High Court: जीवनसाथी को यौन संबंध की अनुमति न देना मानसिक क्रूरता, हाईकोर्ट ने की महत्त्वपूर्ण टिप्पणी

प्रयागराज उच्च न्यायालय ने दंपत्ति का तलाक किया मंजूर 

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर कोई पति या पत्नी अपने साथी को बिना किसी कारण के लंबे समय तक यौन संबंध बनाने की अनुमति नहीं देता है तो यह मानसिक क्रूरता के बराबर है।

जस्टिस सुनीत कुमार और राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने इस टिप्पणी के साथ उत्तर प्रदेश के एक दंपती के रिश्ते को खत्म करने के आदेश दिए। पीठ ने आदेश में कहा कि ऐसी कोई स्वीकार्य वजह नहीं है जिसमें यह माना जाए कि एक पति या पत्नी को साथ जीवन फिर से शुरू करने के लिए मजबूर किया जाए। दंपती को हमेशा लिए ऐसे दाम्पत्य सब से जोड़े रखने की कोशिश करने से कुछ भी नहीं मिलता है, जो वास्तव में खत्म हो गया है।

फैमिली कोर्ट का फैसला रद्द
हाईकोर्ट एक फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पति की तरफ से दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। फैमिली कोर्ट ने हिंदू विवाह एक्ट की धारा 13 के तहत तलाक की याचिका खारिज कर दी थी। उसने आरोप लगाया था कि शादी के बाद पत्नी का उसके लिए व्यवहार काफी बदल गया। और उसने साथ रहने से इनकार कर दिया। फैमिली कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।