Sidhi News: सीधी में बच्चों को दिखाई गई हिन्दी फिल्म 'बूट पॉलिश'
हर रविवार ज्ञान और मनोरंजन से ओत-प्रोत फिल्मों का किया जाता है प्रदर्शन

सीधी। इंद्रवती नाट्य समिति, यूसीएन मास पब्लिक स्कूल, ट्रांसफ्रेम और आर्ट ऑन क्लिक के सहयोग से हर रविवार लोगो को ज्ञानवर्धक और मनोरंजन से ओत - प्रोत फिल्में लगातार दिखाई जाती है। बच्चों के उत्साह को देखते हुए और साथ युवाओं की सहभागिता रहती है। इस रविवार भारतीय एक्शन की मशहूर फिल्म 'बूट पॉलिश' का प्रदर्षन किया गया।
कहानी- भोला और बेलू दो भाई बहन हैं जिनकी माँ का देहान्त हो गया है और पिता को कारावास। उनको उनकी दुष्ट चाची कमला के साथ रहने जाना पड़ता है। कमला उनसे भीख मँगवाती है और उन्हें बुरा - भला कहती है। एक अवैध शराब बनाने वाला, जिसको बच्चे जॉन चाचा के नाम से जानते हैं, उनको भीख माँगना छोड़कर एक स्वाभिमान की जिन्दगी जीने की सलाह देता है।
बच्चे उसकी बात मानकर कुछ पैसे बचाकर बूट पॉलिस का सामान खरीदते हैं। जब कमला को इस बात का पता चलता है तो वह उनका सामान छीनकर उन्हें मारती है और घर से निकाल देती है। वर्षा होने के कारण अब कोई भी व्यक्ति उनसे बूट पॉलिस भी नहीं कराता है और दोनो को भरपेट भी नसीब नहीं होता है। असहाय बच्चे तब भुखमरी के कगार पर पहुँच जाते हैं जब जॉन चाचा को अवैष शराब बनाने के जुर्म में हिरासत में ले लिया जाता है।
एक दिन रेलवे स्टेषन पर अनाथ बच्चों को अनाथालय ले जाने की पकड़ धकड़ चल रही थी। वेलू ट्रेन में चढ़कर बच निकलती है और भोला से बिछड़ जाती है। ट्रेन में बेलू को एक अमीर दम्पत्ति गोद ले लेती है। वेलू भोला से बिछड़कर दु:खी हो जाती है।
'बूट पॉलिश' का काम शुरू करने के बाद भोला ने बेलू को भीख माँगने से मना किया था और यहाँ तक कि वेलू ने कहा न मानने पर उस पर हाथ भी उठाया था, लेकिन अब हालात इतने नाजुक हो जाते है कि भोला को खुद भीख माँगने की नौवत आ जाती है और एक दिन जब वह रेलवे स्टेषन पर भीख माँग रहा होता है तो उसकी मुलाकात बेलू से हो जाती है। फिर दोनों बच्चों को वह अमीर दम्पत्ति गोद ले लेती है। फिल्म के अन्त में दिखाया गया है कि अब दोनों बच्चे स्कूल जा रहे हैं।
उपरोक्त विषय पर यूसीएन मास पब्लिक स्कूल एवं बच्चों को यह कहानी बहुत पसंद आया और 'बूट पॉलिश' निराश्रित बच्चो की समस्या उनके अस्तित्व के संघर्ष और संगठित भिक्षावृति के खिलाफ उनकी लड़ाई को बहुत ही खुबसूरती से दिखाती है। इस फिल्म का उद्देष्य आपको यह बताना है कि ये अनाथ बच्चे आपकी उतनी ही जिम्मेदारी हैं जिनकी कि सरकार की।