विंध्य के लाल असम में शहीद, गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हजारों नम आंखों ने दी अंतिम विदाई

ड्यूटी के दौरान आया था हार्ट अटैक, मराठा रेजिमेंट में सूबेदार पद पर थी तैनाती
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विंध्य के एक लाल असम में ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए। शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर उनके गृहग्राम पहुंचा।

रीवा जिले के इन वीर सपूत के अंतिम दर्शन हेतु हजारों लोग सिरमौर क्षेत्र के उमरी गांव पहुंचे, जहां 'भारत माता की जय'  और 'अरूण​ मिश्रा अमर रहें' के उदघोष के साथ गांव में रैली निकाली गई।

अपनी माटी के सपूत की शहादत के बाद गांव में गमगीन माहौल देखकर आम से लेकर खास तक सभी की आंखे नम रहीं ।

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आज सुबह से रीवा जिले के सिरमौर थाना क्षेत्र के उमरी गांव में तमाम लोग इकट्ठे थे। सभी की आँखों में आंसू थे।

गमजदा लोग अपनी माटी के लाल के अंतिम दर्शन को आकुल थे। जिला प्रशासन के आला अफसरों , जनप्रतिनिधि व ग्रामीणों ने पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन ​किए।

पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद चार पहिया व दो पहिया वाहनों का काफिला श्मशान स्थल तक पहुंचा। रास्ते में अरूण​ मिश्रा अमर रहे के नारे लगते रहे ।

सेना के अफसरों ने सैनिक सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद विंध्य के सपूत अरुण मिश्रा को अंतिम विदाई दी गई।


दो दिन पूर्व हुई थी शहादत 


 जानकारी के मुताबिक सूबेदार अरूण कुमार मिश्रा पु​त्र जगदंबा प्रसाद मिश्रा 47 वर्ष निवासी उमरी गांव थाना सिरमौर ड्यूटी के दौरान दो दिन पहले असम में शहीद हो गए थे ।

दूरभाष के माध्यम से शहादत की खबर परिजनों को दी गई। निधन की खबर सुन पत्नी बेहोश हो गई थीं। वहीं दोनों बेटों का रो- रोकर बुरा हाल है।

शहीद के गांव में मातम सा माहौल है। हर ग्रामीण शहादत की खबर सुनने के बाद परिजनों को ढांढस बंधा रहे है।

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प्रयागराज होकर उमरी लाया गया पार्थिव शरीर


सेना के अफसरों का कहना है कि ड्यूटी के दौरान अरूण को हार्ट अटैक आया था।

जैसे ही अधिकारियों को पता चला। वैसे ही मिलिट्री ​हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जानकारी के अनुसार अस्पताल के चिकित्सकों ने नब्ज टटोलते ही अरूण को मृत घोषित कर दिया।

शहादत के बाद निधन की सूचना परिजनों को भेजवाई गई। इसके बाद असम से बनारस एयरपोर्ट होकर प्रयागराज के रास्ते पार्थिव शरीर गृहग्राम उमरी लाया गया।


बड़े बेटे ने दी मुखाग्नि

 
जानकारी के अनुसार अरूण कुमार मिश्रा मराठा रेजिमेंट में तैनात रहे हैं ।

उनके दो बेटे है। भरा- पूरा परिवार गांव में रहता है। बड़े बेटे ने मुखाग्नि दी।

शुक्रवार को हिन्दू रीति- रिवाजों के साथ गांव में अंतिम संस्कार किया गया। समूचे क्षेत्र के लोग अपने सपूत की शहादत से दुखी हैं।