Anuppur News: अनूपपुर थर्मल एनर्जी, वेलस्पन एनर्जी की अधिग्रहित भूमि पर बिछा रहा बिसात
कंपनी के नाम परिवर्तन पर ग्राम वासियों की आपत्ति, कंपनी के वादे अधूरे
अनूपपुर। वेलस्पन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का नाम राजस्व अभिलेख में अनूपपुर थर्मल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड करने पर ग्राम वासियों ने भारी आपत्ति दर्ज कराई है। मई 2011 में भू अर्जन अधिनियम 1894 की धारा 41 के तहत जिला प्रमुख एवं वेलस्पन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के परियोजना क्षेत्रीय प्रबंधक के बीच एक करार हुआ जिसमें मप्र शासन के आदर्श पुनर्वास नीति 2002 के पालन में ये बातें प्रमुख रूप से थीं।
इनमें विस्थापितों की श्रेणी के अनुसार मुआवजा की राशि, पुनर्वास के लिए अनुदान राशि, विस्थापन के लिए,घरेलू सामान ले जाने की व्यवस्था, पशुशाला, प्रभावित परिवार एक सदस्य को रोजगार एवं विकलांग, वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन निशुल्क चिकित्सा सेवाएं आदि दी जानी थी।
इसलिए उठे विरोध के स्वर
अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 जो की एक महत्वपूर्ण भारतीय कानून है भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को अधिक मानवीय, सहभागी, सूचित और पारदर्शी बनाता है।
अधिनियम के मुख्य उद्देश्यों में प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा पुनर्वास और पुनर्स्थापन की व्यवस्था की जानी चाहिए थी ताकि वे विकास में भागीदार बन सकें। इस अधिनियम में कंपनियां अधिग्रहित की गई भूमि को दूसरी कंपनी को हस्तांतरित कर सकता है, लेकिन यह भूमि अधिग्रहण कानून और शर्तों के अधीन है।
भूमि अधिग्रहण को नियंत्रित करने के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 जैसे कानून हैं। भूमि हस्तांतरण के कानूनों के अनुसार, अधिग्रहित भूमि को हस्तांतरित करने के लिए कुछ प्रक्रिया और नियम हैं, जिनमे संबंधित सरकार से अनुमति प्राप्त करना और कानूनी प्रक्रिया का पालन करना।
यदि भूमि को एक कंपनी से दूसरी कंपनी को हस्तांतरित किया जाता है, तो प्रभावित लोगों की सहमति शामिल हो सकती है। अब जब की वेलस्पन एनर्जी द्वारा अधिग्रहित भूमि को अनूपपुर थर्मल एनर्जी को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया की गयी है छतवई, उमरदा के ग्रामीणों ने उनसे सहमति न लिए जाने को प्रमुख मुद्दा बनाया है और अपनी आपत्ति दर्ज कराई है।
ग्रामीणों का आरोप है की वेलस्पन एनर्जी ने इकरारनामे के शर्तों का पालन ठीक से नहीं किया। अनूपपुर जिला, मध्य प्रदेश राज्य का अधिसूचित जिला है ऐसे में इस क्षेत्र में पंचायती राज के तहत पेशा एक्ट लागू होता है भूमि अंतरण के लिए ग्राम सभा भी नहीं लगाया गया जो बेहद आपत्तिजनक है, अधिग्रहित भूमि का उपयोग भूमि वर्षों तक नहीं किया गया नियमों के मुताबिक इसे ग्रामीणों को लौटा दिया जाना चाहिए था।
वेलस्पन और अडानी समूह का रिश्ता पुराना
खबरों के अनुसार उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर जिले में भी वेलस्पन पॉवर प्लांट परियोजना को अब अड़ानी समूह ने अपने हाथों में ले लिया है। वहां के स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि कंपनी के लोग शुरू से ही जनहितों की अनदेखी करते आए हैं।
पूर्व में वेलस्पन पावर एनर्जी ने किसानों की भूमि को हथियाने का भरपूर प्रयास किया था, लेकिन कंपनी को आखिरकार भागना पड़ा था। अब वहीं काम अडानी की कंपनी मिर्जापुर थर्मल एनर्जी (यूपी) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।
कुल मिलाकर अडानी का एक और पावर प्लांट विवादों में है। मिर्जापुर में प्रस्तावित अडानी समूह का एक पावर प्लांट न सिर्फ पर्यावरणीय क्षति की आशंका में स्थानीय लोगों के विरोध का सामना कर रहा है, बल्कि इसके ऊपर फर्जी जनसुनवाई के आरोप भी लग रहे हैं।
इस इलाके के महत्त्व को इस तरह देखें कि यह प्लांट जिस मड़िहान वन रेंज के बीच में निर्मित होना है, इस जंगल को भालू संरक्षण रिजर्व घोषित करने का प्रस्ताव है ददरी खुर्द गांव के वन क्षेत्र में 1600 (2&800) मेगावाट की कोयला आधारित अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की स्थापना को लेकर 11 अप्रैल, 2025 को एक जनसुनवाई का आयोजन किया गया। लेकिन स्थानीय लोगों ने इस जुटान को गैरकानूनी बताते हुए विरोध किया। आरोप है कि जल्दबाजी और भाड़े की भीड़ के बीच संपन्न हुई जनसुनवाई में प्रभावित समुदायों को ही नहीं बुलाया गया।
प्लांट लगने के कई फायदे भी हैं
निजी थर्मल प्लांट लगाने से बिजली उत्पादन में वृद्धि, रोजगार के अवसर और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, इससे विदेशी मुद्रा की बचत होती है और वायु प्रदूषण कम होता है। यह बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान करता है, जिससे राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलती है थर्मल प्लांट की स्थापना से निर्माण, संचालन और रख-रखाव के लिए बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता आदि इसमें इस्तेमाल होने वाली प्रमुख चीजे इस प्रकार हैं। खदान से पाया गया कोयला ,नदी से पानी, काफी मात्रा में पानी की जरूरत होती हैं। देखना है की कब बहुप्रतीक्षित प्लांट प्रारम्भ हो पाता है।