सामुहिक छुट्टी पर मध्य प्रदेश के नायाब तहसीलदार, प्रमोशन लिस्ट नहीं आने के कारण नाराजगी

वर्ष 1999 से 2008 के बीच एमपी पीएससी के जरिए नायब तहसीलदारों की भर्ती की गई थी, लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिला
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मध्यप्रदेश के कई जिलों में तहसीलदार और नायब तहसीलदार सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं। इसे लेकर उन्होंने कलेक्टरों को छुट्टी के आवेदन भी दे दिए हैं। उन्होंने 27 फरवरी से 1 मार्च तक की छुट्टी ली है। वे प्रमोशन लिस्ट नहीं आने से नाराज हैं।

बता दें कि प्रदेश में तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर और नायब तहसीलदारों को तहसीलदार बनाने का मुद्दा पिछले एक सप्ताह से गरमाया हुआ है। वे चाहते हैं कि कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार को लेकर आदेश GAD यानी सामान्य प्रशासन विभाग ही निकाले, ताकि जिलों में उन्हें पदोन्नति उसी तहसील पर मिले, जो की गई है। इससे प्रभार के संबंध में दुविधा या दुरुपयोग नहीं होगा और अफसरों के सम्मान को ठेस भी नहीं पहुंचेगी। हालांकि, अब तक लिस्ट जारी नहीं हुई है, इसलिए उन्होंने कलेक्टरों को सामूहिक अवकाश पर जाने के आवेदन दे दिए हैं।

तीन दिन रहेंगे छुट्टी पर कामकाज होंगे प्रभावित तहसीलदार और नायब तहसीलदार तीन दिन तक छुट्टी पर रहेंगे। इससे सामान्य कामकाज प्रभावित होगा। आम लोगों से जुड़े काम भी नहीं हो सकेंगे। कई जिलों में 27-28 फरवरी और 1 मार्च तक की छुट्टी ली गई है।

भोपाल से हो पूरी प्रक्रिया

मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि यदि कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर या तहसीलदार का प्रभार दिया भी जा रहा है, तो आदेश जीएडी ही जारी करें, न कि रेवेन्यू विभाग। ऐसा होने पर ही वे प्रभार लेंगे। पूर्व में राजस्व निरीक्षकों को कार्यवाहक नायब तहसीलदार नाया गया था। बाद में यह प्रभार ले लिया गया। यदि जीएडी आदेश निकालता है, तो सीधे भोपाल स्तर से ही प्रक्रिया की जाएगी।

PSC के जरिए भर्ती हुए, प्रमोशन का इंतजार कर रहे 

मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ की मानें तो वर्ष 1999 से 2008 के बीच एमपी पीएससी के जरिए नायब तहसीलदारों की भर्ती की गई थी, लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिला। यदि नियम के अनुसार प्रमोशन होता तो दो बार पदोन्नति हो जाती। अब तक वे जॉइंट कलेक्टर बन चुके होते, लेकिन पदोन्नति रुकने के कारण डिप्टी कलेक्टर भी नहीं बन सके। वर्तमान में 220 तहसीलदार हैं, जो पदोन्नति का रास्ता देख रहे हैं। इनमें से कई ऐसे भी हैं, जिन पर विभागीय जांच लंबित है। हालांकि, नियमित पदोन्नति और जीएडी से आदेश जारी होने की मांग के चलते एक बार फिर से यह मामला सुर्खियों में है।