पीरियड लीव को लेकर कल सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, देखिए क्या आ सकता है फैसला

शैलेंद्र मणित्रिपाठी ने दायर की याचिका, सर्वे के मुताबिक हार्ट-अटैक के बराबर होता है पीरियड में दर्द 
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पीरियड्स के दौरान महिलाओं को वर्कप्लेस पर छुट्टी मिले, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में 24 फरवरी को सुनवाई होनी है। महिलाओं के नाजुक दिनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने दाखिल की है। लेकिन इसके दो पहलू हैं कई लोग इस याचिका के पक्ष में हैं और कई लोगों का मानना पीरियड एक समान्य प्राकृतिक क्रिया है, जिसको लेकर छुट्टी की जरूरत नहीं है। इसके अलावा कई लोगों ने तो लिंग समानता (Gender Equality) का हवाला देते हुए कहा कि जब सब समान है तो अलग व्यवस्था क्यों??? पश्चिम के देशों में प्रेग्नेंट होने के दौरान भी छुट्टी का चलन नहीं है। 

याचिकाकर्ता शैलेंद्र ने क्या कुछ कहा 

शैलेंद्र त्रिपाठी ने मीडिया को बताया, 'मैंने बचपन में अपनी मां को इस दर्द से गुजरते देखा है। एक बार ट्रेन में सफर के दौरान एक को पैसेंजर महिला पीरियड्स के दर्द से काफी बैचेन थी। वो बेचैन थीं लेकिन कुछ कह नहीं पा रही थीं। मैंने उन्हें पेनकिलर दी। बाद में मैंने इस विषय पर पढ़ा और जाना कि पीरियड्स के दर्द की तुलना हार्ट अटैक जैसी होती है।

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बॉयोलॉजिकल प्रोसेस को जेंडर में कैसे बांध सकते हैं

दुनिया के कुछ देशों में ये कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि महिलाओं को काम करने के लिए बराबरी के मौके मिलें। महिलाएं सेफ्टी को लेकर और लेट ऑफिस आने-जाने में ज्यादा मुश्किलें झेलती हैं। इसलिए वर्कप्लेस को ज्यादा जेंडर इक्वल बनाने की डिमांड रखने वाले इन छुट्टियों की मांग कर रहे हैं।

पीरियड लीव के मामले में कई कंपनियां अपनी पॉलिसी चेंज कर रही हैं। वहीं, दुनिया भर में भी इसे लेकर बहस जारी है। महिलाओं का मानना है कि ये उनकी जरूरत है, जबकि कुछ लोगों के लिए ये छुट्टी लेने का बहाना या फिर मजाक का विषय है।

यह बोलीं वरिष्ठ महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. गीता बनर्जी 

इस संदर्भ में जब Live Good Morning ने मध्य प्रदेश की वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. गीता बनर्जी से बात की तो उन्होंने कहा कि  " माहवारी (Periods) एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है, इसमें कुछ भी असाधारण नहीं है। 95 फ़ीसदी से अधिक महिलाएँ इन दिनों बिल्कुल सामान्य महसूस करती हैं, और यदि सब सामान्य है तो छुट्टी का क्या मतलब? हाँ अगर अपवाद के रूप में किसी को विशेष समस्या है तो मानवीय भावनाओं के आधार पर छुट्टी ले सकतीं हैं। बाकी इसके लिए किसी नियम बनाने की आवश्यकता नहीं है। "

Dr.Geeta Benrjee
डॉ गीता बनर्जी


बता दें कि डॉ गीता बनर्जी मध्य प्रदेश की ख्यातिलब्ध स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं। उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में लगभग पांच दशक से भी ज्यादा का अनुभव है। Live Good Morning से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब आप लिंग समानता (Gender Equality) की बात करते हैं, तो आप जिस संस्था में कार्यरत हैं वहां के सभी नियम आप पर भी लागू होते हैं, चाहे महिला हो या पुरुष। आपको सबके बराबर वेतन मिलता है तो आपको अलग से छुट्टी क्यों दी जाए?? 
Live Good Morning से चर्चा में डॉ. गीता बनर्जी ने यह भी कहा कि जो महिलाएँ कामकाज में सक्रिय होतीं हैं, उनको इन दिनों में न के बराबर परेशानी होती है।

पीरियड्स में हार्ट अटैक के बराबर होता है दर्द

इस बहस में पुरुषों के अलावा अलग-अलग राय रखने वाली महिलाएं भी शामिल हैं। महीने के पांच दिन महिलाओं के लिए भारी होते हैं, इस बात को साइंस भी मानती है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की एक स्टडी के मुताबिक, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को हार्ट अटैक जितना दर्द होता है। पीरियड्स में पेट में मरोड़ उठना, जी मिचलाना, उल्टियां और चिड़चिड़पना होता है। ये सब दिक्कतों की गंभीरता हर स्त्री में अलग अलग होती है।