पेसा कॉर्डिनेटर भर्ती योजना में बड़ा घोटाला, युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया ने लगाए सनसनीखेज आरोप

बोले-  प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं के साथ हुआ है विश्वासघात; भर्ती किए गए भाजपा कार्यकर्ताओं के रिश्तेदार, 119 नियुक्तियों में एक भी महिला नहीं

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MP युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया ने शनिवार को भोपाल में कहा कि BJP के कार्यकर्ता और रिश्तेदारों को गलत तरीके से भर्ती किया गया है। सरकारी खर्च पर अपनों को अंदर करने का यह नया तरीका अपनाया गया है। मध्यप्रदेश में आदिवासियों के लिए बने पेसा (PESA) एक्ट में पेसा कॉर्डिनेटर भर्ती में कांग्रेस ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाया है। इससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं के साथ विश्वासघात हुआ है। वहीं, कुल 119 नियुक्तियों में एक भी महिला नहीं है।

PCC कार्यालय में शनिवार को पत्रकार वार्ता में डॉ. विक्रांत भूरिया ने पेसा एक्ट पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आदिवासियों के हित में पेसा कॉर्डिनेटर भर्ती योजना बड़े घोटाले में तब्दील हो गई है। प्रदेश के 89 आदिवासी बाहुल्य ब्लॉकों में पेसा कानून को लागू कराने, उसके प्रचार-प्रसार के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार ने रोडमेप CEDMAP के माध्यम से विधिवत आवेदन बुलाए थे। जिनसे 500 से 600 रुपए प्रति आवेदक से फीस वसूली गई। जिससे सरकार को एक करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। इंटरव्यू के लिए आवेदकों की मेरिट लिस्ट तैयार की गई। जिसमें से 890 आवेदकों को छांटकर फरवरी-22 में इंटरव्यू के लिए बुलाया भी गया, किंतु बिना कारण बताए इंटरव्यू कैंसिल कर दिए गए।

 

शिक्षित बेरोजगारों से छल किया

प्रदेश अध्यक्ष डॉ. भूरिया ने कहा कि एमपीकॉन के माध्यम से आउटसोर्स से गोपनीय तरीके से एक विचारधारा विशेष से जुड़े 89 ब्लाक और 20 डिस्ट्रिक कॉर्डिनेटर के पद भर दिए गए। इन चयनित लोगों को सरकारी खजाने से जहां 25 हजार रुपए मासिक वेतन ब्लॉक कॉर्डिनेटर और 45 हजार डिस्ट्रिक कॉर्डिनेटर को दिया जाएगा। ये चयनित लोग पेसा कानून का प्रचार करने के बजाय भाजपा के चुनावी बूथ मैनेजमेंट का काम करेंगे। इससे स्पष्ट है कि भाजपा सरकार ने शिक्षित बेरोजगार युवाओं के साथ छल किया है। जो 119 नियुक्तियां हुईं, उसमें एक भी महिला को शामिल नहीं किया गया। क्या एक भी महिला इस पद के काबिल नहीं थी?

 

कांग्रेस ने यह उठाए सवाल, मांग की

  • व्यापमं / कर्मचारी चयन आयोग एवं लोक सेवा आयोग से चयन न करवाते हुए आउटसोर्सिग एजेंसी एमपीकॉन के माध्यम से ये भर्तियां क्यों करवाई गई? क्या उसमें आरक्षण का पालन हुआ है? एमपीकॉन द्वारा कराई गई अब तक की भर्तियों की सीबीआई से जांच कराई जाए?
  • जिन लोगों के चयन हुए वे सोशल मीडिया, फेसबुक अकाउंट भाजपा और संघ विचारधारा से ही क्यों जुड़े हुए गए जाते हैं। गोपनीय तरीके से की गई इन भर्तियों को निरस्त कर पुनः सेडमेप के आधार पर बनी मेरिट लिस्ट के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया को कराया जाए।
  • इस प्रक्रिया में आरक्षण के तहत महिलाओं को भी अवसर प्रदान किया जाए। आदि
  • वर्तमान में जिन लोगों को नियुक्तियां दी गई हैं, उनकी मेरिट लिस्ट सार्वजनिक की जाए?