जब पाकिस्तानी राष्ट्रपति का गिफ्ट देखकर कर नाराज हो गईं तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, तुरंत लिया ऐसा फैसला

भारत के प्रधानमंत्री से कहा, “मैडम प्राइम मिनिस्टर, प्रेस में मेरे बारे में जो कुछ भी लिखा  जा रहा है उस पर यकीन मत कीजिए।”
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ज़िया की इस बात का इंदिरा गांधी ने शरारती अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने ज़िया को आईना दिखाते हुए कहा, “राष्ट्रपति महोदय बिल्कुल नहीं। प्रेस वालों को कुछ पता नहीं। तभी तो वो आपको ‘डेमोक्रेट’ और मुझे ‘डिक्टेटर’ कह रहे हैं।”      

ज़िया का गिफ्ट और इंदिरा का गुस्सा

जाहिर है ज़िया को इंदिरा गांधी का जवाब पसंद नहीं आया। फिर भी उन्होंने इधर-उधर की बात जारी रखी। वह बातचीत में बार-बार मोरारजी देसाई के कार्यकाल का जिक्र कर रहे थे। आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी को सत्ता से बेदखल कर मोरारजी देसाई ही प्रधानमंत्री बने थे। ज़िया का कहना था कि उनके और मोरारजी देसाई के बीच अच्छा संबंध हो गए थे।

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इंदिरा को बार-बार मोरारजी देसाई का जिक्र पसंद नहीं आ रहा था, तो उन्होंने ज़िया को याद दिलाते हुए कहा कि आप शायद भूल रहे हैं कि देसाई अब भारत के प्रधानमंत्री नहीं हैं।

इसके बाद बैठकी अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचा। ज़िया ने जाते वक्त इंदिरा गांधी को कॉफी टेबल किताब भेंट की। कॉफी टेबल किताबों की खासियत यह होती है कि उनमें अक्षर कम और दृश्य अधिक होते हैं। कॉफी टेबल किताबें सुंदर तस्वीरों से सजी होती हैं।

कश्मीर को चित्र में दिखाया पाकिस्तान का हिस्सा 

इंदिरा और ज़िया बैठक खत्म हुई। ज़िया की भेंट की हुई कॉफी टेबल किताब पाकिस्तान पर थी। ज़िया के जाने के बाद इंदिरा ने किताब को जरा उलट-पुलट कर देखा। तभी उनकी नज़र एक तस्वीर पर पड़ी, जिसमें पूरे कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था। नटवर सिंह लिखते हैं कि इतना देखना था कि इंदिरा गांधी का पारा चढ़ गया।इंदिरा गांधी ने फौरन नटवर सिंह को आदेश दिया कि वह उस किताब को तुरंत पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को लौटा दें।