Anuppur News: जंगली हाथियों के आतंक से सीमाई क्षेत्र के ग्रामीण त्रस्त, लगातार झेल रहे नुकसान

वन विभाग दे रहा झूठा आश्वासन, लोगों में पनप रहा असंतोष 

 

  अनूपपुर। जिले के जैतहरी एवं अनूपपुर वन परिक्षेत्र एवं थाना क्षेत्र में विगत तेरह दिनों से दो हाथी निरंतर विचरण कर रहे है जो रात भर ग्रामीणों के घरों,खेतों एवं बांड़ी में लगे,रखें विभिन्न प्रकार के अनाज,सब्जियों के साथ घरों में तोड़फोड़ कर नुकसान पहुंचा रहे है तथा दिन होते ही आसपास के जंगलों में विश्राम करने चले जाते है यह प्रक्रिया निरंतर तेरह दिनों से चलने के कारण हाथियों के विचरण से प्रभावित ग्रामों के ग्रामीण रात-रात जागरण कर अपने घर,खेत,वांड़ी,मोहल्ला एवं गांव को हाथियों से बचाने के लिए रात-रात भर जागकर काट रहे हैं वहीं ऐसे ग्रामों के ग्रामीणों के परिवारों के सदस्य जिसमें वृद्ध महिला,पुरुष,महिलाएं एवं बच्चे सम्मिलित रहते हैं रात-रात भर परेशान रहते हैं जिससे ग्रामीणों में व्यापक पैमाने पर असंतोष बढ़ता जा रहा है। 

वहीं वन विभाग के द्वारा हाथियों की निगरानी पर निरंतर नजर रखते हुए आबादी वाले क्षेत्रों में हाथियों के प्रवेश को रोकने के लिए ग्रामीणों के साथ काम कर रहे हैं वन विभाग के बड़े अधिकारी स्थल का निरीक्षण करते हैं के समय ग्रामीण जन अपनी व्यथा सुनाते हुए हाथियों को जिले से बाहर कराए जाने की मांग कर रहे हैं जिस पर 13 दिनों के मध्य ग्रामीण को सिर्फ आश्वासन एवं विभिन्न प्रकार के प्रयोग होते ही दिख रहे हैं लेकिन किसी भी तरह का सार्थक पहल नहीं हो पा रहा है यह दोनों हाथी विगत तीन दिनों में 8 से 10 किलोमीटर की परिधि में विचरण करते हुए मंगलवार एवं बुधवार के दिन गोबरी के जंगल बढ़ौना खार में तथा गुरुवार की सुबह से अनूपपुर वन परिक्षेत्र तथा थाना क्षेत्र के दुधमनिया बे बीट के कक्ष क्रमांक 357 एवं 358 में विश्राम कर रहा है

विगत तीन दिनों के मध्य अनूपपुर एवं जैतहरी थाना क्षेत्र एवं वन परिक्षेत्र के बेलियाकछर,पगना,ठेंगरहा,बांका,केकरपानी आदि ग्रामों में ग्रामीण के घरों में तोड़फोड़ कर बांड़ी में लगे केला,गान्ना,कटहल को आहार बना रहे हैं हाथियों के निरंतर विचरण पर अनूपपुर कलेक्टर एवं वन मंडलाधिकारी के निर्देश पर बैंगलोर से हाथी विशेषज्ञ रुद्रा आदित्य द्वारा बुधवार की शाम वन परिक्षेत्र जैतहरी के गोबरी बीट अंतर्गत कक्ष क्रमांक आर 302 जहां से हाथी दिन में विश्राम करने बाद देर शाम एवं रात को जंगल से निकल कर गोबरी,बांका,केकरपानी,बेलियाफटक की ओर खाने की तलाश के लिए जाते हैं यहां से हाथियों के ग्रामीण अंचलों में प्रवेश को रोकने के उद्देश्य जूट के बोरे मे मिर्ची डालकर मशाल बना कर,टीने में कन्डे,मिर्ची डालकर मिर्चीयुक्त धुआ किए जाने का प्रयोग किया गया। 


  बुधवार की शाम जैतहरी राजेंद्रग्राम मुख्य मार्ग के मध्य भूपेंद्र सिंह के केसर के पास से मुख्यमार्ग पर चलते हुए गोबरार नाला के समीप जंगल में जाकर कुछ देर ठहरने बाद फिर से मुख्य मार्ग पर चलते हुए ठाकुरबाबा के पीछे के जंगल में जाकर गोवरी एवं ठेंगरहा के मध्य विजय सिंह के घर के पास से निकाल कर गोबरी तथा ठेंगरहा तालाब में पानी पीने बाद ग्रामीणो एवं वन विभाग की टोली द्वारा भगाए जाने पर ठेंगरहा-पगना मुख्य मार्ग पर चलते हुए देर रात ठेंगरहा गांव में शकुंतला सिंह के कच्चे मकान को दो स्थानों पर तोड़कर अंदर रखे धान को निकाल कर खाते हुए निरंतर एक घंटे तक उनके घर को निशाना बनाते रहे इस बीच जूट की बोरी में मिर्ची डालकर बनाए गए मशाल एवं पटाखा के माध्यम से भगाए जाने पर कुछ दूर जाकर फिर वापस आ जाते रहे।
 

बुधवार की देर शाम वन मंडलाधिकारी अनूपपुर सुश्री श्रद्धा पेन्द्रे के द्वारा अपनी उपस्थिति में बैंगलोर के हाथी विशेषज्ञ रुद्रा आदित्य से बचाव के उपाय का निरीक्षण किया इस दौरान ग्राम पंचायत गोबरी के सरपंच एवं ग्रामीणों ने डीएफओ से हाथियों को जिले के बाहर कराए जाने का पर चर्चा पर तीन दिनों का समय मांगा है हाथियों का समूह गुरुवार की रात किस दिशा में विचरण करेगा यह रात होने पर ही पता चल सकेगा।