MP News: मऊगंज और देवतालाब क्षेत्र के बीजेपी विधायक में तकरार, हुए आमने-सामने

विंध्य भाजपा में सियासी वर्चस्व को लेकर विधायकों के बीच बढ़ी खींचतान

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Mauganj

देवतालाब में प्रदीप पटेल की दखल से गिरीश गौतम नाराज, बोले- हमने ऐसी बहुत लड़ाइयां देखी हैं, ऐसा करने वालों का वजूद खत्म हो जाता है

मऊगंज। विंध्य और बुंदेलखंड में भाजपा में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। बुंदेलखंड में प्रदेश सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के बीच का विवाद थमा नहीं है और अब विंध्य के भाजपा नेताओं के बीच घमासान मच गया है। ताजा सियासी बवाल पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व देवतालाब से विधायक गिरीश गौतम और मऊगंज से भाजपा विधायक प्रदीप पटेल के बीच का है। इसी तरह की खींचतान त्योंथर से भाजपा विधायक सिद्धार्थ तिवारी और मनगवां से विधायक नरेंद्र प्रजापति के बीच भी सामने आ चुकी है।


 मऊगंज जिले के देवतालाब विधानसभा क्षेत्र के सीतापुर गांव में हुए कथित लव जिहाद का मामला अब और गरमा गया है। मामले में देवतालाब विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक गिरीश गौतम और मऊगंज के भाजपा विधायक प्रदीप पटेल आमने-सामने आ गए हैं। दो दिन पूर्व जिस घटना को लेकर विधायक पटेल ने हंगामा किया था, वह क्षेत्र विधायक गौतम का है। 


क्षेत्र में दखल के कारण गौतम अब पटेल से नाराज बताए जा रहे हैं। उनकी नाराजगी इस बात को लेकर पटेल उनके क्षेत्र में दखल देते हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो यह मामला अब भाजपा की ऊपरी अदालत तक पहुंच चुका है। भाजपा के दोनों नेताओं की सियासी विवाद लौर थाना क्षेत्र के सीतापुर गांव की एक किशोरी को अगवा किए जाने से जुड़ा है। 


इस मामले में विधायक पटेल के दबाव में लौर थाना प्रभारी जगदीश सिंह ठाकुर समेत एक एएसआई को निलंबित करना पड़ा था। बड़ा सवाल यह है कि पटेल मऊगंज के विधायक हैं और दूसरी विधानसभा में हस्तक्षेप कर रहे हैं। इससे गौतम नाराज हैं। उन्होंने कहा कि साक्ष्य एकत्रित करने का काम विधायक का नहीं होता है। यह हमारा काम नहीं है। उनके पास या साक्ष्य हैं, दिखाना चाहिए, वह पलिक डोमेन में आना चाहिए। एक विधायक के पास अगर कोई साक्ष्य उपलब्ध हो जाता है, तो वह सीक्रेट नहीं हो सकता। उनको दिखाना चाहिए। 


गौतम कहते हैं कि कल कुछ लोग मेरे पास आए थे। हनुमना तहसील का एक प्रकरण है, वहां पर पटेल समाज के दो लोगों ने ब्राह्मणों की कई एकड़ जमीन पर कब्जा कर रखा है। तहसीलदार ने प्रकरण के निराकरण में अतिक्रमण हटाने को कहा। अब यह मामला पुलिस नहीं देख पा रही है या उसे दिखाई नहीं पड़ता। आदेश होने के बाद भी वहां पर पुलिस क्यों नहीं जा रही है।


 गौतम कहते हैं कि इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी पार्टी को है। संगठन को यह भी पता है कि उनका विधायक या कर रहा है। जिस तरह की लड़ाई यहां पर चल रही है, हमने इस तरह की बहुत सी लड़ाइयां देखी हैं और उनके परिणाम भी देखे हैं। एक राजनेता को न्याय की लड़ाई लड़ना चाहिए। इस तरह लड़ाई लड़ने वालों का वजूद समाप्त हो जाता है। हमारी बिरादरी का भी कोई व्यक्ति कहीं अन्याय कर रहा है, तो हमें उसके खिलाफ भी खड़ा होना पड़ेगा और खड़ा होना भी चाहिए। टारगेट कर नहीं लड़ना चाहिए।


