Singrauli News: सिंगरौली के आईसीडीएस में भर्रेशाही, केन्द्रों के नहीं खुलते ताले
अधिकांश आंगनबाड़ी केन्द्रों में परियोजना एवं पर्यवेक्षक मेहरबान, योजनाओं की राशि में बंदरबांट का आरोप

सिंगरौली। जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग में भर्रेशाही का बोलबाला है। आरोप है कि देवसर-वैढ़न क्षेत्र के अधिकांश आंगनवाड़ी केन्द्रों का ताले भी खुलते और खुलते भी हैं तो खानापूर्ति की जा रही है।
दरअसल जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना क्षेत्र देवसर एवं बैढ़न शहर व ग्रामीण में संचालित कई आंगनवाड़ी केेन्द्रों के ताले कभी कभार ही खुलते हैं।जिसकी जानकारी भलीभांति परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षको को भी हैं। लेकिन संबंधित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं पर कार्रवाई करने से परहेज करते हैं
आरोप लग रहे हैं कि ऐसे आंगनवाड़ी केन्द्रों से कार्यकर्ताओं एवं महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों का संरक्षण मिला है। जिसके कारण कार्रवाई नही की जाती है। इतना ही नही आंगनवाड़ी केन्द न खुलने के शिकायत भी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ जन सुनवाई में भी होती रहती है। इसके बावजूद विभागीय अधिकारी संबंधित केन्द्रों के कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं पर कार्रवाई नही करते। कार्रवाई न करने के पीछे मुख्य वजह क्या है?
चर्चाओं के मुताबिक अन्नप्रासन्न, गोद भराई भी महज खानापूर्ति कर करते हुए केवल फोटो सेसन तक सीमित है। आईसीडीएस का अमला आम आदमी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश सोनी का आरोप है कि महिला बाल विकास विभाग में जमकर भर्रेशाही है। एक ही जिले में कई वर्षो से पदस्थ परियोजना अधिकारी क्षेत्र में इतनी पैठ बना ली हैं कि अधिकांश कामकाज दफ्तर से ही करते हैं और कई आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को खुली छूट दे रखा है।
जिसके चलते आंगनबाड़ी कार्यकर्ता केन्द्र में ज्यादा समय नही देते हैं। फिलहाल महिला एवं बाल विकास विभाग में मची भर्रेशाही वर्षो से पदस्थ परियोजना अधिकारियों के कार्यशैली को लेकर विपक्षीय पार्टियों के नेता निशाना साधना हुए कहना शुरू कर दिए हैं।
साझाचूल्हा कार्यक्रम में भी गड़बड़ झाला जानकारी के अनुसार महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा संचालित साझाचूल्हा कार्यक्रम भी महज खानापूर्ति तक ही सीमित रह गया है। आरोप है कि आईसीडीएस अमले के द्वारा साझा चुल्हा कार्यक्रम की मॉनिटरिंग समुचित तरीके से नहीं कर रहा है और ना ही रसोईयों को समय पर मानदेय भी उपलब्ध नही करा रहा है।
यहां तक कि समूहों को साझाचूल्हा कार्यक्रम में आने वाली अड़चनों को भी दूर करने में विभागीय अधिकारी भी दिलचस्पी नहीं दिखाते। सबसे ज्यादा इस तरह की शिकायते देवसर-बैढ़न व चितरंगी ब्लॉक में आती रहती हैं।
फिर भी आईसीडीएस के जिम्मेदार अधिकारी अनजान बने रहते हैं। साझाचूल्हा कार्यक्रम में समूहो के द्वारा भोजन क्या पकया जा रहा है, मीन्यू का पालन हो रहा है कि नही, इस पर भी विभाग के अधिकारियों की विशेष नजर नही रहते हैं। इस तरह के आरोप हैं।
सहायिकाओं के सहारे कई आंगनबाड़ी केन्द्र
आलम यह है कि बैढ़न शहर से लेकर ग्रामीण व देवसर ब्लॉक के कई ऐसे आंगनवाड़ी केन्द्र हैं, जहां कार्यकर्ता सहायिकाओं के जिम्मे छोड़ दिया है। बैढ़न इलाके में कई ऐसे केन्द्र हैं, जहां कार्यकर्ताओं का आना-जाना कम ही लगा रहता है। पूरी जवाबदेही सहायिकाओं को सौप दी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि इसकी जानकारी पर्यवेक्षको को भी भलींभांति है।