India's First Electric Highway: 6 साल में तैयार हो जाएगा देश का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे, बिजली से दौड़ेगी बसें

दिल्ली-जयपुर के बीच 225 किलोमीटर का होगा यह हाईवे, मेट्रो की तर्ज पर चलेंगी यह बसें

 

वह दिन दूर नहीं जब देश के हाईवेज में इलेक्ट्रिक वाहनों का कब्जा हो जाएगा जिसकी शुरुआत जल्दी होने जा रही है। बता दें कि दिल्ली से राजस्थान की राजधानी जयपुर तक 225 किलोमीटर का इलेक्ट्रिक हाईवे तैयार किया जा रहा है जिसमें इलेक्ट्रिक बसें दौड़ेंगे यानी पूरा सफर पॉल्यूशन फ्री हो जाएगा। यह प्रोजेक्ट आने वाले 6 सालों में पूरा होने की संभावना जताई जा रही है। इससे पेट्रोल और डीजल की निर्भरता भी तेजी से खत्म होगी। 

 बता दें कि केंद्रीय राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय देश का पहला इलेक्ट्रिसिटी इनेबल्ड हाईवे (विद्युत चालित हाईवे) बनाने की दिशा में काम कर रहा है। इसके लिए मौजूदा सड़क पर ही आने-जाने वाले रास्तों पर एक डेडिकेटेड लेन बिजली से चलने वाली बसों के लिए तय हो जाएगी। इन बसों की रफ्तार 100 किमी तक होगी। ऐसी 55 सीटर बस का प्रोटोटाइप भी तैयार हो रहा है। दो बसें जोड़कर 95 सीटर पर भी काम चल रहा है।


डिवाइडर में लगेंगे पोल तारों से होगी सप्लाई
इस मामले की जानकारी देते हुए संबंधित अधिकारियों ने बताया कि इलेक्ट्रिक हाईवे के लिए अलग सड़क की जरूरत नहीं है, एक डेडिकेटेड लेन होगी। इन बसों में तारों से बिजली आपूर्ति होगी। इसके लिए डिवाइडर पर बिजली के पोल लगाए जा सकते हैं। इस प्रोजेक्ट को बीओटी (बिल्ट,ऑपरेट एंड ट्रांसफर) के तहत बनाने की योजना है। सूत्रों के अनुसार प्रोजेक्ट में टाटा और सिमन्स जैसी कंपनियों को शामिल किया जाएगा।

मेट्रो की तर्ज पर चलेंगी यह बसें
बता दें कि इलेक्ट्रिक बसों को चलने के लिए न बैटरी, न चार्जिंग की जरूरत होगी क्योंकि इन बसों में डायरेक्ट बिजली सप्लाई की जाएगी। जबकि अन्य इलेक्ट्रिक बस बैटरी से चलती हैं और चार्ज करने की जरूरत पड़ती है, जबकि विद्युत ऊर्जा से चलने वाली बसों में लगातार बिजली की आपूर्ति होती रहती है, इसलिए इन्हें चार्जिंग की जरूरत ही नहीं है। जिस तरह अभी ट्रेन या मेट्रो में विद्युत आपूर्ति की जाती है, उसी तर्ज पर ये बसें भी चलेंगी। इसका मकसद ग्रीन ऊर्जा को बढ़ावा देना है।


दुनिया के कई यूरोपीय देशों में है सुविधा
ऐसा नहीं है कि भारत में यह पहली बार होने जा रहा है बल्कि दुनिया के कई यूरोपीय देशों में इस तरह की व्यवस्था पहले से ही मौजूद है। जर्मनी में प्रति किमी 22 करोड़ रु. के खर्च से इलेक्ट्रिसिटी हाईवे बन चुका है। इससे वहां ट्रकों का करीब 60% ट्रैफिक घटा है। स्वीडन भी इसका इस्तेमाल कर चुका है। मौजूदा समय में कई अन्य यूरोपीय देशों में इस तरह की बसें चलाई जाती हैं।