खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते हैं, प्रधानमंत्री ने पहले ही दी थी चेतावनी, अब बढ़ गई पाकिस्तान की टेंशन

IWT : पिछले कई सालों से पाकिस्तान भीख की तरह कर्ज मांग रहा था। अब कर्ज में ऐसा उलझा हुआ है कि खुद बिकने पर भी खत्म नहीं होने वाला है। खाद्यान्न का संकट पाकिस्तान में मंडरा रहा है। भारत की चेतावनी से जल संकट भी आ सकता है। सितंबर 2016 में उरी हमले के
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खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते हैं, प्रधानमंत्री ने पहले ही दी थी चेतावनी, अब बढ़ गई पाकिस्तान की टेंशन

IWT : पिछले कई सालों से पाकिस्तान भीख की तरह कर्ज मांग रहा था। अब कर्ज में ऐसा उलझा हुआ है कि खुद बिकने पर भी खत्म नहीं होने वाला है। खाद्यान्न का संकट पाकिस्तान में मंडरा रहा है। भारत की चेतावनी से जल संकट भी आ सकता है। सितंबर 2016 में उरी हमले के ठीक बाद पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि खून और पानी एकसाथ नहीं बह सकते। हमले के 11 दिन बाद पीएम ने सिंधु जल संधि की समीक्षा की बात कही थी। उनकी एक लाइन से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया था।

‘क्या पानी की बूंद के लिए तरसेगा पाकिस्तान’ जैसे सवालों को उठाते हुए पाकिस्तानी मीडिया में डिबेट छिड़ गई थी। इस समय वहां के हालात काफी खराब है। लोगों के पास खाने के लिए रोटी नहीं है, सरकार का खजाना भी खाली हो रहा है । ऐसे वक्त में भारत के एक नोटिस ने पाकिस्तानियों में फिर से टेंशन पैदा कर दी है। तब पीएम मोदी ने कहा था कि ऐसे समझौते एकपक्षीय नहीं हो सकते। इसमें भरोसा और सहयोग जरूरी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि सिंधु जल बंटवारे के जरिए ही पाकिस्तान को सिंधु, झेलम, चिनाब का 80 फीसदी पानी मिलता है। अब भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि (IWT) में संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है।

पाकिस्तान को क्या आपत्ति : IWT

दरअसल, पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर की किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं पर आपत्ति जता रहा है। उसने भारत के साथ चर्चा करने से ही मना कर दिया । IWT पर विश्व बैंक ने भी हस्ताक्षर किए हैं और वह भारत और पाकिस्तान से आम सहमति के आधार पर समाधान निकालने के लिए कहता आ रहा है। पिछले साल अक्टूबर में विश्व बैंक ने मामले की पड़ताल के लिए एक एक्सपर्ट नियुक्त किया था। पाकिस्तान का दावा है कि हेग में IWT प्रावधानों के तहत स्थापित कोर्ट में यह मामला चल रहा है। भारत चाहता है कि पिछले 62 साल से ज्यादा समय में मिले अनुभवों को शामिल करते हुए समझौते को अपडेट किया जाए।

पाकिस्तान का डर

मई 2018 में पीएम ने बांदीपोरा में 330MW किशनगंगा पावर स्टेशन का उद्घाटन किया था और किश्तवाड़ जिले में 1000 मेगावाट पाकल -दुल प्लांट की आधारशिला रखी थी। समीक्षा बैठक के बाद दो और पनबिजली परियोजनाओं पर काम तेज कर दिया गया। दोनों चिनाब की सहायक नदियों- किशनगंगा और मरुसुदर नदी पर स्थित हैं। भारत साफ संकेत दे चुका है कि भारत के खिलाफ आतंकवाद का इस्तेमाल करने वाले पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए हर विकल्प का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है 1960 सिंधु जल के बेरोकटोक बहाव पर अंकुश लगाना ।

 

मोदी सरकार ने सिंधु जल प्रणाली से संबंधित कई इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर काम तेज कर दिया है, जिससे संधि के दायरे में रहते हुए भारत ज्यादा से ज्यादा पानी का इस्तेमाल कर सके। तब से कुल 4000 मेगावाट क्षमता के प्रोजेक्ट पर जम्मू-कश्मीर में काम हो रहा है। पिछले साल पीएम ने दो प्रोजेक्ट की नींव भी रखी थी। पाकिस्तान को चिंता कुछ साल पहले आई एक अमेरिकी रिपोर्ट से हो रही है जिसमें कहा गया था कि भारत इन प्रोजेक्टों के जरिए सिंधु से पाकिस्तान को पानी की सप्लाई को नियंत्रित कर सकता है।