सीतापुर मामले में गौतम ने कहा कि थाना प्रभारी लौर और पुलिस अधीक्षक को मैंने फोन कर कहा था कि मामले की कार्यवाही करें। इस मामले में पुलिस ने लड़की को ढूंढा और लड़की का 164 का बयान कराया गया। शायद वह घर जाने को तैयार नहीं थी, इसीलिए उसे वन स्टॉप सेंटर में रखा गया, अब इससे ज्यादा पुलिस क्या करे। 


संबंधित उप निरीक्षक एवं सहायक उप निरीक्षक के निलंबन के मामले पर गौतम ने कहा, कि मैं कहता हूं कि गलत हो गया। इस मामले में न्याय होगा और न्याय करना ही पड़ेगा। मामला चाहे जिला पुलिस प्रशासन का हो अथवा संभाग का, ऐसे में अधिकारी भी डर कर कब तक काम करेंगे।

हम भी गड़बड़ करेंगे, तो हमारे ऊपर भी आरोप लगेंगे। हर कार्य में हमें निष्पक्षता रखनी पड़ेगी। वैसे भी जब दूसरी विधानसभा हो, वहां भाजपा का ही विधायक हो और संगठन अलग से मौजूद हो, तो फिर किसी इशू को लेकर या इस तरह करना चाहिए। अधिकारी कब तक डर कर काम करेंगे। जब एक विधायक पार्टी का वहां पर मौजूद हो। आप जेम्स बॉन्ड या शक्तिमान हो गए और चाहे जहां चले जाएं।


 एक सवाल के जवाब में गौतम कहते हैं कि खटखरी वाले मामले में लोग मांग करेंगे तो वह वहां पर जरूर जाएंगे और उनका साथ देंगे। देखते हैं कि अफसर कैसे नहीं करते। कैसे आदेश का क्रियान्वयन नहीं होता। उन्होंने कहा कि विधायक कोई अदालत नहीं होता, वह किसके पक्ष से बोल रहे हैं। अगर अन्याय होता दिख रहा है और देखेंगे, तो हम जरूर जाएंगे।


उल्लेखनीय है कि सीतापुर के एक मामले को विधायक पटेल ने लव जिहाद कहते हुए पुलिस प्रशासन के खिलाफ धरना दिया था। उनका धरना तब खत्म हुआ था, जब थाना प्रभारी और बीट प्रभारी को निलंबित कर दिया गया था। इस मामले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।


त्योंथर और मनगवां विधायक में टसल

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रीवा में भाजपा के पुराने विधायकों के साथ पहली बार के दो विधायक भी क्षेत्र में दबदबे को लेकर भिड़ गए हैं। इनमें त्योंथर से भाजपा विधायक सिद्धार्थ तिवारी और मनगवां से विधायक नरेंद्र प्रजापति शामिल हैं। दोनों के सियासी विवाद की खबरें सोशल मीडिया में सार्वजनिक हो चुकी हैं।

सीएम ने कुछ दिनों पहले रीवा एयरपोर्ट का शुभारंभ किया था। तब नरेंद्र प्रजापति ने सीएम की बैठक की फोटो को अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म से पोस्ट किया था। उसमें सिद्धार्थ तिवारी की फोटो को व्हाइट रंग से पुतवा दिया था।


यह जानकारी सिद्धार्थ समर्थकों को लगी, वे उसी बैठक की फोटो को नरेन्द्र के चेहरे को काले रंग से पोतकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। इसके बाद प्रजापति सामने आए और कहा कि गलती से पोस्ट हो गई थी। बताया जाता है कि मनगवां विधानसभा का आधा क्षेत्र पुराने मनगवां विधानसभा क्षेत्र का शामिल है, जिस पर सिद्धार्थ अपने हिसाब से कार्य कराना चाहते हैं। इसी को लेकर दोनों में सियासी जंग छिड़ गई है।


वर्चस्व की जंग, तय नहीं हो पा रहे जिलाध्यक्ष
भाजपा के बड़े नेताओं में भी जिले में वर्चस्व को लेकर भी घमासान मचा हुआ है। इंदौर ग्रामीण और शहर जिला अध्यक्ष वर्चस्व को लेकर तय नहीं हो पा रहे हैं। छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर और निवाड़ी जिला अध्यक्ष भी बड़े नेताओं के बीच वर्चस्व को लेकर चल रही खींचतान के कारण तय नहीं हो पा रहे हैं। पांढुर्णा और ग्वालियर जिला अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद एक गुट खुद को ठगा महसूस कर रहा है, जिसका असर आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।