रात फाइनल आंसर की जारी कर दी लेकिन इसमें फिर गलती की। एक प्रश्न (स्पेमिंग, फिशिंग संबंधी) में तो साफ दिख रहा है कि टाइपिंग एरर की गई है कि क्योंकि जिस जवाब पर आपत्ति नहीं थी, वही मान्य कर दिया है। दो प्रश्न डिलीट दिए हैं जबकि इनमें से एक के दो विकल्प मान्य होने थे और एक डिलीट होना था। यानी अब इनके नंबर सभी को मिलेंगे। वहीं विशेषज्ञों द्वारा दो के दिए आंसर गलत बताए जा रहे हैं।

  


विशेषज्ञ कमेटी इन आधार पर प्रश्न के आंसर पर विचार
1. हिंदी से अंग्रेजी में ट्रांसलेशन गलत कर दिया हो जैसे कि अभी 2024 की प्री में ही आरोही और अवरोही का विवाद हुआ

2. प्रश्न सही नहीं बना हो जैसे कि 2023 प्री में प्रेस की स्वंतत्रता वाला मुद्दा था 

3. चार विकल्प में से एक भी सही नहीं हो।

4. प्रश्न में गलत फैक्ट नाम, साल व अन्य आंकड़े गलत दिए हो।


 
हजारों उम्मीदवारों पर होगा असर
इस चूक का असर हजारों उम्मीदवारों पर होने वाला है। पद केवल 110 है और 1.34 लाख ने परीक्षा दी है। इसमें से ढाई हजार से भी कम मेंस में चयनित होंगे। तीन प्रश्न डिलीट उनके सभी को अंक मिलेंगे और तीन के दो विकल्प यानी अधिक लोगों के इनके सही होने के रास्ते खुलेंगे। यानी कुल मिलाकर ऐसी स्थिति में कटऑफ बहुत अधिक जाने वाला है।

क्या करना चाहिए
आयोग को चाहिए कि तत्काल वह प्रश्न जो खासकर टाइप एटर से जुड़ा है और ऐसे अन्य जो उन्हें लगते हैं कि अभ्यर्थी सही है तत्काल इसे हटाकर नई आंसर की जारी करना चाहिए। प्रोविजनल में भी वह ऐसा कई बार चुका है।

  

बिना गलत प्रश्न बनी पीएससी की परंपरा 
पीएससी ने बीते सालों में 34 परीक्षाएं ली है, इसमें 4350 सवाल पूछे गए और 135 सवाल के जवाब गलत थे, जिसे डिलीट किया गया। अभी तक 95 सवालों के एक से अधिक विकल्प पीएससी को मानने पड़े हैं। बीते पांच सालों में हर एक परीक्षा में औसतन चार सवाल डिलीट करने पड़े हैं।

हाईकोर्ट ने ही दो सवाल गलत बता दिए थे
राज्य होता परीक्षा 2023 प्री में तो खुद जबलपुर हाईकोर्ट ने ही पीएससी को कड़ी फटकार लगाते हुए पी प्रश्नों को गलत बताया था। इसके चलते मेरिट ही राज्य वन सेवा की फिर से बनाने के आदेश दे दिए थे और कई उम्मीदवारों को राज्य सेवा में मैस में बैठने के लिए पात्र घोषित किया था। हालांकि पीएससी डबल बैंच से स्टे ले आया और उम्मीदवारों को राहत नहीं मिल सकी।